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RSS प्रमुख मोहन भागवत बोले- दुनिया में ऐसी ताकतें हैं जो चाहते हैं कि भारत बलवान न बने, जानिए और क्या कहा

मोहन भागवत ने कहा कि कुछ शक्तियां हमें बांटना चाहती हैं। दुनिया में ऐसी भी ताकते हैं जो चाहते हैं कि भारत बलवान न बने। उन्होंने कहा कि भारत में रहने वाले सभी लोग हम सब मन से एक हैं।

Reported By : Yogendra Tiwari Edited By : Malaika Imam Published : Jul 04, 2024 14:35 IST, Updated : Jul 04, 2024 14:35 IST
मोहन भागवत - India TV Hindi
Image Source : PTI मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS के सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत ने कहा कि जो लोग भारत को बड़ा होते नहीं देखना चाहते हैं वह देश और समाज को बांटने में लगे हैं, जबकि भारत में रहने वाले सभी लोग एक आत्मा, एक शरीर हैं, हम सब मन से एक हैं। जब राष्ट्र की सीमा पर आक्रमण होता है, तब कोई किसी से यह नहीं पूछता कि तुम कहां से हो, सब एक मन, एक भाव से राष्ट्र की सुरक्षा के लिए एकजुट रहते हैं। आरएसएस प्रमुख ने ये बातें 3 जुलाई को एम्स ऋषिकेश आने वाले मरीजों के लिए विश्राम सदन के लोकार्पण पर कही।

डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि हमने अपने स्वार्थ पूरा करने के लिए बाहर वालों को बुलाया। हमारे लिए बाहर वाला तो कोई होता नहीं है, लेकिन दूसरों को बुलाकर हमने उससे सांप मरवाए, सांप जिसको हम समझते थे, इसलिए हम गुलाम बने, फिर हमारा शोषण हुआ, हमारा धन चला गया, क्योंकि हम अपने स्वत्व को भुला दिए, यही हमारा स्वत्व भारत का, यही हमारा सत्य है। भारत में जन्म लेना कितने मनुष्यों के जन्म का फल है, प्रार्थना करते भगवान हमको भारत में जन्म देना, उसी पुण्य के कारण दुनिया के लोग ऐसी प्रार्थना करने वाले कुछ लोग हैं, परंतु जिस दिन हमने इसको भुला दिया, उस दिन से क्या हुआ हम भूल गए, हमने परवाह नहीं कि हम एक दूसरे से दूर होते चले गए, आपस में झगड़ते चले गए।

"हम एक राष्ट्र हैं, हम एक समाज हैं"

उन्होंने कहा कि दुनिया में ऐसी भी ताकतें हैं जो चाहते हैं कि भारत बलवान ना बने। भारत के बलवान होने से जिनके स्वार्थ की दुकान बंद हो जाएगी, ऐसी भी तकतें दुनिया में हैं। उनका प्रयास है कि भारत कभी नहीं उठे। ऊपर से चिकनी-चुपड़ी बातें करेंगे, लेकिन अंदर से सब समझते हैं, हम भी जानते हैं, जिनको जानना है वो भी जानते हैं, उनका यह शतत उद्देश्य रहता है कि हम आपस में बंटे रहे, आपस में लड़ते रहे, इसको ठीक करना है। हम एक राष्ट्र हैं, हम एक समाज हैं, हमारा एक शरीर है, जन-गण मन कहते हैं, हम मन से एक हैं। कितने भी झगड़े होते हो, कितनी भी उटपटांग बातें एक दूसरे के बारे में कहते हों, लेकिन जब भारत की सीमा पर आक्रमण होता है, तो सारा देश भेद भूल जाता है और खड़ा हो जाता है, इतने समय के लिए यह कहां से आता है, यह अंदर का सत्य है।

महापुरुषों को लेकर क्या बोले RSS चीफ? 

उन्होंने कहा कि कई महापुरुष ऐसे हैं जिनको लेकर हम देश में जाते हैं, किसी का विरोध नहीं है, सब उनके स्मरण में जुड़ जाते हैं। विवेकानंद, शिवाजी महाराज ऐसे नाम हैं, ऐसे पूर्वजों को हम अपना गौरव मानते हैं। आज भारत की बल एक प्रतिष्ठा हो गई है। भारत के खिलाड़ी अव्वल आ सकते हैं। भारत भी चंद्रमा के दक्षिण भाग में जहां अब तक कोई नहीं गया वहां यान उतार सकता है। भारत डटकर सीमा में खड़ा रहता है। उपद्रवियों को अंदर घुसकर मारता है। यह प्रतिष्ठा भारत की बनी। स्वामी विवेकानंद के पास एक ढेला नहीं था, उन्होंने कुछ कमाया नहीं, घर में दरिद्रता थी। विवेकानंद ने कुछ नहीं कमाया, ग्राम पंचायत में चुनकर कभी नहीं आए, कोई सत्ता स्थान नहीं मिला, क्योंकि उनके जीवन का ध्येय स्पष्ट था।

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