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कॉल ड्रॉप को लेकर ट्राई हुआ सख्त, टेलीकॉम ऑपरेटर्स पर लग सकता है 10 लाख रुपए तक का जुर्माना

यदि कोई ऑपरेटर लगातार तीन तिमाहियों तक कॉल ड्रॉप के लिए तय मानकों पर खरा नहीं उतरता है तो उस पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Updated on: August 18, 2017 18:20 IST
कॉल ड्रॉप को लेकर ट्राई हुआ सख्त, टेलीकॉम ऑपरेटर्स पर लग सकता है 10 लाख रुपए तक का जुर्माना- India TV Paisa
कॉल ड्रॉप को लेकर ट्राई हुआ सख्त, टेलीकॉम ऑपरेटर्स पर लग सकता है 10 लाख रुपए तक का जुर्माना

नई दिल्ली। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने कॉल ड्रॉप पर अंकुश लगाने के लिए आज कुछ कड़े दिशानिर्देश जारी किए। इन दिशानिर्देशों के तहत यदि कोई ऑपरेटर लगातार तीन तिमाहियों तक कॉल ड्रॉप के लिए तय मानकों पर खरा नहीं उतरता है तो उस पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा।

ट्राई के चेयरमैन आर एस शर्मा ने यहां संवाददाताओं से कहा, हमने कॉल ड्रॉप के मामले में एक से पांच लाख रुपए तक के वित्‍तीय जुर्माने का प्रस्ताव किया है। यह ग्रेडेड जुर्माना प्रणाली है जो किसी नेटवर्क के प्रदर्शन पर निर्भर करेगी। ट्राई के कार्यवाहक सचिव एस के गुप्ता ने कहा कि यदि कोई ऑपरेटर लगातार तिमाहियों में कॉल ड्रॉप के मानकों को पूरा करने में विफल रहता है तो जुर्माना राशि 1.5 गुना बढ़ जाएगी और लगातार तीसरे महीने में यह दोगुनी हो जाएगी। हालांकि, अधिकतम जुर्माना 10 लाख रुपए तक रहेगा।

इस संशोधन के बाद किसी एक सर्किल में कॉल ड्रॉप मापने की दर सर्किल स्तर से मोबाइल टॉवर तक अधिक ग्रैनुलर हो जाएगी। शर्मा ने कहा, कॉल ड्रॉप को मापने को लेकर कई मुद्दे हैं। औसत से कई चीजें छिप जाती हैं। नए नियमों के तहत हम किसी नेटवर्क के अस्थायी मुद्दे पर भी ध्यान देंगे और साथ ही नेटवर्क के भौगोलिक फैलाव को भी देखेंगे।

संशोधित नियमों के तहत किसी दूरसंचार सर्किल में 90 प्रतिशत मोबाइल साइटें 90 प्रतिशत समय तक 98 प्रतिशत तक कॉल्स को सुगम तरीके से संचालित करने में सक्षम होनी चाहिए। यानी कुल कॉल्स में से दो प्रतिशत से अधिक ड्रॉप की श्रेणी में नहीं आनी चाहिए। किसी खराब स्थिति या दिन के व्यस्त समय में एक दूरसंचार सर्किल के 90 प्रतिशत मोबाइल टॉवरों पर कॉल ड्रॉप की दर तीन प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।  नियामक ने रेडियो लिंक टाइम आउट प्रौद्योगिकी (आरएलटी) के लिए भी मानक तय किए हैं। कथित रूप से इसका इस्तेमाल दूरसंचार ऑपरेटरों द्वारा कॉल ड्रॉप को छुपाने के लिए किया जाता है।

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