Wednesday, December 11, 2024
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सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, मद्रास HC के आदेश पर लगाई रोक; 2 लड़कियों को बंधक बनाने का आरोप

सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन पर महिलाओं को गुमराह कर के रखने का आरोप लगाया जा रहा था। मद्रास हाईकोर्ट ने 30 सितंबर को कहा था कि पुलिस ईशा फाउंडेशन से जुड़े सभी क्रिमिनल केसों की डिटेल पेश करे। अगले दिन 1 अक्टूबर को करीब 150 पुलिसकर्मी आश्रम में जांच करने पहुंचे थे।

Reported By : Atul Bhatia Edited By : Khushbu Rawal Published : Oct 03, 2024 12:48 IST, Updated : Oct 03, 2024 12:57 IST
sadhguru jaggi vasudev- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO सदगुरु जग्गी वासुदेव

ईशा फाउंडेशन के संस्थापक और प्रमुख सद्गुरु जग्गी वासुदेव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ईशा फाउंडेशन के खिलाफ पुलिस जांच के आदेश पर रोक लगा दी है। फाउंडेशन के खिलाफ रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। कामराज ने हाईकोर्ट में दायर हैबियस कॉर्पस पिटीशन में आरोप लगाया था कि उनकी बेटियों लता और गीता को ईशा फाउंडेशन के आश्रम में बंधक बनाकर रखा गया है। इसके बाद हाईकोर्ट ने आश्रम के खिलाफ जांच का आदेश दिया था।

मद्रास हाईकोर्ट ने 30 सितंबर को कहा था कि पुलिस ईशा फाउंडेशन से जुड़े सभी क्रिमिनल केसों की डिटेल पेश करे। अगले दिन 1 अक्टूबर को करीब 150 पुलिसकर्मी आश्रम में जांच करने पहुंचे थे। सद्गुरु ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया।

CJI ने कामराज की दोनों बेटियों से की बात

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाएंगे। मामले पर टिप्पणी करते हुए चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आप ऐसे संस्थान में पुलिसकर्मियों की फौज नहीं भेज सकते। हालांकि चीफ जस्टिस ने कहा कि वो चैंबर में ऑनलाइन मौजूद दोनों महिलाओं से बात करेंगे और उसके बाद आदेश पढ़ेंगे।

CJI ने एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज की दोनों बेटियों से बात करने के बाद यह आदेश पारित किया। कामराज की बेटियों ने फोन पर बातचीत के दौरान CJI को बताया कि वो अपनी मर्जी से आश्रम में रह रही हैं और अपनी मर्जी से आश्रम से बाहर आ जा सकती हैं।

कामराज के आरोपों पर ईशा फाउंडेशन ने दिया था जवाब

इससे पहले पूरे प्रकरण पर ईशा फाउंडेशन की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में इन आरोपों का खंडन किया गया था कि ईशा आश्रम में मौजूद लोगों को विवाह करने का सन्यासी बनने के लिए प्रेरित करता है। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि ईशा फाउंडेशन की स्थापना सद्गुरु ने लोगों को योग और आध्यात्मिकता प्रदान करने के लिए की थी। हमारा मानना ​​है कि वयस्क व्यक्ति को अपना मार्ग चुनने की स्वतंत्रता और बुद्धि है। हम लोगों से विवाह करने या संन्यासी बनने के लिए नहीं कहते क्योंकि ये व्यक्तिगत विकल्प हैं।

'अपनी इच्छा से ईशा योग केंद्र में रह रहे'

संस्था ने कहा है कि ईशा योग केंद्र में हजारों ऐसे लोग रहते हैं जो संन्यासी नहीं हैं और कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने ब्रह्मचर्य या संन्यासी का पद ग्रहण कर लिया है। इसके बावजूद याचिकाकर्ता चाहते थे कि संन्यासियों को न्यायालय के समक्ष पेश किया जाए और संन्यासियों ने न्यायालय के समक्ष खुद को पेश किया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे अपनी इच्छा से ईशा योग केंद्र में रह रहे हैं। अब जबकि मामला न्यायालय के संज्ञान में आ गया है, हमें उम्मीद है कि सत्य की जीत होगी और सभी अनावश्यक विवादों का अंत होगा।

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