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सीपीएस ने विजय माल्या के गवाह के बयानों को किया खारिज, जांच एजेंसियों की विश्‍वसनीयता पर उठाए थे सवाल

ब्रिटेन की अदालत में विजय माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर जारी सुनवाई में भारत सरकार का पक्ष रख रही क्राउन प्रोसेक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने बचाव पक्ष की ओर से एक राजनीतिक विशेषज्ञ के साक्ष्यों को खारिज कर दिया।

Manish Mishra Edited by: Manish Mishra
Updated on: December 13, 2017 9:40 IST
Vijay Mallya- India TV Paisa
Vijay Mallya

लंदन ब्रिटेन की अदालत में विजय माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर जारी सुनवाई में भारत सरकार का पक्ष रख रही क्राउन प्रोसेक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने बचाव पक्ष की ओर से एक राजनीतिक विशेषज्ञ के साक्ष्यों को खारिज कर दिया। सीपीएस ने दावा किया कि इस राजनीतिक विशेषज्ञ ने भारतीय जांच एजेंसियों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने के लिए दोषपूर्ण सामग्रियों का सहारा लिया।

वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत में मामले की सुनवाई के पांचवें दिन की शुरुआत स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड एशियन स्टडीज के राजनीति विभाग के प्रोफेसर लॉरेंस साएज की गवाह के तौर पर पेशी के साथ हुई। साएज ने भारतीय राजनीतिक तंत्र पर अपनी विशेषज्ञ राय दी। इसमें उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की निष्पक्षता तथा राकेश अस्थाना की विशेष निदेशक के तौर पर नियुक्ति पर सवाल उठाया।

माल्या की वकील क्लेयर मोंटगोमेरी ने साएज का लिखित बयान पेश किया। यह उच्चतम न्यायालय द्वारा एक आदेश में सीबीआई को ‘पिंजरे में बंद मालिक के इशारे पर बोलने वाला कबूतर’ बताए जाने तथा पूर्व सीबीआई निदेशकों के जांच को प्रभावित करने के प्रयासों के संस्मरण पर आधारित था।

सीपीएस के वकील मार्क समर्स ने इसका जवाब देते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय के उसी निर्णय के बाद केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) का गठन हुआ जो सीबीआई पर स्वतंत्र निगरानी रखती है।

समर्स ने कहा कि सीबीआई की स्वतंत्रता का मूल्यांकन करते हुए आपने आयोग का कहीं जिक्र नहीं किया। उन्होंने भारतीय कार्मिक, लोक शिकायत निवारण और पेंशन मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि उसमें सीबीआई को देश का भरोसेमंद मुख्य जांच एजेंसी बताया गया है।

समर्स ने इन स्रोतों को ध्यान में न रख मीडिया रिपोर्ट्स पर भरोसा करने के कारण साएज के दृष्टिकोण को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि आपने सीबीआई पर हमला किया और इसके निदेशक अस्थाना के चरित्र एवं पेशेवर ईमानदारी पर गंभीर आरोप लगाए। लोग आप जैसे विशेषज्ञों को गंभीरता से लेते हैं और सोचते हैं कि आप लोग अपनी सूचनाओं का मूल्यांकन करते समय मीडिया रिपोर्ट्स पर भरोसा नहीं करेंगे।

समर्स ने उच्चतम न्यायालय द्वारा 28 नवंबर को दिए एक आदेश का जिक्र किया जिसमें सीबीआई के विशेष निदेशक के तौर पर अस्थाना की नियुक्ति के बारे में कहा गया था कि इसमें कोई गड़बड़ी नहीं की गई है।

साएज ने अपनी गवाही में कहा था कि विजय माल्या को अनुचित तरीके से फंसाया जा रहा है क्योंकि वह कॉरपोरेट की बड़ी शख्सियत हैं। उन्हें राजनीतिक समर्थन पाने की होड़ में राजनीतिक दलों द्वारा गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा है। साएज ने कहा वह एक प्रतिष्ठित कारोबारी हैं और मेरी नजर में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस इस मामले को राजनीतिक समर्थन के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि लंदन की अदालत में विजय माल्या के खिलाफ चार दिसंबर से शुरू हुई सुनवाई में उनके खिलाफ प्रथमदृष्टया धोखाधड़ी के खिलाफ लगे आरोपों पर गौर किया जाना है। माल्या भारतीय न्याय प्रक्रिया से बचते हुए मार्च 2016 से ब्रिटेन में रह रहे हैं।

जज एम्मा अर्बतनॉट ने भारत सरकार का पक्ष रख रहे क्राउन प्रोसेक्यूशन सर्विस (सीपीएस) को कल निर्देश दिया था कि वह अपने अंतिम जिरह में मामले का खाका स्पष्ट करे। उन्होंने कहा, वह इस बारे में काफी अनिश्चित महसूस करती हैं कि साजिश के इस वृहद मामले में भारतीय बैंक किस तरह शामिल रहे।

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