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13 अंकों के मोबाइल नंबर हुए जारी, जानिए कहां और कौन लोग करेंगे इसका इस्‍तेमाल

दूरसंचार विभाग ने मशीन से मशीन (एम2 एम) संवाद के परीक्षण के लिए दूरसंचार कंपनियों को 13 अंकों वाले नंबर जारी कर दिए हैं। एम2 एम संवाद से मतलब स्मार्ट बिजली मीटर व कार ट्रेकिंग डिवाइस जैसे उपकरणों के बीच संवाद शामिल है।

Edited by: Abhishek Shrivastava
Published : Apr 06, 2018 09:13 pm IST, Updated : Apr 06, 2018 09:13 pm IST
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नई दिल्‍ली। दूरसंचार विभाग ने मशीन से मशीन (एम2 एम) संवाद के परीक्षण के लिए दूरसंचार कंपनियों को 13 अंकों वाले नंबर जारी कर दिए हैं। एम2 एम संवाद से मतलब स्मार्ट बिजली मीटर व कार ट्रेकिंग डिवाइस जैसे उपकरणों के बीच संवाद शामिल है। 

विभाग ने सार्वजनिक क्षेत्र की बीएसएनएल, निजी कंपनी भारती एयरटेल, रिलायंस जियो, आइडिया सेल्यूलर व वोडाफोन को 13 अंक के नंबर केवल परीक्षण उद्देश्य से जारी किए हैं। विभाग के पत्र के अनुसार उसने सेवा प्रदाताओं में प्रत्येक लाइसेंस सेवा क्षेत्र के लिए 10 लाख कोड केवल परीक्षण उद्देश्य के लिए जारी किए हैं। एम2 एम संवाद नई पीढ़ी की एक प्रौद्योगिकी है, जो कि स्मार्ट होम व स्मार्ट कार जैसी अवधारणा के केंद्र में है।

मोबाइल नंबर पोर्ट आसान बनाने के लिए ट्राई ने जारी किया परामर्श पत्र

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने ग्राहकों के सामने मौजूद असुविधाओं को हल करने के लिए मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी प्रक्रिया की समीक्षा के लिए शुक्रवार को एक परामर्श पत्र जारी किया। दूरसंचार नियामक ने एक बयान में कहा कि कुछ दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) द्वारा हाल में वायरलेस एक्सेस सेवाओं के बंद/समाप्त किए जाने के कारण कुछ या सभी लाइसेंस सेवा क्षेत्रों (एलएए) में पर्याप्त संख्या में ग्राहक अपना मोबाइल नंबर दूसरे टीएसपी में पोर्ट कराने को बाध्य हैं।

बयान में कहा गया है कि सेवाओं के बंद/समाप्त करने के परिणामस्वरूप इन सेवा प्रदाताओं के ग्राहकों से ट्राई को बड़ी संख्या में ग्राहकों से मोबाइल नंबरों को पोर्ट कराने में दिक्कतों की शिकायत प्राप्त हुई है। बयान में कहा गया है कि इसमें प्रमुख समस्या दाता ऑपरेटर द्वारा यूनिक पोर्टिग कोड (यूपीसी) का उत्पादन नहीं किया जाना है या ग्राहक द्वारा यूपीसी नहीं प्राप्त करना है। दाता ऑपरेटर द्वारा पोर्टिंग के आग्रह को बार-बार अस्वीकार किए जाने की समस्या भी शामिल है।

बयान में कहा गया है कि ये मुद्दे मोबाइल उपभोक्ताओं के लिए असुविधा व असंतोष पैदा कर रहे हैं। परामर्श पत्र में उठाए गए मुद्दों पर हितधारकों से तीन मई, 2018 तक लिखित टिप्पणियां और इसके विरोध में 17 मई, 2018 तक टिप्पणियां आमंत्रित की गई हैं।

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