Friday, May 17, 2024
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इंदौर में जनता से NOTA बटन दबाने की अपील कर रही कांग्रेस, पार्टी प्रत्याशी ने कर दिया था खेल

Lok Sabha Elections 2024: इंदौर से कांग्रेस ने अक्षय कांति बम को टिकट दिया था। हालांकि, चुनाव से पहले कांति अपना नाम वापस लेकर बीजेपी में शामिल हो गए। इसे लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाया है। कांग्रेस इंदौर की जनता से नोटा का विकल्प चुनकर जवाब देने की अपील कर रही है।

Malaika Imam Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Updated on: May 02, 2024 14:11 IST
प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi
Image Source : REPRESENTATIVE IMAGE प्रतीकात्मक फोटो

Lok Sabha Elections 2024: मध्य प्रदेश के इंदौर लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम के ऐन मौके पर अपना नाम वापस लेने की वजह से इस पार्टी के दौड़ से बाहर होने के बाद चुनावी समीकरण आमूल-चूल बदल गए हैं। कांति बम के बीजेपी में शामिल होने पर भड़के कांग्रेस नेताओं ने मतदाताओं से खुलकर अपील करनी शुरू कर दी है कि वे भाजपा को सबक सिखाने के लिए 13 मई को होने वाले मतदान के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) का विकल्प चुनें। 

"नोटा से बीजेपी को मिले जोरदार जवाब"

वरिष्ठ कांग्रेस नेता शोभा ओझा ने कहा, "इंदौर के मतदाताओं ने पिछले नगर निगम चुनावों से लेकर विधानसभा चुनावों में भाजपा को बंपर जीत दी है। फिर भी भाजपा ने इंदौर में बम को अपने पाले में अनुचित तरीके से खींचकर लोकतंत्र की हत्या कर दी। ऐसे में मतदाताओं को नोटा के इस्तेमाल से भाजपा को जोरदार जवाब देना ही चाहिए।" इंदौर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का गृह क्षेत्र है। पटवारी ने 30 अप्रैल को घोषणा की थी कि चुनावी दौड़ से बाहर पार्टी इंदौर में किसी भी उम्मीदवार को अपना समर्थन नहीं देगी। उन्होंने यह भी कहा था कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में भरोसा रखने वाली कांग्रेस मतदाताओं से यह कतई नहीं कह रही है कि वे चुनावों का बहिष्कार करें, लेकिन भाजपा को सबक सिखाने के लिए उनके पास "नोटा" का भी विकल्प भी है। 

इंदौर सीट पर 35 साल से बीजेपी का कब्जा

इंदौर के निवर्तमान सांसद और भाजपा उम्मीदवार शंकर लालवानी ने कहा कि कांग्रेस नेताओं की ओर से मतदाताओं को NOTA के इस्तेमाल के लिए दुष्प्रेरित किया जाना दिखाता है कि प्रमुख विपक्षी दल लोकतंत्र के महापर्व में नकारात्मक पैंतरों पर उतर आया है। इंदौर सीट पर पिछले 35 साल से भाजपा का कब्जा है। मतदाताओं की तादाद के लिहाज से सूबे में सबसे बड़े लोकसभा क्षेत्र में इस बार 25.13 लाख लोगों को मताधिकार हासिल है, जहां भाजपा ने आठ लाख मतों के अंतर से जीत का नारा दिया है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान लालवानी ने अपने नजदीकी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी पंकज संघवी को 5.48 लाख वोट से हराया था। इन चुनावों में 5,045 मतदाताओं ने NOTA का विकल्प चुना था। 

इंदौर से चुनावी मैदान में 14 प्रत्याशी 

अधिकारियों ने बताया कि मौजूदा लोकसभा चुनावों में नाम वापसी के बाद इंदौर सीट पर चुनावी मुकाबले में 14 प्रत्याशी रह गए हैं, जिनमें 9 निर्दलीय उम्मीदवार शामिल हैं। इनमें से एक निर्दलीय प्रत्याशी अभय जैन ने कांग्रेस नेताओं की NOTA के पक्ष में की जा रही अपील पर कहा, "नोटा का विकल्प लोकतंत्र के लिए सही नहीं है। मतदाताओं को किसी न किसी उम्मीदवार को चुनना ही चाहिए।" जैन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रचारकों की गठित जनहित पार्टी के प्रमुख हैं। इस नई-नवेली पार्टी को अभी चुनाव आयोग की मान्यता नहीं मिली है। यह पार्टी इंदौर को नशे और धनबल व बाहुबल की राजनीति से मुक्त कराने के मुख्य वादों के साथ चुनावी मैदान में है। (भाषा)

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