Thursday, April 25, 2024
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Rajat Sharma’s Blog: सबसे बड़ा हिन्दुत्ववादी कौन है? राज या उद्धव ठाकरे?

उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे आमने-सामने हैं, और मुकाबला इस बात का है कि कौन बड़ा 'हिंदुत्ववादी' है।

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: May 05, 2022 17:38 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने मस्जिदों और मंदिरों में लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल के खिलाफ अपना आंदोलन बुधवार को पूरे राज्य में शुरू कर दिया। पुलिस ने ऐसे कई MNS कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया जो मस्जिदों के बाहर लाउडस्पीकरों पर हनुमान चालीसा बजाने की कोशिश कर रहे थे। रविवार को हुई औरंगाबाद की रैली में अपने भाषण के लिए राज ठाकरे पर गिरफ्तारी की तलवार पहले ही लटकी हुई है।

महाराष्ट्र सरकार के गृह विभाग ने बुधवार को कहा कि मुंबई की 1135 मस्जिदों में से 135 मस्जिदों में 2005 के अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित डेसिबल सीमा से ज्यादा तेज आवाज में अजान हुई। गृह विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि करीब 1500 मस्जिदों और 1300 मंदिरों ने लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के लिए राज्य सरकार से इजाजत मांगी है।

पिछले 24 घंटों में पुलिस ने 56 लोगों को कानून-व्यवस्था से जुड़ी समस्या पैदा करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। इनमें से ज्यादातर MNS कार्यकर्ता थे। पुलिस ने 2300 लोगों के खिलाफ, जिनमें ज्यादातर MNS कार्यकर्ता हैं, प्रिवेंटिव ऐक्शन लिया है और लगभग 7000 लोगों को नोटिस जारी किया है।

राज ठाकरे ने एक बात साफ-साफ कही है कि उनकी पार्टी ऐसे सभी मंदिरों और मस्जिदों के खिलाफ आंदोलन करेगी जहां लाउडस्पीकर तय सीमा से ज्यादा डेसिबल से बजाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर शिवसेना के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने में नाकाम रहती है तो उनकी पार्टी अपना आंदोलन जारी रखेगी।

लाउडस्पीकर के मुद्दे पर सत्तारूढ़ शिवसेना ने बुधवार को पैंतरा बदल लिया। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि राज ठाकरे के नेतृत्व में चल रहे आंदोलन की वजह से महाराष्ट्र में शिरडी साईं बाबा मंदिर और त्र्यंबकेश्वर भगवान शिव मंदिर जैसे बड़े मंदिरों में लाउडस्पीकर पर सुबह की 'काकड़ आरती' नहीं हुई जिसके कारण भक्त इसका आनंद नहीं ले सके। राउत ने कहा, ‘महाराष्ट्र में आम जन उन लोगों पर गौर नहीं करते, जो ‘छद्म हिंदुत्ववादियों’ के समर्थन से शिवसेना के खिलाफ साजिश रचते हैं।’

संजय राउत ने कहा, ‘महाराष्ट्र में लाउडस्पीकर संबंधी सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है, और स्थिति उस स्तर तक नहीं पहुंची है, जहां मुंबई या महाराष्ट्र में किसी आंदोलन की जरूरत हो।’ राज ठाकरे ने शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे का एक पुराना वीडियो पोस्ट किया जिसमें वह कह रहे थे, ‘जिस दिन उनकी पार्टी सत्ता में आएगी, सड़कों पर नमाज बंद कर दी जाएगी और मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटा दिए जाएंगे।’

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए संजय राउत ने कहा, ‘हम इतने नीचे नहीं गिरे हैं। हम अब भी उनके सिद्धांतों पर चल रहे हैं। बाला साहेब ने लाउडस्पीकर और सड़क पर नमाज अदा करने को लेकर अपना रुख स्पष्ट किया था। सत्ता में आने के बाद उन्होंने इसे रोका भी। शिवसेना को कोई हिंदुत्व नहीं सिखाए।’ अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र में ठाकरे सरकार है। भले ही राज्य में महा विकास अघाड़ी (गठबंधन) की सरकार हो, इसका नेतृत्व उद्धव ठाकरे कर रहे हैं। वह हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे के बेटे हैं, सेना प्रमुख हैं। इसलिए, उन्हें सड़कों पर नमाज पढ़ने और मस्जिदों में अवैध लाउडस्पीकर के बारे में सलाह की जरूरत नहीं है।’

संजय राउत शिवसेना सरकार के प्रवक्ता हैं, और उन्हें अपनी पार्टी को डिफेंड करने का पूरा अधिकार है। लेकिन उनकी बात तथ्यों के आधार पर गलत है। मंदिरों या मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की जरूरत नहीं है। सरकार को लाउडस्पीकरों के वॉल्यूम को तय सीमा पर रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश को लागू करने की जरूरत है। राज्य सरकार ने धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के इस्लेमाल की इजाजत देने के लिए पहले से ही दिशानिर्देश तय कर रखे हैं। मुंबई में सिर्फ 24 मंदिरों और 922 मस्जिदों को लाउडस्पीकर के इस्तेमाल की इजाजत मिली है। राज्य सरकार को सभी लाउडस्पीकरों के डेसिबल स्तर को नियम के मुताबिक रखने की जरूरत है, लेकिन अब पूरे मामले का राजनीतिकरण कर दिया गया है।

अब जबकि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे आमने-सामने हैं, तो मुकाबला इस बात का है कि कौन बड़ा 'हिंदुत्ववादी' है और कौन बाल ठाकरे का असली अनुयायी है। राज ठाकरे यह साबित करने में लगे हैं कि बालासाहेब के बेटे उद्धव कुर्सी के लालच में अपने पिता की विचारधारा को भूल गए हैं, जबकि शिवसेना यह साबित करने में लगी है कि राज ठाकरे अपनी पार्टी के राजनीतिक अस्तित्व को बचाने की जद्दोजहद में बीजेपी के हाथों का मोहरा बन गए हैं। शिवसेना के नेता खुलेआम कह रहे हैं कि राज ठाकरे ने जिन बाल ठाकरे का साथ उनके जीते जी छोड़ दिया था और अपनी पार्टी बना ली थी, अब अपने उन्हीं चाचा के नाम का इस्तेमाल वह अपनी सियासत चमकाने के लिए कर रहे हैं।

राज ठाकरे लाउडस्पीकर के खिलाफ अपना आंदोलन 3 मई से शुरू करना चाहते थे, लेकिन चूंकि इस दिन ईद मनाई जा रही थी, इसलिए उन्होंने इसे एक दिन के लिए टाल दिया। बुधवार को महाराष्ट्र के अलग-अलग शहरों में MNS कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए और अजान के दौरान मस्जिदों के बाहर लाउडस्पीकरों पर हनुमान चालीसा बजाने की कोशिश की। इंडिया टीवी के रिपोर्टर मुंबई के मुस्लिम बहुल इलाके भिंडी बाजार की मीनारा मस्जिद गए, और पाया कि 8 लाउडस्पीकरों से 'अजान' की आवाज का डेसिबल लेवल बहुत ज्यादा था। मस्जिद से नमाज पढ़कर निकल रहे लोगों ने हमारे रिपोर्टर से कहा कि लाउडस्पीकर पर अजान हो या न हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि जो 5 वक्त के नमाजी हैं उन्हें अजान की जरूरत नहीं होती है। कुछ नमाजियों का यह भी कहना था कि लाउडस्पीकर पर 2 मिनट की अजान को इतना बड़ा मुद्दा बनाना गलत है।

बुधवार की रात अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में, हमने पुणे, नासिक, औरंगाबाद, उस्मानाबाद, सोलापुर और धुले के वीडियो दिखाए, जहां MNS कार्यकर्ता मस्जिदों के बाहर हनुमान चालीसा बजाने के लिए लाउडस्पीकर सिस्टम के साथ पहुंचे थे। पुणे के मारुति मंदिर में, जहां राज ठाकरे पिछले महीने 'महाआरती' करने आए थे, MNS कार्यकर्ताओं ने बुधवार को पूजा-अर्चना की। सोलापुर के मारुति मंदिर में, जब MNS कार्यकर्ताओं ने लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा बजाना शुरू किया, तो पुलिस ने उन्हें रोक दिया क्योंकि वहां से कुछ सौ मीटर की दूरी पर एक मस्जिद थी। MNS कार्यकर्ताओं ने तब 'ढोलक' और घंटियां बजाते हुए हनुमान चालीसा का पाठ किया।

धुले में, MNS कार्यकर्ताओं ने शिवतीर्थ चौक पर जय श्री राम और जय हनुमान के नारे लगाए और दोपहर की अजान के वक्त एक मस्जिद की ओर बढ़ने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें घेर लिया। नासिक में, MNS कार्यकर्ताओं ने 'फज्र' की नमाज (सुबह की नमाज) के दौरान एक मस्जिद के पास लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा बजाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उनके लाउडस्पीकर और एम्पलीफायर को जब्त कर लिया और कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया।

असल में झगड़ा मंदिर, मस्जिद, अजान या हनुमान चालीसा का नहीं है। झगड़ा सत्ता का है। राज ठाकरे सियासी हैसियत वापस पाना चाहते हैं और उद्धव ठाकरे सत्ता कायम रखना चाहते हैं। दोनों के लिए जरिया एक ही है, प्रखर हिन्दुत्व। और इसके प्रतीक हैं बालासाहेब ठाकरे।

उद्धव ठाकरे को अपनी राजनीतिक मजबूरियों की वजह से फिलहाल प्रखर हिंदुत्व के बारे में बोलने से बचना होगा। वह अपने पिता बालासाहेब ठाकरे के टेप नहीं चला सकते, जो कि हिंदुत्व पर जोशीले भाषण दिया करते थे। उद्धव ने अपने पिता के पुराने टेप चलाने शुरू किए तो उनके मुख्य सहयोगी एनसीपी और कांग्रेस पावर कनेक्शन काट देंगे।

राज ठाकरे, उद्धव की मजबूरी को बखूबी समझ रहे हैं। इसीलिए वह लाउडस्पीकर लेकर निकले हैं और बाल ठाकरे के टेप जोर-जोर से बजा रहे हैं। मुकाबला इस बात का है कि कौन बड़ा हिन्दुत्ववादी है, और कौन बाल ठाकरे का असली अनुयायी है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 04 मई, 2022 का पूरा एपिसोड

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