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निकाले जाएंगे आगरा की मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे विग्रह? फास्ट ट्रैक कोर्ट में दाखिल हुई याचिका

याचिका दायर करने वाले वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने दावा किया है कि मुगल शासक औरंगजेब ने भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर को तुड़वाकर उसमें स्थापित ठाकुर केशवदेव के श्रीविग्रह को आगरा में लाल किले की मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबवा दिया था।

Edited By: Vineet Kumar Singh @JournoVineet
Published on: December 24, 2022 16:00 IST
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Image Source : PTI FILE आगरा के किले पर घूमते कुछ पर्यटक।

मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने एक बार फिर दावा किया है कि मुगल शासक औरंगजेब ने भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर को तुड़वाकर उसमें स्थापित ठाकुर केशवदेव के श्रीविग्रह यानी कि मूर्ति को आगरा भिजवाकर लाल किले की मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबवा दिया था। उन्होंने शुक्रवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट सीनियर डिवीजन नीरज गौड़ की अदालत में उपरोक्त याचिका दाखिल कर एक बार फिर अनुरोध किया है कि बेगम साहिबा की मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे इन विग्रहों को निकाल कर ठाकुर केशवदेव मंदिर में स्थापित किया जाए।

23 जनवरी को होगी याचिका की सुनवाई

अपनी याचिका में सिंह ने कहा है कि विग्रहों को मंदिर में स्थापित होने तक उन सीढ़ियों पर सभी का आवागमन बंद किया जाए। अदालत ने इसकी सुनवाई के लिए 23 जनवरी, 2023 की तारीख मुकर्रर की है। अदालत में दर्ज किए गए दावे में वादी महेंद्र प्रताप सिंह और वृंदावन निवासी श्यामा नंद पंडित उर्फ शिवचरन अवस्थी ने केंद्रीय सचिव दिल्ली, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, तिलक मार्ग, नयी दिल्ली के महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण आगरा के अधीक्षक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मथुरा के निदेशक के माध्यम से भारत संघ को प्रतिवादी बनाया है।

‘औरंगजेब ने कराया था मस्जिद का विध्वंस’
वादी ने कहा कि मुगल शासक औरंगजेब ने सन 1670 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर बने ठाकुर केशवदेव के मंदिर को विध्वंस करा दिया था। मंदिर में स्थापित कीमती रत्नजड़ित छोटे एवं बड़े देव विग्रहों को आगरा ले जाया गया, जिन्हें लाल किले की बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबा दिया। उन्होंने याचिका में कहा कि देव विग्रह आज भी मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दफन हैं, जो प्रतिवादीगण के अधीन है। वादी ने इस संबंध में कई ऐतिहासिक साक्ष्यों का भी हवाला दिया है।

वादी ने कई ऐतिहासिक दस्तावेजों का दिया हवाला
वादी ने कहा है कि इस संबंध में औरंगजेब के मुख्य दरबारी मुस्ताक खान द्वारा लिखित पुस्तक ‘मासर ई आलमगीरी’ में उल्लेख किया गया है, जिसका यदुनाथ सरकार ने अरबी भाषा से अंग्रेजी में अनुवाद किया है। उनके अलावा प्रख्यात इतिहासकार बीएस भटनागर द्वारा लिखित पुस्तक में भी यह वर्णन मिलता है। महेंद्र प्रताप सिंह ने अदालत से प्रार्थना की है कि उक्त सीढ़ियों पर लोगों को आने जाने से रोका जाए तथा सीढ़ियों को खुदवा कर उनमें दफन किए गए विग्रहों को निकाल कर ठाकुर केशवदेव मंदिर में स्थापित किया जाए।

अदालत में वादी ने पहले भी किया था दावा
वादी ने बताया कि इससे पूर्व पहले भी सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में यह दावा किया गया था, लेकिन तब अदालत ने पहले सभी प्रतिवादियों को 2 माह का नोटिस देकर पुन: दावा दाखिल करने का निर्देश दिया था। जिसके बाद अब यह दावा सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में किया गया, लेकिन यह मामला त्वरित अदालत में सुना गया। वादीगण वकील महेंद्र प्रताप सिंह, श्रीभगवान शर्मा एवं दिलीप शर्मा ने बताया कि अदालत ने इसकी अगली सुनवाई के लिए 23 जनवरी की तारीख तय की है। (भाषा)

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