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Syama Prasad Mukherjee Birth Anniversary: कभी नेहरू सरकार में मंत्री थे श्यामा प्रसाद मुखर्जी, बाद में की जनसंघ की स्थापना, और फिर आई BJP

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस से की। एक समय वो नेहरू सरकार में मंत्री ने लेकिन फिर उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उन्होंने जनसंघ की स्थापना की।

Written By: Avinash Rai @RaisahabUp61
Published : Jul 06, 2024 11:10 IST, Updated : Jul 06, 2024 11:26 IST
Syama Prasad Mukherjee Birth Anniversary who founded the Jana Sangh was once a minister in the Nehru- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO कहानी श्यामा प्रसाद मुखर्जी की

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आज जयंती है। 6 जुलाई 1901 को उनका जन्म कलकत्ता के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। पिता का नाम आशुतोष मुखर्जी था, जो कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। साल 1917 में मैट्रिक की पढ़ाई की। साल 1921 में उन्होंने बीए की डिग्री ली। साल 1923 में उन्होंने लॉ की डिग्री ली, जिसके बाद वह इंग्लैंड चले गए। साल 1926 में वह इंग्लैंड पहुंचे और वहां से जब वापस भारत पहुंचे तो वह बैरिस्टर बन चुके थे। 33 वर्ष की आयु में डॉ. मुखर्जी कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति बने। फिर एक समय आया जब वो सांसद, मंत्री बने और फिर उन्होंने जनसंघ की स्थापना की। 

हिंदू महासभा में शामिल हुए डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी

राजनीतिक जीवन की शुरुआत में वो कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे। हालांकि मतभेद होने पर वह हिंदू महासभा के सदस्य बन गए। बता दें कि इस समय विनायक दामोदर सावरकर भी उस समय हिंदू महासभा के नेता था। ये समय था आजादी के आसपास का। साल 1939 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी पश्चिम बंगाल के प्रवास पर गए। इस दौरान उनकी मुलाकात हुई विनायक दामोदर सावरकर से। इसके बाद उन्होंने हिंदू महासभा की सदस्यता ली। एक समय आया जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी को यह एहसास हो गया कि मुस्लिम लीग भारत में अलगाव पैदा कर रही है। राजनीतिक दलों द्वारा मुसलमानों के अधिकारों की बात की जाती, लेकिन हिंदुओं की बात उठाने केलिए कोई राजनीतिक दल सामने नहीं आता।

नेहरू मंत्रिमंडल से दिया इस्तीफा

साल 1947 में भारत को आजादी मिली। इसके बाद पहली बार सरकार का गठन किया या और मंत्रिमंडल की स्थापना की गई। पहले मंत्रिमंडल में पंडित नेहरू ने महात्मा गांधी और सरदार वल्लभ भाई पटेल के कहने पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उद्योग मंत्री के तौर पर जगह दी। हालांकि उस समय परिस्थितियां ऐसी थीं कि वह उसे देखकर शांत नहीं रह पाए और उन्होंने साल 1950 में अपने पद से और कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। दरअसल श्यामा प्रसाद मुखर्जी मानते थे कि नेहरू-लियाकत पैक्ट के जरिए हिंदुओं के साथ धोखा किया गया है। इसी से नाराज होकर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। 

जनसंघ की डाली नींव

इसके बाद 21 मई 1951 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय के साथ मिलकर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश को कांग्रेस का एक सशक्त राजनीतिक विकल्प देने के लिए भारतीय जनसंघ की स्थापना की। 21 अक्तूबर 1951 इसका पहले अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस दौरान डॉ. मुखर्जी को जनसंघ का अध्यक्ष और पंडित दीनदयाल उपाध्याय को महामंत्री चुना गया। साल 1952 में पहली बार आम चुनाव हुए थे। इस दौरान बंगाल से जीतकर डॉ. मुखर्जी लोकसभा पहुंचे। इस दौरान सदन में श्यामा प्रसाद मुखर्जी कांग्रेस के खिलाफ मुखर होकर बोलते थे। बता दें कि जम्मू कश्मीर को लेकर उनका रुख यही था कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया जाए। साथ ही जम्मू कश्मीर को भारतीय संविधान के तहत लाया जाए। आगे चलकर जनसंघ के ही नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की।

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