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पुणे में गिलियन-बैरे सिंड्रोम के 22 संदिग्ध मामले आए सामने, ज्यादातर पेशेंट की 12 से 30 के बीच उम्र

गिलियन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ स्थिति है, जिसमें अचानक सुन्नता और मांसपेशियों में कमजोरी हो जाती है। इसके साथ ही इस बीमारी में अंगों में गंभीर कमजोरी जैसे लक्षण भी होते हैं।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Jan 21, 2025 18:35 IST, Updated : Jan 21, 2025 18:37 IST
प्रतीकात्मक तस्वीर
Image Source : FILE PHOTO प्रतीकात्मक तस्वीर

महाराष्ट्र के पुणे में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के 22 संदिग्ध मामले सामने आने के बाद नगर निगम के अधिकारियों ने मरीजों की विस्तृत जांच की है। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि पुणे नगर निगम (पीएमसी) के स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों के सैंपल जांच के लिए आईसीएमआर-एनआईवी को भेजे हैं। नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि इनमें से अधिकतर मामले शहर के सिंहगढ़ रोड इलाके से सामने आए। डॉक्टरों के अनुसार, गिलियन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ स्थिति है, जिसमें अचानक सुन्नता और मांसपेशियों में कमजोरी हो जाती है। इसके साथ ही इस बीमारी में अंगों में गंभीर कमजोरी जैसे लक्षण भी होते हैं।

विशेषज्ञ पैनल का गठन

नागरिक स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख डॉ. नीना बोराडे ने बताया कि शहर के तीन से चार अस्पतालों में जीबीएस के 22 संदिग्ध मामले सामने आए हैं। उन्होंने बताया, “पिछले दो दिनों में गिलियन-बैरे सिंड्रोम के संदिग्ध मामलों की रिपोर्ट सामने आई हैं।” बोराडे ने बताया कि हमने विस्तृत जांच शुरू कर दी है और एक विशेषज्ञ पैनल का गठन किया है। उन्होंने बताया कि हमने इन संदिग्ध मामलों के सैंपल आगे की जांच के लिए आईसीएमआर-एनआईवी को भी भेजे हैं।

अधिकांश मरीजों की उम्र 12 से 30 वर्ष की बीच

डॉ. बोराडे ने बताया कि जीवाणु और वायरल संक्रमण आम तौर पर जीबीएस का कारण बनते हैं क्योंकि वे रोगियों की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करते हैं। उन्होंने बताया, “यह बच्चों और युवाओं दोनों आयु वर्ग को हो सकता है। हालांकि, जीबीएस महामारी या वैश्विक महामारी का कारण नहीं बनेगा। उपचार के जरिये अधिकांश लोग इस स्थिति से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं।” उन्होंने बताया, “हमने एनआईवी के वैज्ञानिकों और महामारी विज्ञानियों सहित विशेषज्ञों का एक पैनल गठित किया है। मरीजों की विस्तृत निगरानी की जाएगी। अभी घबराने की कोई जरूरत नहीं है।”

अधिकांश संदिग्ध मरीजों की उम्र 12 से 30 वर्ष की बीच है। हालांकि 59 वर्षीय एक मरीज का मामला भी सामने आया है। (भाषा इनपुट्स के साथ)

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