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SBI ने MCLR में की 0.10 प्रतिशत की कटौती, 10 दिसंबर से प्रभावी होंगी नई ब्‍याज दरें

एक साल के लिए एमसीएलआर 8 प्रतिशत से घटकर अब 7.90 प्रतिशत होगी। बैंक ने अपने बयान में कहा है कि नई दरें 10 दिसंबर से प्रभावी होंगी।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : December 09, 2019 12:28 IST
SBI reduces MCLR by 10 bps across all tenors- India TV Paisa

SBI reduces MCLR by 10 bps across all tenors

नई दिल्‍ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट में कोई बदलाव न करने के कुछ दिनों बाद ही देश के सबसे बड़े सार्वजनिक बैंक भारतीय स्‍टेट बैंक (एसबीआई) ने अपनी ब्‍याज दरों में कटौती करने का ऐलान किया है। एसबीआई ने सोमवार को सभी अवधियों के लिए अपने मार्जिनल कॉस्‍ट-बेस्‍ड लेंडिंग रेट्स (एमसीएलआर) में 10 आधार अंकों की कटौती करने की घोषणा की है।

एक साल के लिए एमसीएलआर 8 प्रतिशत से घटकर अब 7.90 प्रतिशत होगी। बैंक ने अपने बयान में कहा है कि नई दरें 10 दिसंबर से प्रभावी होंगी। बैंक द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक चालू वित्‍त वर्ष में यह लगातार आठवीं बार है, जब बैंक ने अपनी एमसीएलआर दर में कटौती की है। बैंक ने रेपो रेट से जुड़े लोन के लिए ब्‍याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। इसके अलावा बैंक ने अपने फ‍िक्‍स्‍ड डिपॉजिट रेट में भी कोई बदलाव नहीं किया है।

SBI reduces MCLR by 10 bps across all tenors

SBI reduces MCLR by 10 bps across all tenors

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समीक्षा जारी करते हुए कहा था कि वह ब्‍याज दरों को हर बार कम नहीं कर सकते लेकिन वह इस बात के लिए काम जरूर करेंगे कि अभी तक जो भी कटौती हुई है उसका पूरा फायदा बैंकों द्वारा ग्राहकों तक पहुंचे।

रिजर्व बैंक ने अपनी हालिया समीक्षा बैठक में नीतिगत दर रेपो को 5.15 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है। साथ ही कहा है कि आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए वह भविष्य में अपने रुख को उदार बनाए रखेगा। दास ने कहा कि नीतिगत दरों में कटौती का लाभ लोगों तक पहुंचाना लंबे समय से केंद्रीय बैंक को परेशान करता रहा है, लेकिन अब बैंकों द्वारा अपनी कर्ज की ब्याज दरों को किसी बाहरी मानक से जोड़ने की शुरुआत के बाद इसके बेहतर होने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा कि नए ऋणों पर ब्याज दर में औसतन 0.44 प्रतिशत की कमी आई है। दास ने यह भी कहा कि पूंजीगत व्यय में जो चक्रीय सुस्ती चल रही थी, जिसकी वजह से आर्थिक वृद्धि को नुकसान पहुंच रहा था उसमें सुधार के संकेत हैं। 

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