Friday, March 29, 2024
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पुण्यतिथि विशेष: देश के पहले PM पंडित जवाहर लाल नेहरू की मौत कैसे हुई थी! उस समय कहां थीं इंदिरा गांधी?

नेहरू ने विदेश में पढ़ाई की थी। उन्होंने हैरो, ट्रिनिटी कॉलेज, लंदन और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पढ़ाई की और साल 1912 में गांधीजी से प्रभावित होकर कांग्रेस से जुड़ गए।

Rituraj Tripathi Written By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Published on: May 27, 2023 7:59 IST
Jawaharlal Nehru - India TV Hindi
Image Source : FILE जवाहर लाल नेहरू

नई दिल्ली: 27 मई का दिन देश के इतिहास में बहुत अहमियत रखता है। इसी दिन देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का निधन हुआ था। उनकी याद में इस दिन को उनकी पुण्यतिथि के तौर पर मनाया जाता है। पंडित नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 इलाहाबाद के एक धनी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू और माता का नाम स्वरूपरानी था। नेहरू के पिता पेशे से वकील थे और नेहरू के अलावा उनकी 3 बेटियां भी थीं। 

नेहरू ने विदेश में पढ़ाई की थी। इस दौरान उन्होंने स्कूली शिक्षा हैरो और कॉलेज की शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज, लंदन से की। इसके बाद वह लॉ की डिग्री के लिए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय गए। इसके बाद नेहरू ने साल 1912 में बार-एट-लॉ की उपाधि पाई। साल 1912 में गांधीजी से प्रभावित होकर नेहरू कांग्रेस से जुड़ गए और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 

साल 1947 में देश को आजादी मिलने के बाद नेहरू पहले प्रधानमंत्री बने और 1964 तक, जब तक उनमें सांसें रहीं, वह देश का नेतृत्व करते रहे। नेहरू को सबसे बड़ा झटका तब लगा था, जब उन्होंने चीन की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया था लेकिन चीन ने 1962 में धोखे से आक्रमण कर दिया था। 

कैसे हुई थी नेहरू की मौत?

चीन के धोखे के बाद से नेहरू टूट गए थे। जनवरी 1964 में नेहरू जब भुनेश्वर के दौरे पर थे, तब उनको हार्ट अटैक आया था, लेकिन तब डॉक्टरों ने संभाल लिया था और उन्हें आराम की सलाह दी थी। लेकिन 26 मई 1964 की शाम जब नेहरू अपनी बेटी इंदिरा के साथ छुट्टियां मनाकर दिल्ली लौटे तो रात 8 बजे वह सीधे अपने कमरे में चले गए और दवाई लेकर लेट गए। 

कहते हैं कि नेहरू 26-27 मई की रात सो नहीं पाए थे और उन्हें पीठ में भयंकर दर्द उठ रहा था। 27 मई 1964 को सुबह 6.30 बजे के करीब उन्हें पैरालिसिस का अटैक आया और फिर तुरंत बाद हार्ट अटैक भी आ गया। नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी के बुलाने पर डॉक्टर मौके पर पहुंचे और नेहरू को बचाने की कोशिश की, 8 घंटे तक वह कोमा में रहे, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।

रोशनी खत्म हो गई 

27 मई 1964 की दोपहर 2 बजकर 5 मिनट पर रेडियो के जरिए ये ऐलान हुआ कि पंडित नेहरू का निधन हो गया है। रोशनी खत्म हो गई है।  उस दिन प्रधानमंत्री आवास के बाहर लाखों लोगों का हुजूम उमड़ा था जो अपने नेता को अंतिम विदाई देने आए थे। 29 मई को पंडित नेहरू का अंतिम संस्कार हुआ, जिसमें दुनियाभर के नेता और राजनयिक आए थे। 

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