Tuesday, April 22, 2025
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3500 किमी की यात्रा तय कर इस मादा कछुए ने वैज्ञानिकों को किया हैरान, वजह जानकर आप भी चौंक जाएंगे

एक मादा कछुए ने 3500 किमी की यात्रा तय करके वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है। कछुए ने ये यात्रा क्यों पूरी की, इसकी वजह जानकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे। पढ़ें पूरी खबर....

Edited By: Kajal Kumari @lallkajal
Published : Apr 15, 2025 22:00 IST, Updated : Apr 16, 2025 21:50 IST
कछुए की यात्रा
Image Source : WORLDWILDLIFE IMAGES कछुए की यात्रा

एक मादा ओलिव रिडले कछुए ने वैज्ञानिकों को हैरत में डाल दिया है। इस कछुए ने ओडिशा से महाराष्ट्र के गुहागर बीच तक 3,500 किलोमीटर की यात्रा तय की है। यह माना जाता था कि पूर्वी और पश्चिमी तटों पर कछुए अलग-अलग जगहों पर प्रजनन के लिए अपना घोंसला बनाते हैं लेकिन इस मादा कछुए की इस लंबी यात्रा ने इस विचार को ही गलत साबित कर दिया है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह बहुत ही आश्चर्यजनक है।  

कछुए ने क्यों की इतनी लंबी यात्रा

इस साल ओडिशा में घोंसला बनाने का मौसम बहुत अच्छा रहा इसलिए उसने इतनी लंबी यात्रा की। यह पहली बार है जब वैज्ञानिकों ने ऐसा देखा है। लेकिन ऐसा लगता है कि वह पिछले कुछ सालों में कई बार इस तट पर आई होगी और जब प्रजनन की जरूरत थी, और खासकर उसने डबल नेस्टिंग का प्रजनन किया है तो ये बात और हैरान करने वाली है कि नेस्टिंग के लिए उसने  इस जगह को चुना। बता दें कि डबल नेस्टिंग तब होता है जब एक ही प्रजनन सीजन में मादा कछुए दो बार अंडे देती है और अंडे देने के लिए मादा कछुए घोंसला बनाती हैं।

क्या है इस कछुए का नाम

इस कछुए का नाम 03233 है जो इसका टैग नंबर है जिससे इसकी पहचान हुई है। इस कछुए को जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ZSI) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर बसुदेव त्रिपाठी ने 18 मार्च, 2021 को ओडिशा के गहिरमाथा बीच पर एक सामूहिक घोंसला बनाने की गतिविधि के दौरान टैग किया था और इस साल 27 जनवरी को, वैज्ञानिक उस समय हैरान रह गए जब वही कछुआ गुहागर बीच पर घोंसला बनाते हुए पाया गया।

महाराष्ट्र के मैंग्रोव फाउंडेशन की एक टीम ने रात में  कछुए को अंडे देते हुए देखा। जब वे घोंसला बनाने के बाद उसके पास गए, तो उन्होंने देखा कि उस पर पहले से ही टैग लगा हुआ था जो ओडिशा का था।टैग कछुए की पीठ पर लगाया जाता है जिससे उसकी  पहचान हो सके।

रत्नागिरी बीच पर कछुए ने 120 अंडे दिए

इस तरह पता चला कि कछुए ने पूर्व से पश्चिम तट तक कम से कम 3500 किलोमीटर की यात्रा की है। ओलिव रिडले कछुए दिसंबर से मार्च तक कई बीचों पर घोंसला बनाते हैं। लेकिन, यह पहली बार रिकॉर्ड किया गया है कि किसी कछुए ने एक ही समय में दो अलग-अलग बीचों पर घोंसला बनाया और उनके बीच यात्रा भी की। पहले ओडिशा बीच पर उसने घोंसला बनाया और फिर महाराष्ट्र बीच पर घोंसला बनाया। वैज्ञानिकों का कहना है कि कछुए ने ओडिशा से श्रीलंका तक का रास्ता तय किया होगा, और फिर वहां से महाराष्ट्र के रत्नागिरी तक आई होगी। वहां इस कछुए ने 120 अंडे दिए, जिसमें से 107 बच्चे निकले।

रत्नागिरी से पहले ओडिशा तट पर की होगी नेस्टिंग
वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुरेश कुमार के अनुसार, कछुए ने डबल नेस्टिंग की होगी। उस मादा कछुए ने ओडिशा में एक सामूहिक घोंसला बनाने वाली जगह पर घोंसला बनाया और फिर अधिक से अधिक बच्चे पैदा करने के लिए महाराष्ट्र में अकेले घोंसला बनाने के लिए यात्रा की। पहले से माना जाता था कि कछुए अपने घोंसला बनाने की जगहों के प्रति बहुत वफादार होते हैं। लेकिन, टैग लगाने से मिली नई जानकारी से यह बात गलत साबित हो गई है।

समुद्री कछुए करते हैं नेस्टिंग

कछुओं के लिए चूंकि समुद्र में घोंसला बनना संभव नहीं है तो जो कछुए समुद्र में रहते हैं वे अंडे देने के लिए समुद्र के तट तक आते हैं और वहीं तट पर अपना घोंसला बनाते हैं। ओलिव रिडले उन कछुओं की प्रजाति में आते हैं जो सामूहिक घोंसला बनाते हैं। सामूहिक घोंसला बनाने का अर्थ बड़ी मात्रा में मादा कछुए एक साथ एक ही समुद्र तट पर अंडे देती हैं और अंडों की यह संख्या हजारों में होती है।

 

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