
Over 3.6 Lakh Indians Returned From Abroad As Part Of Vande Bharat Mission
नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर सरकार द्वारा गत सात मई को वंदे भारत मिशन शुरू किए जाने के बाद से अबतक कुल 3.6 लाख से अधिक भारतीय विदेश से वापस आए हैं। यह जानकारी विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को दी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि कुल 5,13,047 भारतीयों ने विदेशों में भारतीय मिशनों के पास स्वदेश वापसी के लिए अपने अनुरोध दर्ज कराए हैं। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने पंजीकरण कराए हैं, उनमें से आज तक की स्थिति के अनुसार 3,64,209 लोग इस अभियान के तहत लौट आए हैं।
उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों से भारतीय नागरिकों की वापसी जमीनी सीमाओं से भी हो रही है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि 84,000 से अधिक भारतीय नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से जमीनी सीमा आव्रजन चौकियों से वापस लौटे हैं। श्रीवास्तव ने कहा कि वंदे भारत मिशन के पहले तीन चरणों में पांच महाद्वीपों में 50 से अधिक देशों से लगभग 875 अंतरराष्ट्रीय उड़ानें परिचालन के लिए निर्धारित की गईं थीं। इनमें से अब तक, 700 से अधिक उड़ानें भारत पहुंच चुकी हैं और उनसे लगभग 1,50,000 भारतीय वापस आए हैं।
उन्होंने कहा कि चरण तीन के तहत शेष 175 उड़ानों के आने वाले दिनों में पहुंचने की उम्मीद है। श्रीवास्तव ने कहा कि चरण चार विशेष रूप से उन देशों पर ध्यान केंद्रित करेगा जहां अभी भी बड़ी संख्या में ऐसे भारतीय हैं, जिन्होंने वापसी के लिए पंजीकरण किया है। उन्होंने कहा कि जहाजों से वापसी भी इस मिशन का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि इस तरह की एक वापसी वर्तमान में चल रही है।
श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए आईएनएस जलाश्व 24 जून को ईरान में बंदरअब्बास बंदरगाह पहुंचा। जब उनसे इस अभियान के तहत विमानों से लौट रहे यात्रियों की कोविड-19 जांच कराने के संबंध में केरल सरकार की सलाह के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि खाड़ी देशों में भारतीय मिशनों से संपर्क के बाद विदेश मंत्रालय ने राज्य सरकार को बताया कि इस संबंध में कुछ वास्तविक समस्याएं हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में सिर्फ संयुक्त अरब अमीरात के पास ही पूरी तरह से जांच की व्यवस्था है। कतर सीमित स्तर पर जांच सुविधा मुहैया करा रहा है और इस क्षेत्र में अन्य देशों में यात्रा पूर्व जांच कराना संभव नहीं है क्योंकि इसमें खर्च, समय और जांच की उपलब्धता संबंधी दिक्कतें हैं।