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PM और VVIP के लिए सड़कें, फुटपाथ खाली कराए जाते हैं तो फिर सबके लिए क्यों नहीं? कोर्ट ने लगाई फटकार

कोर्ट ने कहा, ''फुटपाथ और चलने के लिए सुरक्षित स्थान एक मौलिक अधिकार है। हम अपने बच्चों को फुटपाथ पर चलने के लिए कहते हैं लेकिन अगर चलने के लिए फुटपाथ ही नहीं होंगे तो हम अपने बच्चों से क्या कहेंगे?''

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Jun 24, 2024 14:40 IST, Updated : Jun 24, 2024 14:40 IST
bombay high court- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि जब प्रधानमंत्री और अन्य अति विशिष्ट व्यक्तियों (वीवीआईपी) के लिए सड़कों और फुटपाथ को एक दिन के लिए खाली कराया जा सकता है तो सभी लोगों के लिए क्यों रोज ऐसा नहीं किया जा सकता। जस्टिस एम. एस. सोनक और न्यायमूर्ति कमल खता की खंडपीठ ने कहा कि साफ फुटपाथ और चलने के लिए सुरक्षित स्थान हर एक व्यक्ति का मौलिक अधिकार है और इसे मुहैया कराना राज्य प्राधिकरण का दायित्व है। पीठ ने कहा कि राज्य सरकार के केवल यह सोचने भर से नहीं चलेगा कि शहर में फुटपाथों पर अतिक्रमण करने वाले अनाधिकृत फेरीवालों की समस्या के समाधान के लिए क्या किया जाए। उन्हें (राज्य सरकार) अब इस दिशा में कुछ कठोर कदम उठाने होंगे।

कोर्ट ने राज्य सरकार और BMC को लगाई फटकार

हाईकोर्ट ने पिछले वर्ष शहर में अनाधिकृत रेहड़ी और फेरीवालों के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया था। पीठ ने सोमवार को कहा कि उसे पता है कि समस्या बड़ी है लेकिन राज्य और नगर निकाय सहित अन्य अधिकारी इसे ऐसे ही नहीं छोड़ सकते। पीठ ने इस मुद्दे पर सख्त कार्रवाई का आह्वान किया। कोर्ट ने कहा, ''जब प्रधानमंत्री या कोई वीवीआईपी आते हैं तो सड़कें और फुटपाथ तुरंत साफ कर दिए जाते हैं और जब तक वे यहां रहते हैं, तब तक ऐसा ही रहता है। तब यह कैसे हो जाता है? यह बाकी सभी लोगों के लिए क्यों नहीं किया जा सकता? नागरिक कर देते हैं, उन्हें साफ फुटपाथ और चलने के लिए सुरक्षित जगह की जरूरत है।''

'ऐसा लगता है कि इच्छाशक्ति की कमी है'

कोर्ट ने कहा, ''फुटपाथ और चलने के लिए सुरक्षित स्थान एक मौलिक अधिकार है। हम अपने बच्चों को फुटपाथ पर चलने के लिए कहते हैं लेकिन अगर चलने के लिए फुटपाथ ही नहीं होंगे तो हम अपने बच्चों से क्या कहेंगे?'' पीठ ने कहा कि बरसों से अधिकारी कह रहे हैं कि वे इस मुद्दे पर काम कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा, ''राज्य सरकार को कछ सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है। ऐसा नहीं हो सकता कि अधिकारी केवल सोचते ही रहें कि क्या करना है। ऐसा लगता है कि इच्छाशक्ति की कमी है, क्योंकि जहां इच्छाशक्ति होती है वहां हमेशा कोई न कोई रास्ता निकल ही आता है।''

बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील एसयू कामदार ने कहा कि ऐसे रेहड़ीवालों और फेरीवालों के खिलाफ समय-समय पर कार्रवाई की जाती है लेकिन वे फिर वापस आ जाते हैं। उन्होंने कहा कि बीएमसी भूमिगत बाजार के विकल्प पर भी विचार कर रही है। अदालत मामले पर अगली सुनवाई 22 जुलाई को करेगी। (भाषा इनपुट्स के साथ)

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