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  4. अब चावल और अरहर दाल पर मंडराया महंगाई का खतरा, खरीफ सीजन में धान की बुवाई अब तक 12.39% कम

चावल और अरहर दाल पर छाएगी "मानसून वाली महंगाई"? खरीफ सीजन में धान की बुवाई अब तक 12.39% कम

धान की बुवाई अब तक 12.39 प्रतिशत घटकर 309.79 लाख हेक्टेयर रही है। इसका कारण विशेषकर झारखंड और पश्चिम बंगाल में बुवाई रकबे का कम रहना है।

India TV Paisa Desk Written By: India TV Paisa Desk
Updated on: August 13, 2022 18:36 IST
Kharif Season- India TV Paisa
Photo:FILE Kharif Season

रबी सीजन में गेहूं की कम पैदावार के बाद अब खरीफ की फसल को लेकर भी बुरी खबर आ रही है। शुरुआती दौर में मानसून की बेरुखी से पिछड़ी धान की बुवाई की भरपाई अब संभव नहीं दिख रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार चालू खरीफ सत्र में धान की बुवाई अब तक 12.39 प्रतिशत घटकर 309.79 लाख हेक्टेयर रही है। इसका कारण विशेषकर झारखंड और पश्चिम बंगाल में बुवाई रकबे का कम रहना है। 

दलहन और तिलहन का रकबा भी पिछड़ा 

कृषि मंत्रालय के अनुसार सिर्फ धान की बुवाई में ही इस बार कमी नहीं हुई है। बल्कि दलहन और तिलहन की बुवाई का रकबा भी इस खरीफ (गर्मी) सत्र में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में अभी कम है। धान मुख्य खरीफ फसल है, जिसकी बुवाई जून से दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होती है। देश के कुल उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत भाग इसी मौसम से आता है। 

Kharif
Image Source : FILE
Kharif

झारखंड और पश्चिम बंगाल में स्थिति नाजुक

झारखंड में इस सत्र में अब तक केवल 3.88 लाख हेक्टेयर में धान बोया गया है, जो रकबा एक साल पहले इसी अवधि में 15.25 लाख हेक्टेयर था। इसी तरह, पश्चिम बंगाल में भी धान की बुवाई कम यानी 24.3 लाख हेक्टेयर में ही हुई, जो पिछले साल 35.53 लाख हेक्टेयर में हुई थी। आंकड़ों के अनुसार उक्त अवधि में मध्य प्रदेश, ओडिशा, बिहार, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, त्रिपुरा, मेघालय, उत्तराखंड, कर्नाटक, गोवा, सिक्किम और मिजोरम में भी धान की बुवाई कम हुई है। 

दालों और तिलहन में भी पिछड़े 

इस साल दाल की बुवाई भी पिछड़ रही है। सबसे ज्यादा पैदा होने वाली अरहर की दाल की बात करें तो इस साल रकबा 42 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल अब तक 47.55 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो गई थी। तिलहन की बात करें तो यहां मूंगफली की बुवाई काफी कम हुई है। हालांकि, इस खरीफ सत्र में अब तक मोटे-सह-पोषक अनाज की बुवाई 166.43 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि एक साल पहले इसी अवधि के 161.33 लाख हेक्टेयर के रकबे से थोड़ा अधिक है। 

नकदी फसलों में स्थिति बेहतर 

नकदी फसलों की बात की जाए तो स्थिति बेहतर दिख रही है। गन्ने का रकबा 54.52 लाख हेक्टेयर के मुकाबले बढ़कर 55.20 लाख हेक्टेयर हो गया, जबकि कपास खेती का रकबा पहले के 116.15 लाख हेक्टेयर के मुकाबले बढ़कर 123.09 लाख हेक्टेयर हो गया। आंकड़ों से पता चलता है कि जूट/मेस्टा का रकबा एक साल पहले की तुलना में 6.94 लाख हेक्टेयर पर लगभग अपरिवर्तित रहा। इस साल 12 अगस्त तक सभी खरीफ फसलों का बुवाई रकबा 37.63 लाख हेक्टेयर घटकर 963.99 लाख हेक्टेयर रह गया। 

पूर्वी भारत में कम हुई बारिश 

मौसम विभाग के अनुसार, इस साल एक जून से 10 अगस्त के बीच देश में कुल मिलाकर दक्षिण-पश्चिम मानसून की 8 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है, लेकिन पूर्वी और पूर्वाेत्तर हिस्सों में 16 प्रतिशत कम बारिश हुई है।

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