Friday, April 19, 2024
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20 साल बाद सोमवती अमावस्या के दिन बन रहा अद्भुत संयोग, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहते हैं | इसे चितलगी अमावस्या भी कहते हैं। विशेष तौर पर उत्तर भारत में इस अमावस्या का बहुत अधिक महत्व है।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: December 31, 2021 6:39 IST
सोमवती अमावस्या- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM/MERESHIVJI सोमवती अमावस्या

श्रावण कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि और सोमवार का दिन है|। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहते हैं। इसे चितलगी अमावस्या भी कहते हैं। विशेष तौर पर उत्तर भारत में इस अमावस्या का बहुत अधिक महत्व है। सावन के महीने में चारों तरफ हरियाली होती है। इसलिए पुराणों में भी हरियाली अमावस्या को पर्यावरण संरक्षण दिवस के रूप में मनाने की परंपरा है। हमारी संस्कृति वृक्षों को भगवान के रूप में पूजा जाता है। कहते हैं- हर वृक्ष में किसी न किसी देवता का वास होता है। जैसे पीपल के वृक्ष में तीनों महाशक्ति ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी का वास माना जाता है।

शास्त्रों के अनुसार हर व्यक्ति को आज के दिन कोई न कोई पौधा अवश्य लगाना चाहिए। अगर आज के दिन न लगा सके तो आज से आने वाले आठ दिन तक कभी भी लगा लें। हरियाली अमावस्या के दिन शिव की पूजा करने का भी विशेष विधान है। इस दिन शिव की पूजा करने से प्यार, पैसा और कामयाबी सब मिलता है। इस दिन पितरों के निमित दान-पुण्य का भी बहुत अधिक महत्व है 

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श्रावण अमावस्या का मुहूर्त

अमावस्या प्रारंभ- 20 जुलाई  सुबह 12 लबजकर 42 मिनट से

अमावस्या समाप्त-   20 जुलाई  को  रात 11 बजकर 3 मिनट तक।

20 साल बाद  बन रहा है अद्भुत संयोग

कई सालों बाद ऐसा हो रहा है जब हरियाली अमावस्या और सोमवती अमावस्या एक ही दिन पड़ रहे है। इसके साथ ही सोमवार के दिन अमावस्या भी 16 साल बाद पड़ रही है। ऐसा संयोग साल 2004 में सावन माह के पुरुषोत्तम मास में पड़ा था। इस साल दो बार सावन महीना पड़ा था। जिसेक दूसरे सावन माह में सोमवती अमावस्या का संयोग बना था। इससे पहले साल 2000 भी ऐसा  संयोग बन चुका है।

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अमावस्या के दिन बन रहे हैं ये खास योग

ज्योतिषों के अनुसार हरियाली अमावस्या में 5 ग्रह चंद्र, बुध, गुरु, शुक्र और शनि अपनी-अपनी राशियों में रहेंगे। इसके साथ ही इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग, पुनर्वसु नक्षत्र, श्रावण सोमवार, सोमवती अमावस्या और स्नानदान श्रावण अमावस्या का संयोग बन रहा है। जिसमें  स्नान-दान करने का विशेष महत्व मिलेगा। इसके साथ ही श्राद्ध-तर्पण करने से पितर तृप्त हो जाएंगे।  इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती सहित अन्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करने हर तरह की मनोकामना का पूर्ति होती है।

सोमवती अमावस्या पूजा विधि


इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद भगवान सूर्य  और तुलसी की को अर्ध्य दें। इसके अलावा भगवान शिव को भी चल चढ़ाएं। इस दिन कई लोग व्रत भी रखते हैं। आप चाहे तो मौन व्रत रख सकते हैं। पीपल के पेड़ की पूजा करें, साथ ही तुलसी का भी पौधा रखें।  पीपल पर दूध, दही, रोली, चंदन, अक्षत, फूल, हल्दी, माला, काला तिल आदि चढ़ाएं। वहीं तुलसी में पान, फूल, हल्दी की गांठ और धान चढ़ाएं। इसके बाद पीपल की कम से कम 108 बार परिक्रमा करें। घर आकर पितरों का तर्पण दें। इसके साथ ही गरीबों को र दान-दक्षिणा देना शुभ माना जाता है। 

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