Saturday, May 18, 2024
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Devutthana Ekadashi 2017: जानिए क्या है तुलसी विवाह, शुभ मुहूर्त और ऐसे करें पूजा

हिंदू धर्म में इस पर्व में सभी लोग घर की साफ-सफाई करते है और आंगन में रंगोली सजाते है। शाम के समय तुलसी के मंडप के पास गन्ने से भव्य मंडप बनाया जाता है। इसके बाद तुलसी माता और शालीग्राम का विवाह कराया जाता है। जानिए कैसे कराएं विवाह साथ ही जानें पूजा

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: October 31, 2017 13:50 IST

tulsi

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तुलसी और शालिग्राम की परिक्रमा करना बहुत ही शुभ होता है। इसलिए इनकी कम से कम 11 बार परिक्रमा करें। इसके बाद प्रसाद सभी को दें। पूजा समाप्त होने के बाद परिवार के साथ मिलकर चारों तरफ से पटिए को उठा कर भगवान विष्णु से जागने का आह्वान करते हुए ये बोलें-

उठो देव सांवरा, भाजी, बोर आंवला, गन्ना की झोपड़ी में, शंकर जी की यात्रा।
इस मंत्र का उच्चारण करते हुए भी देव को जगाया जा सकता है -
'उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये।
त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत्‌ सुप्तं भवेदिदम्‌॥'
'उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव।
गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः॥'
'शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव।'

तुलसी व्रत कथा
श्रीमद भगवत पुराण के अनुसार प्राचीन काल में जालंधर नामक राक्षस ने चारों तरफ़ बड़ा उत्पात मचा रखा था। वह बड़ा वीर तथा पराक्रमी था। उसकी वीरता का रहस्य था, उसकी पत्नी वृंदा का पतिव्रता धर्म। उसी के प्रभाव से वह सर्वजंयी बना हुआ था। जालंधर के उपद्रवों से परेशान देवगण भगवान विष्णु के पास गये तथा रक्षा की गुहार लगाई।

उनकी प्रार्थना सुनकर भगवान विष्णु ने वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग करने का निश्चय किया। उधर, उसका पति जालंधर, जो देवताओं से युद्ध कर रहा था, वृंदा का सतीत्व नष्ट होते ही मारा गया। जब वृंदा को इस बात का पता लगा तो क्रोधित होकर उसने भगवान विष्णु को शाप दे दिया, 'जिस प्रकार तुमने छल से मुझे पति वियोग दिया है, उसी प्रकार तुम भी अपनी स्त्री का छलपूर्वक हरण होने पर स्त्री वियोग सहने के लिए मृत्यु लोक में जन्म लोगे।' यह कहकर वृंदा अपने पति के साथ सती हो गई।

जिस जगह वह सती हुई वहां तुलसी का पौधा उत्पन्न हुआ। एक अन्य प्रसंग के अनुसार वृंदा ने विष्णु जी को यह शाप दिया था कि तुमने मेरा सतीत्व भंग किया है। अत: तुम पत्थर के बनोगे। विष्णु बोले, 'हे वृंदा! यह तुम्हारे सतीत्व का ही फल है कि तुम तुलसी बनकर मेरे साथ ही रहोगी। जो मनुष्य तुम्हारे साथ मेरा विवाह करेगा, वह परम धाम को प्राप्त होगा।' बिना तुलसी दल के शालिग्राम या विष्णु जी की पूजा अधूरी मानी जाती है। शालिग्राम और तुलसी का विवाह भगवान विष्णु और महालक्ष्मी के विवाह का प्रतीकात्मक विवाह है।

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