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अब क्या कर रहा चंद्रयान-3? चांद की सतह से आया ये नया अपडेट

भारत में चंद्रयान-4 मिशन पर सरकार की मुहर लग गई है। इस बीच चंद्रयान-3 को लेकर भी नया अपडेट आया है। अब प्रज्ञान ने चांद की सतह पर एक बड़ी खोज की है।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Oct 01, 2024 13:04 IST, Updated : Oct 01, 2024 13:04 IST
प्रज्ञान ने चंद्रमा...- India TV Hindi
Image Source : PTI (FILE PHOTO) प्रज्ञान ने चंद्रमा की सतह के नीचे दबे हुए एक पुराने गड्ढे का पता लगाया है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा लॉन्च किए गए मून मिशन चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की थी। चंद्रयान जिस स्थल पर उतरा था उसका 26 अगस्त 2023 को ‘शिव शक्ति पॉइंट’ नाम रखा गया था। भारत में चंद्रयान-4 मिशन पर सरकार की मुहर लग गई है। इस बीच चंद्रयान-3 को लेकर भी नया अपडेट आया है। सितंबर 2023 में गहरी नींद में दए विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने काम जारी रखने के संकेत दिए हैं। ये एक साल बाद भी चांद की सतह की जानकारियां धरती तक पहुंचा रहे हैं।

प्रज्ञान ने की बड़ी खोज

अब प्रज्ञान ने चांद की सतह पर एक विशाल क्रेटर की खोज की है। भारत का ‘चंद्रयान-3’  चंद्रमा के सबसे पुराने ‘क्रेटर’ में से एक पर उतरा था। मिशन और सैटेलाइट्स से प्राप्त चित्रों का विश्लेषण करने वाले वैज्ञानिकों ने यह संभावना जताई है। किसी भी ग्रह, उपग्रह या अन्य खगोलीय वस्तु पर गड्ढे को ‘क्रेटर’ कहा जाता है। ये ‘क्रेटर’ ज्वालामुखी विस्फोट से बनते हैं। इसके अलावा किसी उल्का पिंड के किसी अन्य पिंड से टकराने से भी ‘क्रेटर’ बनते हैं।

‘नेक्टरियन काल’ के दौरान बना था क्रेटर

फिजिकल रिसर्च लैब और इसरो के वैज्ञानिकों ने बताया कि चंद्रमा जिस ‘क्रेटर’ पर उतरा है वह ‘नेक्टरियन काल’ के दौरान बना था। ‘नेक्टरियन काल’ 3.85 अरब वर्ष पहले का समय है और यह चंद्रमा की सबसे पुरानी समयावधियों में से एक है। फिजिकल रिसर्च लैब के ग्रह विज्ञान प्रभाग में एसोसिएट प्रोफेसर एस.विजयन ने कहा, ‘‘चंद्रयान-3 जिस स्थल पर उतरा है वह एक अद्वितीय भूगर्भीय स्थान है, जहां कोई अन्य मिशन नहीं पहुंचा है।

रोवर ने ली तस्वीरें

मिशन के रोवर से प्राप्त चित्र चंद्रमा की ऐसी पहली तस्वीर हैं जो इस अक्षांश पर मौजूद रोवर ने ली हैं। इनसे पता चलता है कि समय के साथ चंद्रमा कैसे विकसित हुआ।’’ जब कोई तारा किसी ग्रह या चंद्रमा जैसे बड़े पिंड की सतह से टकराता है तो गड्ढा बनता है तथा इससे विस्थापित पदार्थ को ‘इजेक्टा’ कहा जाता है। विजयन ने बताया कि ‘‘जब आप रेत पर गेंद फेंकते हैं तो रेत का कुछ हिस्सा विस्थापित हो जाता है या बाहर की ओर उछलकर एक छोटे ढेर में तब्दील हो जाता है’’, ‘इजेक्टा’ भी इसी तरह बनता है।

160 किलोमीटर व्यास वाले गड्ढे पर उतरा था चंद्रयान-3

चंद्रयान-3 एक ऐसे ‘क्रेटर’ पर उतरा था जिसका व्यास लगभग 160 किलोमीटर है और तस्वीरों से इसके लगभग अर्ध-वृत्ताकार संरचना होने का पता चलता है। रिसर्चर ने कहा कि यह क्रेटर का आधा भाग है और दूसरा आधा भाग दक्षिणी ध्रुव-‘ऐटकेन बेसिन’ से निकले ‘इजेक्टा’ के नीचे दब गया होगा। प्रज्ञान को चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने चंद्रमा की सतह पर उतारा था।  

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