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Sedition Law: क्या राजद्रोह कानून खत्म होगा? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कल तक जवाब मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश में अभी तक जितने IPC 124-A एक्ट के तहत केस हैं, उनका क्या होगा? वह राज्य सरकारों को निर्देश क्यों नहीं दे रहा है कि जब तक इस कानून को लेकर पुनर्विचार प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक 124ए के तहत मामलों को स्थगित रखा जाए।

Edited by: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : May 10, 2022 19:05 IST
Supreme Court- India TV Hindi
Image Source : PTI Supreme Court

Highlights

  • देशद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र से मांगा जवाब
  • कोर्ट ने कानून पर पुनर्विचार तक नागरिकों को राजद्रोह के मामलों से रक्षा पर मांगा है जवाब

Sedition Law: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देशद्रोह कानून पर सख्ती दिखाते हुए केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या इस एक्ट में अब केस दर्ज होंगे या नहीं? कोर्ट ने केंद्र सरकार को 11 मई तक का समय दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि देशद्रोह के संबंध में औपनिवेशिक युग के कानून पर किसी उपयुक्त मंच द्वारा पुनर्विचार किए जाने तक नागरिकों के हितों की सुरक्षा के मुद्दे पर वह अपने विचारों से अवगत कराए। प्रधान न्यायाधीश एन. वी.रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र की उन दलीलों पर गौर किया जिनमें कहा गया है कि उसने एक उपयुक्त मंच द्वारा देशद्रोह कानून की "पुन: जांच और पुनर्विचार" कराने का फैसला किया है।

हनुमान चालीसा पढ़ने पर लगाया गया देशद्रोह कानून

कोर्ट ने आगे कहा कि देश में अभी तक जितने IPC 124-A एक्ट के तहत केस हैं, उनका क्या होगा? वह राज्य सरकारों को निर्देश क्यों नहीं दे रहा है कि जब तक इस कानून को लेकर पुनर्विचार प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक 124ए के तहत मामलों को स्थगित रखा जाए। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह इस संबंध में सरकार से निर्देश लेंगे और बुधवार को इससे पीठ को अवगत कराएंगे। पीठ ने कहा, ‘‘हम इसे काफी स्पष्ट कर रहे हैं। हम निर्देश चाहते हैं। हम आपको कल तक का समय देंगे। हमारे विशिष्ट सवाल हैं: पहला लंबित मामलों के बारे में और दूसरा, यह कि सरकार भविष्य के मामलों पर कैसे गौर करेगी...।’’

सुप्रीम कोर्ट ने देशद्रोह कानून के दुरुपयोग की चिंता को जाहिर किया और नवनीत राणा का मामला उठाया। कोर्ट ने कहा अटॉर्नी जनरल ने खुद कहा था कि हनुमान चालीसा पढ़ने पर देशद्रोह कानून लगाया जा रहा है।

'नागरिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के सम्मान के पक्षधर रहे हैं मोदी'
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में कहा कि उसका निर्णय औपनिवेशिक चीजों से छुटकारा पाने के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों के अनुरूप है और वह नागरिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के सम्मान के पक्षधर रहे हैं। हलफनामे में कहा गया है कि इसी भावना से 1,500 से अधिक अप्रचलित हो चुके कानूनों को समाप्त कर दिया गया है। सर्वोच्च अदालत राजद्रोह संबंधी कानून की वैधता को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

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