केरल में मंगलवार (8 जुलाई) को प्राइवेट बस से सफर करने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। यहां बस मालिक संघ की संयुक्त समिति ने हड़ताल का ऐलान किया है। समिति ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर एक सप्ताह के अंदर उनकी समस्याओं का कोई समाधान नहीं निकलता है तो वह सभी बस मालिक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।
बस मालिकों के संघों की संयुक्त समिति के सदस्यों ने परिवहन आयुक्त के साथ बातचीत की थी। इस बातचीत में कोई समाधान नहीं निकला। बातचीत विफल होने के बाद हड़ताल का ऐलान किया गया है और समाधान नहीं मिलने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी गई है।
क्यों हड़ताल पर गए बस ऑपरेटर?
बस ऑपरेटर कई मांगों को लेकर विरोध कर रहे हैं। इन मांगों में कई नियमों को वापस लेना भी शामिल है, जो सरकार की तरफ से सफर को सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने के लिए बनाए गए हैं, लेकिन उन नियमों का पालन करने में बस मालिकों को परेशानी हो रही है। इनमें परमिट का समय पर नवीनीकरण, छात्र रियायती किराए में वृद्धि, श्रमिकों के लिए अनिवार्य पुलिस मंजूरी प्रमाणपत्र की आवश्यकता को वापस लेना, ई-चालान सिस्टम के जरिए लगाए जाने वाले अत्यधिक जुर्माने को समाप्त करना, महंगे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की स्थापना को अनिवार्य बनाना शामिल है। समिति के नेताओं ने कहा कि यदि एक सप्ताह के भीतर आगे की बातचीत के माध्यम से कोई समाधान नहीं निकलता है, तो वे अपने आंदोलन को अनिश्चितकालीन हड़ताल में बदल देंगे।
इन मुद्दों पर नाराज हैं बस ऑपरेटर
पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट (पीसीसी) की अनिवार्यता: मोटर वाहन विभाग (एमवीडी) ने मई 2025 में एक नियम लागू किया, जिसके तहत निजी बसों के चालक दल (ड्राइवर, कंडक्टर, क्लीनर) के लिए पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट अनिवार्य है। इस नियम से बस उद्योग, जो लगभग 40,000 लोगों को रोजगार देता है, प्रभावित हुआ है। ऑपरेटरों और ट्रेड यूनियनों का आरोप है कि छोटे-मोटे मामलों, जैसे पारिवारिक विवाद या ट्रेड यूनियन प्रदर्शन में भागीदारी, के आधार पर भी पीसीसी देने से मना किया जा रहा है। इससे कर्मचारियों की नियुक्ति और बस संचालन में बाधा आ रही है।
पर्मिट और दूरी सीमा: निजी बस ऑपरेटरों का कहना है कि सरकार 140 किलोमीटर से अधिक दूरी की सेवाओं के लिए पर्मिट नवीनीकरण में बाधा डाल रही है। केरल हाई कोर्ट ने हाल ही में सरकार द्वारा निजी बसों पर लगाए गए दूरी प्रतिबंध को रद्द कर दिया, जिसे ऑपरेटर मोटर वाहन अधिनियम और केरल मोटर वाहन नियमों का उल्लंघन मानते थे। यह फैसला केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (KSRTC) के लिए झटका था, क्योंकि इससे निजी बसों को लंबी दूरी की सेवाएं फिर से शुरू करने की अनुमति मिल गई।
वेतन और सुविधाएं: निजी बस ऑपरेटरों ने ड्राइवरों और कंडक्टरों के लिए न्यूनतम वेतन लागू करने की मांग की है, जो वर्तमान में KSRTC कर्मचारियों के लिए लागू है। इसके अलावा, वे चाहते हैं कि कर्मचारियों को सात घंटे की ड्यूटी और अन्य सुविधाएं दी जाएं।
छात्रों के लिए रियायती किराया: ऑपरेटरों ने मांग की है कि छात्रों के लिए रियायती किराए की समीक्षा की जाए, क्योंकि यह उनकी आय को प्रभावित करता है। कुछ जगहों पर, जैसे कासरगोड में, निजी बसें रियायती किराए के कारण छात्रों को बस में चढ़ाने से बचती हैं।
बस ऑपरेटर संघ के आरोप
बस ऑपरेटरों का आरोप है कि परिवहन मंत्री निजी बस उद्योग को नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ ऑपरेटरों का कहना है कि KSRTC को पुरानी बसों के संचालन और टीवी जैसी सुविधाओं की अनुमति है, जबकि निजी बसों पर सख्त नियम लागू किए जाते हैं। इसके अलावा, कुछ स्थानों पर निजी बसें नियमों का उल्लंघन करती हैं और सरकारी बसों की तुलना में कम संख्या में उपलब्ध हैं।