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कुछ भारतीय बैंकों के समक्ष बांड पर ब्याज भुगतान नहीं कर पाने का जोखिम: फिच रेटिंग्‍स

सरकार के पूंजी समर्थन के बावजूद कुछ भारतीय बैंकों के समक्ष पूर्व में बांड के जरिये जुटाई गई राशि पर ब्याज भुगतान नहीं कर पाने का जोखिम दिख रहा है।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Published on: March 09, 2017 17:00 IST
कुछ भारतीय बैंकों के समक्ष बांड पर ब्याज भुगतान नहीं कर पाने का जोखिम: फिच रेटिंग्‍स- India TV Paisa
कुछ भारतीय बैंकों के समक्ष बांड पर ब्याज भुगतान नहीं कर पाने का जोखिम: फिच रेटिंग्‍स

मुंबई। नियामकीय उपायों तथा सरकार के पूंजी समर्थन के बावजूद कुछ भारतीय बैंकों के समक्ष पूर्व में बांड के जरिये जुटाई गई राशि पर ब्याज भुगतान नहीं कर पाने का जोखिम दिख रहा है। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फि‍च रेटिंग्‍स ने आज यह चेतावनी दी है।

फिच रेटिंग्स ने एक नोट में कहा,

कुछ बैंकों पर अगले एक-दो साल में बांड पर ब्याज भुगतान से चूक का जोखिम है। यह स्थिति रिजर्व बैंक द्वारा दबाव को कम करने के लिए किए गए उपायों और सरकार की तरफ से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी डाले जाने के बावजूद बनी है।

  • एजेंसी ने आगाह करते हुए कहा कि मझोले आकार के बैंकों पर ज्यादा जोखिम है।
  • हालांकि, रिपोर्ट में किसी बैंक का नाम नहीं लिया गया है।
  • रिपोर्ट के अनुसार वितरणयोग्य भंडार छोटे से मझोले आकार के सरकारी बैंकों में अप्रैल-दिसंबर 2016 में 2014-15 की इसी अवधि के मुकाबले एक तिहाई घटा है।
  • यह लगातार नुकसान और कमजोर आं‍तरिक पूंजी उत्पादन को बताता है।
  • फिच के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र के पांच बैंकों को नुकसान हुआ जो इस अवधि में वितरणयोग्य आरक्षित भंडार का 30 प्रतिशत से अधिक है।
  • एजेंसी के मुताबिक रिजर्व बैंक ने हाल ही में बैंकों को उनके सांविधिक आरक्षित भंडार में से अतिरिक्त टीयर-एक वित्तीय साधनों के ब्याज भुगतान का फैसला किया था।
  • इससे अल्पकालिक तौर पर ब्याज भुगतान का जोखिम टल गया लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का आरक्षित भंडार लगातार कम होने का जोखिम बना है।
  • घरेलू बैंकों को वित्त वर्ष 2018-19 तक 90 अरब डॉलर पूंजी की जरूरत है।
  • इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का हिस्सा 80 प्रतिशत तक है।
  • ऐसे में बाजार आधारित विकल्पों की अनुपस्थिति में उन्हें सरकार पर निर्भर रहना होगा।

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