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BJP ने पार्टी में फिर से शामिल के लिए किया आमंत्रित: निष्कासित नेता ईश्वरप्पा

ईश्वरप्पा ने इसके पहले पार्टी से बगावत की थी और आला कमान के निर्देशों को नजरअंदाज करके लोकसभा का चुनाव भी लड़ा। लेकिन लोकसभा चुनाव में ईश्वरप्पा को पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के बड़े बेटे बी वाई राघवेन्द्र के हाथों हार का सामना करना पड़ा।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Jul 01, 2024 22:30 IST, Updated : Jul 01, 2024 22:30 IST
Eshwarappa- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO के एस ईश्वरप्पा

शिवमोगा (कर्नाटक): भारतीय जनता पार्टी (BJP) से निष्कासित के एस ईश्वरप्पा ने सोमवार को कहा कि भाजपा की ओर से उन्हें पार्टी में फिर से शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि वह पार्टी में फिर से शामिल होने को लेकर जल्दबाजी में नहीं हैं और फैसला करने से पहले इस पर विचार करेंगे। ईश्वरप्पा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘कुछ भाजपा नेताओं ने मुझसे संपर्क करके पार्टी में फिर शामिल होने के लिए कहा। मैंने अभी तक फैसला नहीं किया है। मैं जल्दबाजी में नहीं हूं।’’

आला कमान के निर्देशों को नजरअंदाज करके लड़ा था चुनाव

ईश्वरप्पा ने इसके पहले पार्टी से बगावत की थी और आला कमान के निर्देशों को नजरअंदाज करके लोकसभा का चुनाव भी लड़ा। लेकिन लोकसभा चुनाव में ईश्वरप्पा को पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के बड़े बेटे बी वाई राघवेन्द्र के हाथों हार का सामना करना पड़ा। ईश्वरप्पा इसके पहले उपमुख्यमंत्री, कर्नाटक विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष जैसे कई अहम पदों पर रह चुके हैं।

क्यों नाराज हुए थे ईश्वरप्पा?

ईश्वरप्पा तब रुष्ट हो गये जब पार्टी ने आम चुनाव में हावेरी लोकसभा सीट से उनके बेटे के ई कांतेश को टिकट नहीं दिया। इसके बाद उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता बी एस येदियुरप्पा और उनके दोनों बेटों राघवेंद्र और बी वाई विजयेन्द्र के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और कर्नाटक में भाजपा को एक ‘परिवारवादी पार्टी’ बनाने का आरोप लगाया। बी वाई विजयेन्द्र फिलहाल भाजपा की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष हैं।

BJP के वरिष्ठ नेता रहे हैं ईश्वरप्पा

येदियुरप्पा और दिवंगत एचएन अनंत कुमार के साथ ईश्वरप्पा को कर्नाटक में जमीनी स्तर पर भाजपा को खड़ा करने का श्रेय दिया जाता है। पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले 75 वर्षीय ईश्वरप्पा ने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से कहा था कि वह चुनावी राजनीति से संन्यास लेना चाहते हैं और उन्हें किसी भी निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारने पर विचार न किया जाए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तब ईश्वरप्पा को फोन किया था और उनसे वीडियो कॉल पर बात की थी तथा पार्टी के निर्देशों के अनुसार, चुनावी राजनीति से संन्यास लेने के उनके कदम की सराहना की थी। (भाषा इनपुट्स के साथ)

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