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US में 40 साल के रिकॉर्ड पर महंगाई, जानिए आपकी जेब कैसे ढीली करेगा यह अमेरिकी संकट

अमेरिका में महंगाई विशेषज्ञों को भी चौंका रही है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने इंफ्लेशन का टार्गेट 2 फीसदी रखा है।

India TV News Desk Edited by: India TV News Desk
Published on: February 11, 2022 13:56 IST
US Inflation- India TV Paisa
Photo:AP

US Inflation

Highlights

  • अमेरिका में महंगाई दर चार दशक के उच्चतम स्तर पर है
  • महामारी के बाद उबर रही ग्लोबल इकोनॉमी चिंता में
  • US में महंगाई होने से भारत को भी महंगा आयात करना होगा

कहा जाता है कि अमेरिका की छींक पूरी दुनिया को बीमार कर देती है। अमेरिका में बढ़ रही महंगाई से यही होता एक बार फिर दिख रहा है। जनवरी में अमेरिका में महंगाई के जो आंकड़े आए हैं उसने कोरोना महामारी के बाद उबर रही ग्लोबल इकोनॉमी को चिंता में डाल दिया है। अमेरिका में महंगाई दर चार दशक के उच्चतम स्तर पर है। यहां रिटेल इंफ्लेशन रेट 7.5 फीसदी पर पहुंच गया जो फरवरी 1982 के बाद सबसे अधिक है। 

लेकिन यह तो अमेरिका का मामला है, हम ऐसा कभी भी नहीं कह सकते। अमेरिका में इस महंगाई से हमारी जेब पर भी असर पड़ रहा है, आगे चल कर यह अमेरिकी महंगाई हमारी जेब भी जलाने जा रही है। भारत अपनी जरूरत की अहम चीजें जैसे तेल और गैस आयात करता है। अमेरिका में महंगाई होने से भारत को भी महंगा आयात करना होगा। साथ ही डॉलर की मजबूती से हमारा इंपोर्ट भी महंगा होगा। यानि कि आपकी जेब को चपत लगनी तय है।

विशेषज्ञों को भी चौंका रही है अमेरिका की महंगाई 

अमेरिका में महंगाई विशेषज्ञों को भी चौंका रही है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने इंफ्लेशन का टार्गेट 2 फीसदी रखा है। जबकि महंगाई का आंकड़ा 7.5 फीसदी पर है। दिसंबर के मुकाबले जनवरी में महंगाई में 0.6 फीसदी की तेजी आई है। अक्टूबर के मुकाबले नवंबर में महंगाई दर में 0.7 फीसदी की तेजी दर्ज की गई थी, जबकि सितंबर के मुकाबले अक्टूबर में महंगाई में 0.9 फीसदी का उछाल आया था। 

कितनी बड़ी है अमेरिका की समस्या 

अमेरिका में महंगाई से उपभोक्ता परेशान हैं। दूसरी ओर लोगों के इंक्री​मेंट घट गए हैं। महंगाई बढ़ने के कारण अमेरिकी केंद्रीय बैंक यानि फेडरल रिजर्व (US federal reserve)की ओर से ब्याज दरें बढ़ाना लगभग तय हो गया है। वर्कर्स की कमी, सप्लाई-चेन में कमी से सप्लाई घट गई है। वहीं शून्य ब्याज दरों के चलते खर्च में तेजी आई है। इसके कारण पिछले एक साल से महंगाई में लगातार उछाल आ रहा है। 

अमेरिकी बाजार के लिए यह संकट कैसे बना राहत 

भले ही अमेरिकी महंगाई भारत सहित विश्व के बाजारों के लिए चिंता का कारण हों। लेकिन खुद अमेरिका के लिए ऐसा नहीं है। डिमांड के कारण इंफ्लेशन बढ़ने से इकोनॉमिक रिकवरी बहुत तेजी से हो रही है। रोजगार के मोर्चे पर सुधार आ रहा है। जनवरी में रोजगार डेटा उम्मीद से बेहतर रहा। वहां वर्कर्स की शॉर्टेज शुरू हो गई है, जिसके कारण घंटे का वेतन बए़ गया है।

भारत को चिंता क्यों?

अमेरिका की अर्थव्यवस्था में हलचल भारत को कई मोर्चों पर प्रभावित करेगी। भारत बड़े पैमाने पर विदेशों से आयात करता है। ऐसे में भारत का आयात महंगा हो जाएगा। इससे राजकोषीय घाटा और बढ़ेगा साथ ही रुपया भी लुढ़केगा। जिससे एक और नई समस्या पैदा होगी। अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से भारतीय कंपनियों के लिए विदेशों से फंड इकट्ठा करना महंगा हो जाएगा। 

बॉण्ड यील्ड बढ़ने से भारत छोड़ रहे विदेशी निवेशक 

अमेरिका में बॉन्ड यील्ड लगातार बढ़ रही है। गुरुवार को 10 साल के बॉन्ड पर यील्ड बढ़कर 2 फीसदी के पार हो गई। यह अगस्त 2019 के बाद का सर्वोच्च स्तर है। बॉण्ड यील्ड बढ़ने से भारतीय बाजार विदेशी निवेशकों के लिए उतने लाभकारी नहीं रह गए। निवेशक अमेरिका में ही पैसा लगाने को सुरक्षित मान रहे हैं। बीते एक साल में विदेशी निवेशक करीब 80 लाख करोड़ की निकासी भारतीय बाजार से कर चुके हैं। जब बॉन्ड की कीमत घटती है तो यील्ड बढ़ती है, जब बॉन्ड की कीमत बढ़ती है तो यील्ड घटती है। 

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