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सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान पेट में छोड़ दी पट्टी, डिलीवरी के बाद 4 महीने तक दर्द से तड़पती रही महिला

महिला का अप्रैल में औसा इलाका स्थित एक अस्पताल में ऑपरेशन से प्रसव हुआ और उसके बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, लेकिन वह पेट दर्द की शिकायत के बाद करीब तीन सप्ताह बाद अस्पताल गई। वह चार महीने तक पेट में दर्द की शिकायत करती रही

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Updated on: September 11, 2024 19:57 IST
प्रतीकात्मक तस्वीर- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO प्रतीकात्मक तस्वीर

महाराष्ट्र के लातूर जिले में एक व्यक्ति ने एक सरकारी अस्पताल में अपनी पत्नी के सी-सेक्शन (ऑपरेशन) से प्रसव के बाद उसके पेट में पट्टी का एक टुकड़ा छोड़े जाने का आरोप लगाया है, जिसके बाद स्वास्थ्य अधिकारियों ने जांच के आदेश दिए हैं। एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि जांच के निष्कर्षों के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी।

4 महीने तक दर्द से तड़पती रही महिला

हबीब वसीम जेवाले ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि उसकी पत्नी का अप्रैल में औसा इलाका स्थित एक अस्पताल में ऑपरेशन से प्रसव हुआ और उसके बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, लेकिन वह पेट दर्द की शिकायत के बाद करीब तीन सप्ताह बाद अस्पताल गई। जेवाले ने बताया कि महिला को लातूर से गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल भेज दिया गया, जहां वह 20 दिन भर्ती रही। जेवाले ने दावा किया कि वह चार महीने तक पेट में दर्द की शिकायत करती रही और जब दर्द असहनीय हो गया तो उसे हाल में धाराशिव जिले के उमरगा शहर में एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां जांच में उसके शरीर में पट्टी का एक टुकड़ा मिला।

डॉक्टर और नर्स को सस्पेंड करने की मांग

इसके बाद उसके पति ने औसा सिविल हॉस्पिटल की प्रभारी डॉ. सुनीता पाटिल के समक्ष शिकायत दर्ज कराते हुए उस चिकित्सक और नर्स को निलंबित करने की मांग की, जिन्होंने ऑपरेशन से प्रसव कराया था। पाटिल ने कहा कि मामले की जानकारी वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों को दी गयी और जेवाले के आरोपों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘घटना से संबंधित चिकित्सक और नर्स को एक नोटिस जारी किया गया है।’’

जिला सिविल सर्जन डॉ. प्रदीप ढेले ने बताया कि मरीज का लातूर के अस्पताल में जाने से पहले औसा के अस्पताल और बाद में एक निजी अस्पताल में उपचार किया गया। ढेले ने कहा, ‘‘एक जांच समिति गठित की गयी है। अस्पतालों को सभी रिपोर्ट जमा करानी चाहिए। हम संबंधित चिकित्सकों के बयानों का भी सत्यापन करेंगे।’’ (भाषा इनपुट्स के साथ)

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