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महाशिवरात्रि 2020: शिवलिंग पर न चढ़ाएं ये 7 चीजें, माना जाता है अशुभ

भगवान शिव को खुश करने के लिए हम भांग-धतूरा, दूध, चंदन, और भस्म आदि न जाने कितनी चीजे चढ़ाते हैं। लेकिन शिवपुराण में बताया गया है कि आखिर ऐसी कौन सी चीजें है जो शिवलिंग में नहीं बढ़ाना चाहिए।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published : Feb 19, 2020 04:22 pm IST, Updated : Feb 21, 2020 02:03 pm IST
Maha Shivratri 2020- India TV Hindi
Maha Shivratri 2020

देवों के देव महादेव की आराधना के लिए महाशिवरात्रि का दिन शुभ माना जाता है। कई सालों बाद ऐसा शुभ योग बन रहा है। इस दिन सर्वार्थ सिद्ध योग के साथ गुरु धनु राशि, बुध कुंभ राशि के साथ-साथ  महानिशीथकाल है।  इस दौरान भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव भक्तों के सारे कष्ट दूर करते हैं और उन्हें सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं | महानिशीथकाल 21 फरवरी की रात 11 बजकर 47 मिनट से लेकर 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। 

भगवान शिव को खुश करने के लिए हम भांग-धतूरा, दूध, चंदन, और भस्म  आदि न जाने कितनी चीजे चढ़ाते हैं। लेकिन शिवपुराण में बताया गया है कि आखिर ऐसी कौन सी चीजें है जो शिवलिंग में नहीं बढ़ाना चाहिए। 

केतकी का फूल

एक बार ब्रह्माजी व विष्णुजी में विवाद छिड़ गया कि दोनों में श्रेष्ठ कौन है। ब्रह्माजी सृष्टि के रचयिता होने के कारण श्रेष्ठ होने का दावा कर रहे थे और भगवान विष्णु पूरी सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में स्वयं को श्रेष्ठ कह रहे थे। तभी वहां एक विराट लिंग प्रकट हुआ। दोनों देवताओं ने सहमति से यह निश्चय किया गया कि जो इस लिंग के छोर का पहले पता लगाएगा उसे ही श्रेष्ठ माना जाएगा। अत: दोनों विपरीत दिशा में शिवलिंग की छोर ढूढंने निकले।

छोर न मिलने के कारण विष्णुजी लौट आए। ब्रह्मा जी भी सफल नहीं हुए परंतु उन्होंने आकर विष्णुजी से कहा कि वे छोर तक पहुँच गए थे। उन्होंने केतकी के फूल को इस बात का साक्षी बताया। ब्रह्मा जी के असत्य कहने पर स्वयं शिव वहां प्रकट हुए और उन्होंने ब्रह्माजी की एक सिर काट दिया और केतकी के फूल को श्राप दिया कि शिव जी की पूजा में कभी भी केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं होगा। इस कारण केतकी के फूलों का इस्तेमाल शिव पूजन में नहीं किया जाता है। 

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हल्दी
आमतौर पर हल्दी का इस्तेमाल महिलाओं की सुंदरता को बढ़ाने के लिए किया जाता है। लेकिन भगवान शिव तो वैसे ही सुंदर है। जिसके कारण भगवान शिव के प्रतीक शिवलिंग पर हल्दी नही चढाई जाती है।

तुलसी
शिव पुराण के अनुसार जालंधर नाम का असुर भगवान शिव के हाथों मारा गया था। जालंधर को एक वरदान मिला हुआ था कि उसे अपनी पत्नी की पवित्रता की वजह से उसे कोई भी अपराजित नहीं कर सकता है। लेकिन जालंधर को मरने के लिए भगवान विष्णु को जालंधर की पत्नी तुलसी की पवित्रता को भंग करना पड़ा। अपने पति की मौत से नाराज़ तुलसी ने भगवान शिव का बहिष्कार कर दिया था। जिस कारण तुलसी का प्रयोग शिव पूजा में नहीं किया जाता है।

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कुमकुम
इसे सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है जबकि भगवान शिव वैरागी हैं। इसलिए शिवलिंग पर कुकुम न चढ़ाएं। 

टूटे हुए चावल
टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध होता है। इसलिए शिवलिंग पर हमेशा अक्षत यानी साबुत चावल अर्पित किया जाना चाहिए।

तिल
शास्त्रों के अनुसार तिल भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ था। इसलिए इसे शिवलिंग पर नहीं अर्पित किया जाता है।

शंख जल
भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध किया था। शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है जो भगवान विष्णु का भक्त था। इसलिए विष्णु भगवान की पूजा शंख से होती है लेकिन शिव की पूजा नहीं की जाती है।

नारियल पानी
नारियल देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है जिनका संबंध भगवान विष्णु से है इसलिए शिव जी को अर्पित करना अशुभ माना जाता है। 

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