Sunday, June 15, 2025
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. 'भारत कोई धर्मशाला नहीं है कि सबको...', सुप्रीम कोर्ट ने श्रीलंका के शख्स की याचिका खारिज की, जानें मामला

'भारत कोई धर्मशाला नहीं है कि सबको...', सुप्रीम कोर्ट ने श्रीलंका के शख्स की याचिका खारिज की, जानें मामला

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक श्रीलंकाई नागरिक की शरण की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है, जहां दुनिया भर से आए शरणार्थियों को शरण दी जा सके। जानें कोर्ट ने क्यों कहा?

Edited By: Kajal Kumari @lallkajal
Published : May 19, 2025 16:43 IST, Updated : May 19, 2025 16:43 IST
सुप्रीम कोर्ट ने श्रीलंका के शख्स की खारिज की याचिका
Image Source : FILE PHOTO सुप्रीम कोर्ट ने श्रीलंका के शख्स की खारिज की याचिका

नई दिल्ली: भारत कोई धर्मशाला नहीं है, जहां दुनिया भर से आए शरणार्थियों को शरण दी जा सके, सुप्रीम कोर्ट ने आज एक श्रीलंकाई नागरिक की शरण की याचिका को खारिज करते हुए ये अहम टिप्पणी की। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ एक श्रीलंकाई नागरिक की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे 2015 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) से जुड़े होने के संदेह में गिरफ्तार किया गया था, जो एक समय श्रीलंका में सक्रिय एक आतंकवादी संगठन हुआ करता था।

याचिकाकर्ता ने लगाई गुहार

साल 2018 में, एक ट्रायल कोर्ट ने उस शख्स को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत दोषी ठहराया और उसे 10 साल जेल की सजा सुनाई। 2022 में, मद्रास उच्च न्यायालय ने उसकी सजा को घटाकर सात साल कर दिया, लेकिन उसे सजा पूरी होते ही देश छोड़ने और निर्वासन से पहले शरणार्थी शिविर में रहने को कहा। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह वीजा लेकर भारत आया था और अपने देश में उसकी जान को खतरा है। उसने यह भी कहा कि उसकी पत्नी और बच्चे भारत में बस गए हैं और वह लगभग तीन साल से हिरासत में है और निर्वासन की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।

कोर्ट ने कही ये बड़ी बात

याचिका के जवाब में, न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, "क्या भारत दुनिया भर के शरणार्थियों की मेजबानी करने के लिए है? हम पहले से ही 140 करोड़ की आबादी से जूझ रहे हैं। यह कोई धर्मशाला नहीं है कि हम हर जगह से विदेशी नागरिकों का स्वागत कर सकें।"

याचिकाकर्ता के वकील ने संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा) और अनुच्छेद 19 के तहत मामले पर बहस की, जो अभिव्यक्ति और आवागमन की स्वतंत्रता सहित मौलिक अधिकार प्रदान करता है। न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता की हिरासत अनुच्छेद 21 का उल्लंघन नहीं करती है क्योंकि उसे कानून के अनुसार हिरासत में लिया गया था।

तो आप किसी और देश में चले जाएं

इसके बाद अदालत ने बताया कि अनुच्छेद 19 केवल भारतीय नागरिकों के लिए उपलब्ध है। अदालत ने पूछा, "यहां बसने का आपका क्या अधिकार है?" जब याचिकाकर्ता के वकील ने इस बात पर जोर दिया कि वह एक शरणार्थी है और श्रीलंका में उसकी जान को खतरा है, तो अदालत ने उसे किसी अन्य देश में चले जाने को कहा।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement