Friday, April 26, 2024
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शरद पूर्णिमा 2017: ऐसी रात जिसमें श्री कृष्ण ने रची थी रासलीला, इस दिन रास करने का था ये बड़ा कारण

श्रीमद्भागवत के दशम स्कन्द में रास पंचाध्यायी में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा इसी शरद पूर्णिमा को यमुना पुलिन में गोपिकाओं के साथ महारास के बारे में बताया गया है। जानिए क्या है इसके पीछे का कारण...

India TV Lifestyle Desk Edited by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: October 04, 2017 13:36 IST
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धर्म डेस्क: अश्विन मास के शुक्ल पक्ष को शरद पूर्णिमा है। इस बार की शरद पूर्णिमा बहुत ही खास हैं। यह पूर्णिमा वर्ष में आने वाली सभी पूर्णिमा से श्रेष्ठ मानी गई है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणें अमृत रस के समान होती है, क्योंकि वह 16 कलाओं से परिपूर्ण होती है। इतना ही नहीं इस दिन और भी खास होता है, क्योंकि इस दिन महालक्ष्मी का व्रत और श्री कृष्ण से रासलीला रची थी।

नारद पुराण के अनुसार माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसके साथ ही वह उल्लू वाहन में बैठकर प्रथ्वी के भ्रमण में भी निकलती है। मां देखती है कि रात के समय कौन जग रहा है और कौन नहीं। इस रात जगकर जो भी मां की उपासना करते है उनके ऊपर मां की असीम कृपा होती है। साथ ही यह व्रत लक्ष्मी जी को प्रसन्न करता है।

श्री कृष्ण ने किया रासलीला

श्रीमद्भागवत के दशम स्कन्द में रास पंचाध्यायी में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा इसी शरद पूर्णिमा को यमुना पुलिन में गोपिकाओं के साथ महारास के बारे में बताया गया है।

ये है कहानी
पुराणों के अनुसार एक बार गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण से उन्हें पति रूप में पाने कीइच्छा प्रकट की।

श्री कृष्ण ने गोपियों की इस कामना को पूरी करने का वचन दिया। अपने वचन को पूरा करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने रास का आयोजन किया। इसके लिए शरद पूर्णिमा की रात को यमुना तट पर गोपियों को मिलने के लिए कहा गया।

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