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भारत को क्यों सता रही है 'महंगाई डायन', अमेरिका ने बताया इसका कारण!

चुनौतियों का बड़ा कारण कच्चे तेल का आयात है। हम अपनी कुल कच्चे तेल जरूरत का 85 प्रतिशत आयात करते हैं। बाहरी कारणों से मुद्रास्फीति पर दबाव पड़ रहा है। हमें इसको लेकर सतर्क रहने की जरूरत है।

Sachin Chaturvedi Edited By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: November 12, 2022 14:04 IST
भारत को क्यों सता रही...- India TV Paisa
Photo:AP भारत को क्यों सता रही है 'महंगाई डायन': जेनेट येलेन

कोरोना समाप्त होने के बाद से ही भारत महंगाई की आंच में तप रहा है। खाने पीने के सामान से लेकर लक्जरी आइटम तक हर महीने महंगे हो रहे हैं। वहीं यूक्रेन रूस विवाद ने इस पूरी समस्या को भड़काने में पेट्रोल का काम किया है। विपक्ष भी सरकार को कोस रहा है। लेकिन इस बीच अमेरिका ने कहा है कि भारत की महंगाई चिंता जनक है, लेकिन इसके कारण बाहरी हैं यानि वैश्विक कारण भारत की महंगाई की जड़ में हैं। 

अमेरिका ने जताई चिंता 

भारत और अमेरिका ने शुक्रवार को महंगाई की ऊंची दर को लेकर चिंता जतायी। दोनों देशों ने कहा कि यह बाह्य कारणों का परिणाम है और उनके लिये चुनौती है। अमेरिका-भारत व्यापार और निवेश अवसर बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत में मुद्रास्फीति की चुनौतियां बाह्य कारकों से प्रेरित हैं। 

महंगाई पूरी दुनिया के लिए चुनौती 

अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने कहा कि इस समय वैश्विक आर्थिक परिदृश्य काफी चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कहा कि उच्च मुद्रास्फीति इस समय कई विकसित और विकासशील देशों के लिये चुनौती है। विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक इस समस्या से निपटने के लिये प्रयास कर रहे हैं।

सीतारमण के क्या कहा?

कार्यक्रम में सवाल-जवाब सत्र में कहा, ‘‘आज जो महंगाई का आंकड़ा है, वह प्रबंधन के लायक है। चुनौतियों का बड़ा कारण कच्चे तेल का आयात है। हम अपनी कुल कच्चे तेल जरूरत का 85 प्रतिशत आयात करते हैं। बाहरी कारणों से मुद्रास्फीति पर दबाव पड़ रहा है। हमें इसको लेकर सतर्क रहने की जरूरत है।’’ सीतारमण ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय दोनों मुद्रास्फीति से निपटने के लिये मिलकर काम कर रहे हैं। 

रूस यूक्रेन युद्ध से फूटा महंगाई बम

येलेन ने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति का प्रमुख कारण रूस का यूक्रेन पर हमला भी है। इससे ऊर्जा और खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़े हैं। कई उभरते बाजार हैं, जहां कर्ज और ब्याज दर अधिक है। ऐसे में ऊर्जा और खाद्य वस्तुओं के दाम में तेजी से उनमें से कुछ के लिये कर्ज को लेकर दबाव बढ़ा है और इसको लेकर संकट पैदा हो रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें आने वाले समय में इससे निपटने की जरूरत होगी।’’ 

निवेश बढ़ाना चुनौती 

भारत में निवेश से जुड़े एक सवाल के जवाब में सीतारमण ने कहा कि राष्ट्रीय निवेश पाइपलाइन और राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन यानी सार्वजनिक संपत्तियों को बाजार पर चढ़ाने की योजना एक दूसरे का पूरक बनने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘‘संपत्तियों को बाजार पर चढ़ाने का कार्यक्रम तेजी से चल रहा है। हमारी तरफ से बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर 9,000 करोड़ रुपये का निवेश आगे बढ़ रहा है। जिस तरीके से हमने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश को खोला है, उसके साथ भारत में निवेश का जो परिवेश है, उससे अनुकूल निवेश रिटर्न सुनिश्चित होगा।’’ 

सीतारमण ने अमेरिका निवेशकों को भारत में निवेश के लिये आमंत्रित करते हुए कहा कि कई अन्य देशों के मुकाबले श्रम लागत प्रतिस्पर्धी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह समय ठोस योजना बनाने की है।’’ इस बैठक में दोनों देशों के जाने-माने उद्योगपतियों और उद्योग प्रमुख शामिल हुए।

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