Thursday, April 25, 2024
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26 जनवरी की परेड में बेहद ही खास होगी कर्नाटक की झांकी, BJP नेता ने दिखाई एक झलक

गणतंत्र दिवस पर कर्नाटक की झांकी में इस बार तुलसी गौड़ा और तिम्मक्का की उपलब्धियों को प्रदर्शित किया जाएगा। बता दें कि पर्यावरण संरक्षण से जुड़ीं तुलसी गौड़ा को जंगल की एनसाइक्लोपीडिया कहा जाता है।

Reported By : T. Raghavan Written By : Sudhanshu Gaur Updated on: January 23, 2023 16:00 IST
 कर्नाटक की झांकी- India TV Hindi
Image Source : PTI कर्नाटक की झांकी

26 जनवरी को देश की राजधानी नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर होने वाली परेड बेहद ही ख़ास होती है। इस परेड में देश के तमाम राज्य, सरकारी विभाग, सुरक्षाबल और मंत्रालय अपनी झाकियां पेश करते हैं। इन झाकियों की एक अलग ही छटा होती है। इसी क्रम में दक्षिण भारत के प्रवेश द्वार के नाम से जाना जाने वाला कर्नाटक राज्य की झांकी इस बार बेहद ही खास रहने वाली है। 

यह झांकी कितनी ख़ास होगी इसका अंदाजा BJP नेता और पूर्व मंत्री अरविंद लिंबावली एक ट्वीट से लगाया जा सकता है। उन्होंने झांकी की एक झलक दिखाते हुए ट्वीट किया। इस ट्वीट में उन्होंने लिखा कि इस गणतंत्र दिवस पर कर्नाटक की झांकी राज्य की उन आदर्श महिलाओं को समर्पित है जिन्होंने निस्वार्थ भाव से राज्य की सेवा की। इस बार हमारे झांकी दाई नरसम्मा, तुलसी गौड़ा हलाक्की और सालूमरदा थिमक्का की उपलब्धियों को प्रदर्शित करते हैं।

गणतंत्र दिवस पर कर्नाटक की झांकी में इस बार तुलसी गौडा और तिम्मक्का की उपलब्धियों को प्रदर्शित किया जाएगा। बता दें कि पर्यावरण संरक्षण से जुड़ीं तुलसी गौडा को जंगल की एनसाइक्लोपीडिया कहा जाता है। वे कर्नाटक में हलक्की स्वदेशी जनजाति से ताल्‍लुक रखती हैं।  72 साल की तुलसी गौडा एक गरीब और वंचित परिवार से हैं, और पिछले 6 दशकों से पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रही हैं। तुलसी गौड़ा ने छह दशकों से अधिक समय तक पर्यावरण के लिए काम किया और अब तक 30,000 से भी अधिक पौधे लगाए हैं। पद्म पुरस्कार लेने के लिए नंगे पैर पहुंची तुलसी गौडा ने PM नरेंद्र मोदी को भी भावुक कर दिया था 

 सालूमरदा तिमक्का को भी इस झांकी में किया गया शामिल 

इसके साथ ही कर्नाटक की एक और पर्यावरणविद सालूमरदा तिमक्का को भी इस झांकी में जगह दी है। कन्नडा में पीपल के पेड़ को सालू मरा कहा जाता है, तिम्मका ने 45 किलोमीटर हाईवे पर 365 बरगद के पेड़ लगाने के साथ उनका संरक्षण करने का श्रेय जाता है। इसके अलावा उन्होंने 8000 अलग अलग पेड़ लगाकर उनकी देखभाल भी की है। 

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