Wednesday, May 15, 2024
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अखिलेश यादव दोबारा समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष चुने गए

अखिलेश गत एक जनवरी को लखन में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन में मुलायम की जगह सपा के अध्यक्ष बने थे। उसमें मुलायम को पार्टी का सर्वोच्च रहनुमा बना दिया गया था। साथ ही शिवपाल को सपा के प्रान्तीय अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। सपा का यह अधिवेशन पार्टी में अ

India TV News Desk Edited by: India TV News Desk
Updated on: October 05, 2017 10:37 IST
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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव फिर से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष चुन लिए गए हैं। सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश यादव को पार्टी अध्यक्ष चुना गया। समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की ओर से आशीर्वाद मिलने के दावे की पृष्ठभूमि में आज राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित किया गया है। समाजवादी पार्टी के 10वें राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अध्यक्ष के कार्यकाल की अवधि बढ़ाकर पांच साल करने सहित विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होगी। सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने बताया, बृहस्पतिवार को होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी संविधान में संशोधन कर दल के अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल से बढ़ाकर पांच साल किया जाना है। ये भी पढ़ें: हनीप्रीत की गिरफ्तारी एक बड़ी चाल, जेल से छूटेगा राम रहीम!

अखिलेश ने पिछले दिनों पिता मुलायम सिंह यादव को राष्ट्रीय अधिवेशन का न्यौता देने के बाद दावा किया था कि उन्हें सपा संरक्षक का आशीर्वाद प्राप्त है। मुलायम ने भी गत 25 सितम्बर को संवाददाता सम्मेलन में अखिलेश के विरोधी शिवपाल सिंह यादव के धड़े को झटका देते हुए कहा था कि पिता होने के नाते उनका आशीर्वाद पुत्र के साथ है। इस पृष्ठभूमि में पूरी सम्भावना है कि अखिलेश को फिर सपा अध्यक्ष चुन लिया जाएगा। कार्यकाल पांच वर्ष का किये जाने के बाद यह तय हो जाएगा कि सपा वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव और 2022 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव भी पार्टी अखिलेश के नेतृत्व में लड़ेगी।

अखिलेश गत एक जनवरी को लखन में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन में मुलायम की जगह सपा के अध्यक्ष बने थे। उसमें मुलायम को पार्टी का सर्वोच्च रहनुमा बना दिया गया था। साथ ही शिवपाल को सपा के प्रान्तीय अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। सपा का यह अधिवेशन पार्टी में अखिलेश और शिवपाल धड़ों के बीच जारी रस्साकशी के बीच हो रहा है। फिलहाल हालात अखिलेश के पक्ष में नजर आ रहा है। ऐसा माना जा रहा था कि स्वयं को सपा के तमाम मामलों से अलग कर चुके मुलायम 25 सितंबर को लखनऊ में हुए संवाददाता सममेलन में अलग पार्टी या मोर्चे के गठन का एलान करेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

मुलायम के सहारे समाजवादी सेक्युलर मोर्चे के गठन की उम्मीद लगाये शिवपाल पर अब अपनी राह चुनने का दबाव है। शिवपाल के करीबियों का कहना है कि सपा के कल होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद वह कोई फैसला ले सकते हैं। पिछली 23 सितंबर को लखनऊ में आयोजित सपा के प्रान्तीय अधिवेशन में उन्होंने शिवपाल यादव गुट को बनावटी समाजवादी की संज्ञा देते हुए समर्थक कार्यकर्ताओं बनावटी समाजवादियों के प्रति आगाह किया था।

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