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डिस्कॉम पर बिजली उत्पादक कंपनियों का बकाया घटा, मई में 15% घटकर 82,305 करोड़ रुपये

मई, 2021 तक 45 दिन की मियाद या ग्रेस की अवधि के बाद भी डिस्कॉम पर कुल बकाया राशि 68,762 करोड़ रुपये थी। यह एक साल पहले 84,691 करोड़ रुपये थी।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : July 18, 2021 15:24 IST
डिस्कॉम पर बिजली...- India TV Paisa
Photo:PIXABAY

डिस्कॉम पर बिजली उत्पादक कंपनियों का बकाया घटा

नई दिल्ली।  बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर बिजली उत्पादक कंपनियों (जेनको) का बकाया मई, 2021 में एक साल पहले की तुलना में 15.25 प्रतिशत घटकर 82,305 करोड़ रुपये रह गया। मई, 2020 तक डिस्कॉम पर बिजली वितरण कंपनियों का बकाया 97,111 करोड़ रुपये था। पेमेंट रैटिफिकेशन एंड एनालिसिस इन पावर प्रोक्यूरमेंट फॉर ब्रिंगिंग ट्रांसपैरेंसी इन इन्वॉयसिंग ऑफ जेनरेशन (प्राप्ति) पोर्टल से यह जानकारी मिली है। हालांकि डिस्कॉम पर बिजली उत्पादकों का बकाया माह-दर-माह आधार पर बढ़ा है, जो क्षेत्र में दबाव का संकेत देता है। मई में डिस्कॉम पर जेनको का बकाया अप्रैल की तुलना में बढ़ा है। अप्रैल में यह 77,203 करोड़ रुपये रहा था। 

बिजली उत्पादकों तथा डिस्कॉम के बीच बिजली खरीद लेनदेन में पारदर्शिता लाने के लिए प्राप्ति पोर्टल मई, 2018 में शुरू किया गया था। मई, 2021 तक 45 दिन की मियाद या ग्रेस की अवधि के बाद भी डिस्कॉम पर कुल बकाया राशि 68,762 करोड़ रुपये थी। यह एक साल पहले 84,691 करोड़ रुपये थी। पोर्टल के ताजा आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में डिस्कॉम पर कुल बकाया 63,050 करोड़ रुपये था। बिजली उत्पादक कंपनियां डिस्कॉम को बेची गई बिजली के बिल का भुगतान करने के लिए 45 दिन का समय देती हैं। उसके बाद यह राशि पुराने बकाये में आ जाती है। ज्यादातर ऐसे मामलों में बिजली उत्पादक दंडात्मक ब्याज वसूलते हैं। बिजली उत्पादक कंपनियों को राहत के लिए केंद्र ने एक अगस्त, 2019 से भुगतान सुरक्षा प्रणाली लागू है। इस व्यवस्था के तहत डिस्कॉम को बिजली आपूर्ति पाने के लिए साख पत्र देना होता है। 

केंद्र सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों को भी कुछ राहत दी है। कोविड-19 महामारी की वजह से डिस्कॉम को भुगतान में देरी के लिए दंडात्मक शुल्क को माफ कर दिया गया था। सरकार ने डिस्कॉम के लिए 90,000 करोड़ रुपये की नकदी डालने की योजना पेश की थी। इसके तहत बिजली वितरण कंपनियां पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन तथा आरईसी लिमिटेड से सस्ता कर्ज ले सकती हैं। बाद में सरकार ने इस पैकेज को बढ़ाकर 1.2 लाख करोड़ रुपये और उसके बाद 1.35 लाख करोड़ रुपये कर दिया। इस नकदी पैकेज के तहत 80,000 करोड़ रुपये का वितरण किया गया है। आंकड़ों से पता चलता है कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, झारखंड और तमिलनाडु की बिजली वितरण कंपनियों का उत्पादक कंपनियों के बकाये में सबसे अधिक हिस्सा है। 

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