Friday, March 29, 2024
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गुरु पूर्णिमा 2017 : जिंदगी में गुरु का है खास महत्‍व, प्राचीन काल से इस दिन दिया जाता है सम्‍मान

ऐसे में उन्ही के महत्व को जानने के लिए गुरु पूर्णिमा से बेहतर कोई दिन नहीं हो सकता। धूमधाम से मनाए जाने वाले इस गुरु पूर्णिमा पर्व को आषाढ़ मास की पूर्णिमा वाले दिन ही मनाया जाता है। इस बार हमारे देश में गुरु पूर्णिमा 9 जुलाई को मनाया जा रहा है।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: July 08, 2017 17:35 IST
guru poornima- India TV Hindi
guru poornima

नई दिल्ली: हमारी जिंदगी में गुरु एक ऐसे मेंटर के रूप में होता है जो हमें जिंदगी में अपने अनुभव और शिक्षाओं के द्वारा हमें एक ऐसा रास्‍ता बताता है जिस पर चलकर हम जिंदगी में सफल होते हैं। हर सफल इंसान की जिंदगी में ऐसे गुरु रहे हैं, चाणक्‍य ने चंद्रगुप्‍त को गुरु के रूप में सफल बनाया तो स्‍वामी विवेकानंद को रामकृष्ण ने जीवन का मार्ग दिखाया जिस पर चलकर वह पूरी दुनियां में फेमस हुए। ये द्रोणाचार्य की शिक्षाओं का कमाल ही था की अर्जुन और कर्ण धनुष चलाने में प्रवीण होकर महान बन सके। (गुरु पूर्णिमा 2017: जानें, इस पावन पर्व के बारे में NASA ने क्यों किया ट्वीट)

हमारी जिंदगी में मां हमारी पहली गुरु होती है जो हमारे जीवन को संवारती है,उसके बाद पिता,लेकिन हमारी जिंदगी में कोई एक ऐसा मेंटर भी होता है जिसका प्रभाव हमारी जिंदगी पर सबसे अधिक पड़ता है जैसे महात्‍मा गांधी की जिंदगी पर गोपालकृष्ण गोखले और कबीर की जिंदगी में उनके गुरु रामदास का, छत्रपति शिवाजी की जिंदगी में उनकी मां जीजाबाई और आज के दौर में सचिन तेंदुलकर की जिंदगी में रमाकांत अचरेकर की भूमिका एक ऐसे ही गुरु या फिर मेंटर के रूप में रही है जिनकी शिक्षाओं ने इस सभी के जीवन में लाया बड़ा बदलाव।

ऐसे ही  गुरु के सम्‍मान में हर वर्ष मनाए जाने वाले इस त्यौहार गुरु पूर्णिमा का भारत में बहुत महत्व है। गुरु को सम्मान दे कर अपनी जिंदगी में उनकी अहमियत को जानने का इससे बेहतर कोई दिन नहीं हो सकता। गुरु पूर्णिमा का त्यौहार भारत में पुराने समय से ही बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि मां-बाप के बाद यदि हमारे जीवन में कोई अहम भूमिका निभाता है तो वह हैं हमारे गुरू। मां-बाप के बाद यदि किसी की सीख व्यक्ति के जीवन में बड़ा बदलाव लाती है तो वह हमारे शिक्षक ही होते हैं। हमारे गुरू ही जिंदगी के उतार चढ़ाव से बचने और उतनी ही मज़बूती से उसका सामना करने का साहस भी हमें देते हैं। (गुरु पूर्णिमा 2017 : गुरु पूर्णिमा का क्‍या है महत्व ? जानिए कैसे मनाया जाता है )

कब मनाया जाता हैं ?

ऐसे में उन्ही के महत्व को जानने के लिए गुरु पूर्णिमा से बेहतर कोई दिन नहीं हो सकता। धूमधाम से मनाए जाने वाले इस गुरु पूर्णिमा पर्व को आषाढ़ मास की पूर्णिमा वाले दिन ही मनाया जाता है। इस बार हमारे देश में गुरु पूर्णिमा 9 जुलाई को मनाया जा रहा है।

गुरू को गोविंद से भी ऊंचा दर्जा,जानिए क्‍या है महत्‍व  

कहा जाता है कि प्राचीन समय में शिष्य इस दिन गुरूओं की पूजा किया करते थे। भारतीय परम्परा के अनुसार गुरू को गोविंद से भी ऊंचा दर्जा दिया गया है। हिन्दू परम्परा के मुताबिक ऐसा कहा जाता है कि गुरु पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर गुरू के सामने अपना सिर झुकाकर दिल से आभार व्यक्त करना चाहिए। यह भी माना जाता है कि गुरु पूर्णिमा पर गुरु की पूजा करने से ज्ञान, शांति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की भी शक्ति मिलती है। गुरु की महिमा का बखान करता यह श्‍लोक गुरु ब्रह्मागुरु विष्णु गुरु देवो महेशवरह; गुरु साक्षात् परमं ब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: अपने आप भी सारी बात कह जाता है।

हमेशा से सुनी जाने वाली इन पंक्तियों का भी यही अर्थ है कि गुरू को भगवान से भी उपर माना जाता है, गुरू ही हमारे भगवान हैं तथा गुरू की व्यक्ति के जीवन में कितनी अहम भूमिका है। गुरू पूर्णिमा का यह शुभ दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास को समर्पित है। यह मानना है कि चार वेदों को लिपिबद्ध करने वाले व्यास का इसी दिन जन्म हुआ था। इसी कारण उनका एक नाम वेद व्यास भी है। उनके सम्मान में गुरू पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। (देवशयनी एकादशी आज, अगले चार महीने बिल्कुल न शुरू करें शुभ काम)

 

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