Friday, April 19, 2024
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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा, 2-3 हफ्ते के लिए पूर्ण लॉकडाउन लगाने पर विचार करे यूपी सरकार

उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस की तेज रफ्तार देखते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सूबे की योगी सरकार को पूर्ण लॉकडाउन पर विचार करने का निर्देश दिया है।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: April 13, 2021 23:47 IST
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Image Source : PTI उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस की तेज रफ्तार देखते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सूबे की योगी सरकार को पूर्ण लॉकडाउन पर विचार करने का निर्देश दिया है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस की तेज रफ्तार देखते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सूबे की योगी सरकार को पूर्ण लॉकडाउन पर विचार करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार कोरोना से प्रभावित शहरों में 2 या 3 हफ्ते के लिए पूर्ण लॉकडाउन लगाने पर विचार करे। साथ ही कोर्ट ने कहा कि सरकार ट्रैकिंग, टेस्टिंग, व ट्रीटमेंट योजना में तेजी लाए और खुले मैदानों में अस्थायी अस्पताल बनाकर कोरोना पीड़ितों के इलाज की व्यवस्था करे। अदालत ने कहा कि यदि जरूरी हो तो यूपी सरकार संविदा पर स्टाफ तैनात कर सकती है। हाई कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 19 अप्रैल को सचिव स्तर के अधिकारी से हलफनामा मांगा है।

‘सड़क पर कोई बिना मास्क के दिखाई न दे, वर्ना...’

जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की बेंच ने कहा कि सड़क पर कोई भी शख्स बिना मास्क के दिखाई नहीं देना चाहिए, वर्ना कोर्ट पुलिस के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही करेगी। अदालत ने कहा कि सरकार बंदोबस्त करे कि सामाजिक और धार्मिक आयोजनों मे 50 आदमी से अधिक न इकट्ठा हों। कोर्ट ने ये आदेश प्रदेश में कोरोना वायरस से संक्रमण के बढ़ते मामलों को लेकर कायम जनहित याचिका पर दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि ‘नाइट कर्फ्यू’ या ‘कोरोना कर्फ्यू’ संक्रमण फैलाव रोकने के छोटे कदम हैं और ये नाइट पार्टी, नवरात्रि एवं रमजान में धार्मिक भीड़ रोकने तक ही सीमित हैं। 

‘जब लोग ही नहीं रहेंगे तो विकास का क्या अर्थ?’
सरकार को निर्देश देते हुए कोर्ट ने कहा कि नदी में जब तूफान आता है तो बांध उसे नहीं रोक पाते, लेकिन फिर भी हमें कोरोना संक्रमण को रोकने के प्रयास करने चाहिए। कोर्ट ने कहा कि दिन मे भी गैर जरूरी ट्रैफिक को कंट्रोल किया जाए। अदालत ने कहा कि जीवन रहेगा तो दोबारा सुविधाएं ले सकेंगे और अर्थव्यवस्था भी दुरूस्त हो जाएगी। कोर्ट ने कहा, ‘विकास व्यक्तियों के लिए है, जब आदमी ही नहीं रहेंगे तो विकास का क्या अर्थ रह जाएगा? संक्रमण फैले एक साल बीत रहे है लेकिन इलाज की सुविधाओं को बढ़ाया नहीं जा सका।’

डीएम और सीएमओ को कोर्ट में हाजिर होने को कहा
कोर्ट ने राज्य सरकार की 11अप्रैल की गाइडलाइंस का सभी जिला प्रशासन को कड़ाई से अमल में लाने का निर्देश दिया। अदालत ने साथ ही 19 अप्रैल को प्रयागराज के डीएम व सीएमओ को कोर्ट में हाजिर रहने के लिए भी कहा है। जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की बेंच ने कहा कि कंटेनमेंट जोन को अपडेट करने तथा रैपिड फोर्स को चौकन्ना रहने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि हर 48 घंटे में जोन का सैनिटाइजेशन किया जाए और यूपी में परीक्षा दे रहे छात्रों की जांच करने पर बल दिया जाए।

दवाओं की ब्लैक मार्केटिंग करने वालों पर सख्ती का निर्देश
कोर्ट ने साथ ही SPGI लखनऊ की तरह स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में कोरोना ICU बढ़ाने व सुविधाएं उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। अदालत ने राज्य व केंद्र सरकार को एन्टी वायरल दवाओं के उत्पाद व आपूर्ति बढाने का, और जरुरी दवाओं की जमाखोरी करने या ब्लैक मार्केटिंग करने वालों पर सख्ती करने का भी निर्देश दिया। बता दें कि उत्तर प्रदेश में मंगलवार को कोरोना वारस संक्रमण के 18,021 नए मामले सामने आए जबकि 85 मरीजों की मौत हो गई। राज्य में अब तक कुल 7,23,582 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं, 9,309 लोगों की मौत हुई है और 95,980 मरीजों का इलाज चल रहा है। (रिपोर्टर: रूचि/इमरान)

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