Friday, April 26, 2024
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Bihar Politics: क्या लालू प्रसाद यादव बने रहेंगे राजद अध्यक्ष, पार्टी चुनावों से पहले अटकलें तेज

Bihar Politics: बिहार की राजनीति में एक बात बहुत जोर पकड़ रही कि लालू राजद के अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे या नहीं क्योंकि तेजस्वी यादव अब इस भूमिका के लिए पार्टी के नेताओं के बीच एक ऑप्शन के तौर पर देखे जा रहे हैं।

Pankaj Yadav Written By: Pankaj Yadav
Updated on: August 05, 2022 6:21 IST
Laloo Prashad Yadav- India TV Hindi
Image Source : ANI Laloo Prashad Yadav

Highlights

  • पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव पर होगी बैठक
  • लालू की खराब तबीयत को देखकर लिया जा सकता है फैसला

Bihar Politics: बिहार का मुख्य विपक्षी दल, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) अपने संस्थापक प्रमुख लालू प्रसाद के खराब स्वास्थ्य की वजह से बने अनिश्चितता के महौल के बीच संगठनात्मक चुनावों की तैयारी कर रहा है। इस साल अक्टूबर में राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होना है। राजद प्रदेश मुख्यालय द्वारा जारी कार्यक्रम के अनुसार बूथ, पंचायत, प्रखंड और जिला स्तर पर पार्टी की इकाइयों के लिए चुनाव 16 अगस्त से शुरू होकर छह सितंबर तक चलेगा। 21 सितंबर को पार्टी के प्रदेश अध्यक्षों और राज्य कार्यकारिणी के सदस्यों तथा शीर्ष निकाय राष्ट्रीय परिषद के लिए चुनाव होंगे। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए 11 अक्टूबर को दिल्ली में परिषद की बैठक होगी। 

राजद के संस्थापक लालू

लालू प्रसाद ने 1997 में जनता दल को विभाजित करते हुए राजद का गठन किया था। राजद के शीर्ष पद (राष्ट्रीय अध्यक्ष) के लिए हमेशा निर्विरोध चुने गए लालू प्रसाद यादव वर्तमान में पार्टी के इस पद पर लगातार 11 वां कार्यकाल संभाल रहे हैं। चारा घोटाले के मामलों में सजा काट रहे लालू प्रसाद यादव आखिरी बार 2019 में इस पद पर निर्विरोध निर्वाचित घोषित किए गए थे। 

क्या लालू की जगह लेंगे तेजस्वी

पिछले कुछ समय से यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या बीमार लालू प्रसाद यादव पद छोड़ने पर विचार करेंगे। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे और उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाने वाले तेजस्वी यादव को अपने नेता के रूप में स्वीकार कर लिया है। युवा नेता तेजस्वी का कद तब बढ़ गया है, जब उनके नेतृत्व में 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया। इस चुनाव में राजद प्रदेश में सबसे बड़े दल के रूप में उभरा पर बहुमत हासिल करने में असफल रहा। बिहार विधानसभा में वर्तमान में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी का उत्थान एक ‘‘पीढ़ीगत बदलाव’’ का संकेत देगा, जिसके संकेत उच्च जातियों और महिलाओं को पार्टी में अधिक भागीदारी दिए जाने जैसे कदमों में दिखाई दे रहे हैं। 

तेजस्वी के भाई-बहन की राजनीतिक महत्वकांक्षाओं का क्या 

हालांकि, लालू प्रसाद यादव द्वारा राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाने वाले छोटे पुत्र तेजस्वी यादव के लिए पार्टी का शीर्ष पद छोड़ने की स्थिति में तेजस्वी के भाई-बहन की प्रतिद्वंद्विता से स्थिति बिगड़ने की आशंका है। लालू प्रसाद की सबसे बड़ी बेटी मीसा भारती और बडा बेटा तेजप्रताप यादव राजनीति में सक्रिय हैं और दोनों हालांकि तेजस्वी को पसंद करने का दावा करते हैं। पर उनकी ‘‘दबी हुई महत्वाकांक्षा’’ एक खुला रहस्य बना हुआ है। 

लालू की बीमारी उनके राजनीति में रोड़ा नहीं -शिवानंद तिवारी

राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी जो पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं, ने बताया कि तेजस्वी पहले से ही पार्टी के भीतर कई मामलों पर अपनी पकड़ रखते हैं। मसलन मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह उनकी पसंद के हैं।  इसलिए ऐसा नहीं है कि युवा नेता को अपने पिता से अधिक समर्थन की आवश्यकता है। लेकिन सभी को साथ रखने के लिए लालू प्रसाद यादव को शीर्ष पर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि वह इस्तीफा देंगे। अस्वस्थता शायद ही उन्हें पार्टी के शीर्ष पद के लिए अनुपयुक्त बनाती है। 

राजद में बस भाई-भतीजावाद की राजनीति होती है

लालू प्रसाद यादव के कट्टर प्रतिद्वंद्वी नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) का मानना है कि पूर्व मुख्यमंत्री की पार्टी को संगठनात्मक चुनावों में ‘‘एक ऐतिहासिक क्षण’’ का सामना करना पड़ रहा है। बिहार विधान परिषद में जदयू सदस्य और पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता नीरज कुमार ने भ्रष्टाचार के आरोपों के एक स्पष्ट संदर्भ में कहा कि राजद जयप्रकाश नारायण (जेपी के नाम से चर्चित) और राम मनोहर लोहिया की विचारधारा का अनुयायी होने का दावा करता है। हम भी ऐसा ही करते हैं और उनके दावे से हमारा कोई विवाद नहीं है। लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए कि जेपी और लोहिया हमेशा भाई-भतीजावाद और धन बल की राजनीति के खिलाफ थे। राजद पर लालू परिवार के इर्द-गिर्द सीमित होने का आरोप लगता रहा है। नीरज ने इसी संदर्भ में कहा कि राजद के पास उन कार्यकर्ताओं जिनकी न तो राजनीतिक पृष्ठभूमि रही हो और न ही गहरी जेब रखते हैं, को बढ़ावा देने का एक ऐतिहासिक अवसर है। हम जदयू में ऐसा करते रहे हैं। वे ऐसा ही कर सकते हैं यदि वे इच्छा शक्ति रखते हैं।

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