Friday, April 19, 2024
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498A News: इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश, वैवाहिक मामलों में ‘कूलिंग पीरियड’ खत्म होने तक कोई गिरफ्तारी नहीं

कोर्ट ने कहा कि यदि IPC की धारा 498-A का इसी तरह से बेजा इस्तेमाल होता रहा तो सदियों पुरानी हमारी विवाह की व्यवस्था पूरी तरह से गायब हो जाएगी।

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: June 15, 2022 17:47 IST
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Image Source : INDIA TV Section 498A misuse affecting institution of marriage, says Allahabad High Court.

Highlights

  • कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक वैवाहिक मामले को कई गुना बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है।
  • 498-A के दुरुपयोग से हमारी विवाह की व्यवस्था पूरी तरह से गायब हो जाएगी: कोर्ट
  • कानूनी पचड़ों में पड़ने से बचने के लिए लोग लिव इन रिलेशनशिप का सहारा ले रहे हैं: कोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला देते हुए कहा है कि वैवाहिक मामलों में (498A आदि) FIR दर्ज होने के बाद 2 महीने के ‘कूलिंग पीरियड’ तक किसी भी नामजद आरोपी की गिरफ्तारी नहीं होगी। साथ ही कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में आरोपियों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई भी नहीं की जायेगी। जस्टिस राहुल चतुर्वेदी ने मुकेश बंसल, उनकी पत्नी मंजू बंसल और बेटे साहिब बंसल की ओर से दायर रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया।

सास-ससुर के खिलाफ आरोप हटाने की याचिका स्वीकारी

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ‘इस कूलिंग पीरियड के दौरान मामले को तत्काल परिवार कल्याण समिति के पास भेजा जाएगा। इस समिति के पास केवल वही मामले भेजे जाएंगे जिनमें IPC की धारा 498 A (दहेज के लिए उत्पीड़न) और ऐसी अन्य धाराएं लगाई गई हैं, जहां 10 वर्ष से कम की जेल की सजा है, लेकिन महिला को कोई चोट नहीं पहुंचाई गई है।’ सोमवार को दिए अपने फैसले में अदालत ने सास-ससुर यानी कि मंजू और मुकेश के खिलाफ आरोप हटाने की याचिका स्वीकार कर ली, लेकिन पति साहिब बंसल की याचिका खारिज कर दी और उसे सुनवाई के दौरान निचली अदालत के सामने पेश होने का निर्देश दिया।

‘वैवाहिक मामले को कई गुना बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है’
कोर्ट ने कहा, ‘जब संबद्ध पक्षों के बीच समझौता हो जाए तो जिला और सत्र न्यायाधीश एवं जिले में उनके द्वारा नामित अन्य वरिष्ठ न्यायिक अधिकारियों के पास आपराधिक मामले को खत्म करने सहित मुकदमे को खत्म करने का विकल्प होगा। यह आमतौर पर देखने में आता है कि प्रत्येक वैवाहिक मामले को कई गुना बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है जिसमें पति और उसके सभी परिजनों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए जाते हैं। आजकल यह धड़ल्ले से चल रहा है जिससे हमारा सामाजिक ताना-बाना बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है।’

हापुड़ की शिवांगी बंसल ने ससुराल पक्ष पर लगाए थे आरोप
कोर्ट ने कहा, ‘महानगरों में लिव इन रिलेशनशिप हमारे पारंपरिक विवाहों की जगह ले रहा है। वास्तव में कपल कानूनी पचड़ों में पड़ने से बचने के लिए इसका सहारा ले रहे हैं। यदि IPC की धारा 498-A का इसी तरह से बेजा इस्तेमाल होता रहा तो सदियों पुरानी हमारी विवाह की व्यवस्था पूरी तरह से गायब हो जाएगी।’ बता दें कि हापुड़ की रहने वाली शिवांगी बंसल ने दिसंबर, 2015 में साहिब बंसल से विवाह किया और 22 अक्टूबर, 2018 को उसने हापुड़ के पिलखुआ पुलिस थाना में अपने पति और ससुराल के अन्य लोगों के खिलाफ IPC की धाराओं 498-ए, 504, 506, 307 और 120-B समेत अन्य धाराओं के तहत FIR दर्ज कराई।

बेटे और बहू के साथ सिर्फ एक साल 4 महीने रहे मुकेश और मंजू
पुलिस ने इस मामले की गहराई से जांच की और सिर्फ 498-A, 323, 504, 307 के तहत चार्जशीट दाखिल कर दी। शिवांगी अप्राकृतिक मैथून, बलपूर्वक गर्भपात कराने के आरोपों को साबित करने के लिए कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सकी। यही नहीं, चार्जशीट से उसके देवर चिराग बंसल और ननद शिप्रा जैन का नाम हटा दिया गया। साहिब बंसल और शिवांगी बंसल के बीच बढ़ते विवाद को देखते हुए शिवांगी के सास-ससुर ने उनसे अलग होकर एक किराये के मकान में रहना शुरू कर दिया था और वे अपने बेटे और बहू के साथ महज एक साल चार महीने ही रहे।

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