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ED ने उत्तराखंड के पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत, उनकी बहू को मनी लॉन्ड्रिंग केस में तलब किया

उत्तराखंड के पूर्व मंत्री रावत और अन्य के परिसरों की तलाशी के दौरान ED ने लगभग 1.20 करोड़ रुपये मूल्य की भारतीय और विदेशी मुद्रा, सोना और काफी संख्या में दस्तावेज जब्त किये थे।

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published : Feb 23, 2024 23:28 IST, Updated : Feb 23, 2024 23:28 IST
Harak Singh Rawat, Enforcement Directorate, Money Laundering- India TV Hindi
Image Source : FACEBOOK.COM/DRHSRAWATUK उत्तराखंड सरकार के पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत।

देहरादून: कांग्रेस नेता एवं उत्तराखंड के पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत और उनकी बहू को ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक केस के सिलसिले में पूछताछ के लिए तलब किया है। आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि रावत से 29 फरवरी और उनकी बहू अनुकृति से 7 मार्च को देहरादूुन में संघीय एजेंसी के समक्ष बयान दर्ज कराने को कहा गया है। एजेंसी ने 7 फरवरी को रावत और अन्य के परिसरों की तलाशी ली थी। इसने तलाशी के दौरान लगभग 1.20 करोड़ रुपये मूल्य की भारतीय और विदेशी मुद्रा, सोना और काफी संख्या में दस्तावेज जब्त किये थे।

2022 में बीजेपी छोड़ कांग्रेस में गए थे रावत

एजेंसी द्वारा तलाशी के एक दिन बाद जारी एक अधिकारिक बयान में यह नहीं बताया गया था कि क्या-क्या बरामद किया गया। ED रावत के करीबी सहयोगी बीरेंद्र सिंह कंडारी, भारतीय वन सेवा के अधिकारी एवं पूर्व संभागीय वन अधिकारी (DFO) किशन चंद और पूर्व वन क्षेत्र अधिकारी बृज बिहारी शर्मा के खिलाफ जांच कर रही है। 63 वर्षीय रावत राज्य के पूर्व वन मंत्री हैं और 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनावों से पहले BJP को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गये थे। ED के मुताबिक, इन लोगों के खिलाफ जांच राज्य में दर्ज दो अलग-अलग प्राथमिकियों से उत्पन्न हुई है।

अदालत ने रद्द कर दिया था जमीन का बैनामा

उत्तराखंड पुलिस ने एक प्राथमिकी कंडारी और अन्य के खिलाफ दर्ज की थी। एजेंसी का आरोप है कि कंडारी और नरेन्द्र कुमार वालिया नाम के व्यक्ति ने रावत के साथ मिलकर एक साजिश रची और एक प्लॉट की दो ‘पावर ऑफ अटार्नी’ का रजिस्ट्रेशन कराया, जिसके लिए एक अदालत ने बैनामा रद्द कर दिया था। दूसरी FIR, राज्य सरकार के सतर्कता विभाग ने शर्मा, किशन चंद और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, वन संरक्षण अधिनियम, वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज की थी।

काटने थे 163 पेड़, कटवा दिए थे 6 हजार से ज्यादा

ED ने दावा किया कि तत्कालीन संभागीय वन अधिकारी (DFO) किशन चंद और तत्कालीन ‘फॉरेस्ट रेंजर’ शर्मा ने अन्य अधिकारियों तथा रावत के साथ आपराधिक साजिश कर अधिकृत वित्तीय शक्तियों से ज्यादा राशि का टेंडर प्रकाशित किया। यह टेंडर राज्य शासन के नियमों/दिशानिर्देशों के अनुरूप भी नहीं था। ED ने कहा कि उन पर 6,000 से ज्यादा पेड़ों की अवैध कटाई करने का भी आरोप है, जबकि केवल 163 पेड़ काटने की ही अनुमति थी।

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