Saturday, April 27, 2024
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Holashtak 2022: होलाष्टक में शुभ कार्य करने से बचते हैं लोग, क्या यूपी में ली जाएगी नए मंत्री पद की शपथ?

18 मार्च को होली पड़ने वाली है और अक्सर ऐसा देखने को मिलता है कि होली से कुछ दिन पहले गृह प्रवेश, शादी, मुंडन संस्कार आदि नहीं करना चाहिए। 

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: March 07, 2022 16:14 IST
यूपी विधानसभा - India TV Hindi
Image Source : HTTP://UPLEGISASSEMBLY.GOV.IN/ यूपी विधानसभा

Highlights

  • शिवजी ने कामदेव को फाल्गुन की अष्टमी को अपना तीसरा नेत्र खोल कर भस्म कर दिया था।
  • होलाष्टक से अलगे आठ दिन तक अलग अलग ग्रहों की दशा उग्र रहती है।

हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला होली का त्योहार बेहद नजदीक है और साथ में नजदीक हैं यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजे भी। 10 मार्च को यूपी में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे आने वाले हैं, जिसके बाद विधानसभा का नया सत्र शुरू होगा। हालांकि, 18 मार्च को होली पड़ने वाली है और अक्सर ऐसा देखने को मिलता है कि होली से कुछ दिन पहले गृह प्रवेश, शादी, मुंडन संस्कार आदि नहीं करना चाहिए। इसके पीछे मान्यता है कि फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को होलाष्टक लग जाता है, जो पूर्णिमा तक जारी रहता है। ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि होली के बाद ही नई विधानसभा सत्र के लिए चुने जाने वाले नए विधायक, मंत्री पद की शपथ लेंगे।

क्या होता है होलाष्टक?

होली के पहले पड़ने वाले होलाष्टक में अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादश को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहु ग्रह उग्र रहते हैं। इस कारण इन आठ दिनों को होलाष्टक कहा जाता है। होलाष्टक में व्यापार, वाहन की बिक्री, गृह प्रवेश, नींव पूजन, विवाह आदि शुभ कार्य नहीं करने चाहिए।

होलाष्टक के पीछे का पौराणिक कारण
एक मान्यता है कि कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या को भंग कर दिया था। जिससे रुष्ट होकर भगवान शिव ने कामदेव को फाल्गुन की अष्टमी को अपना तीसरा नेत्र खोल कर भस्म कर दिया था। अपने पति को पुनर्जीवित करने के लिए कामदेव की पत्नि रति ने शिवजी की आराधनी की जिससे प्रसन्न होकर भगवान ने रति की बात मान ली और इसका उपाय बताया। जिसके बाद जनसाधारण में इसकी खुशी मनाई गई और होली का त्योहार मनाया गया।

होलाष्टक के पीछे वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिक कारणों के अनुसार फाल्गुन शुक्ल पक्ष में अष्टमी से प्रकृति में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है। इसलिए अक्सर इस दौरान गृह प्रवेश या कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है।

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