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इस देश के लिए 100 साल में सबसे लंबी मंदी की चेतावनी, जानिए क्या होगा इसका असर

बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्रिटेन को लेकर कहा है कि यहां 100 साल में सबसे लंबी मंदी आने वाली है। बैंक के अनुसार, इस गर्मी में शुरू हुई मंदी 2024 के मध्य तक चलने की उम्मीद है।

Alok Kumar Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: November 04, 2022 13:43 IST
बैंक ऑफ इंग्लैंड- India TV Paisa
Photo:AP बैंक ऑफ इंग्लैंड

कारोना के बाद दुनिया के कई देशों पर मंदी का खतरा मडरा रहा है। अब बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्रिटेन को लेकर कहा है कि यहां 100 साल में सबसे लंबी मंदी आने वाली है। बैंक के अनुसार, इस गर्मी में शुरू हुई मंदी 2024 के मध्य तक चलने की उम्मीद है। बैंक ने कहा कि उसे बेरोजगारी 3.5 प्रतिशत से 6.5 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है। 

ब्याज दर में बदलाव 

इस बीच केंद्रीय बैंक ने दरों में बदलाव कर अपेक्षा के विपरीत उधार लेने वालों को कुछ राहत प्रदान की थी। बैंक ऑफ इंग्लैंड ने 1989 के बाद उधार लेने की दर को 3 प्रतिशत तक बढ़ाने के बाद ब्रिटेन में 100 वर्षों में सबसे लंबी मंदी आने की चेतावनी दी है। द गार्जियन ने बताया कि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था बहुत ही चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही है। बैंक के गवर्नर एंड्रयू बेली ने कहा, हम भविष्य की ब्याज दरों के बारे में वादा नहीं कर सकते, लेकिन आज हम जहां खड़े हैं, उसके आधार पर हमें लगता है कि वित्तीय बाजारों में वर्तमान कीमत से बैंक दर को कम करना होगा। गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक पिछली बार 1989 में उधार लेने की दरों में 0.5 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई थी। 1992 में विनिमय दर तंत्र संकट के दौरान जॉन मेजर की सरकार को 2 प्रतिशत की वृद्धि के लिए मजबूर किया गया था, हालांकि 24 घंटे से भी कम समय में इसे वापस ले लिया गया था।

ब्याज दरों में 30 वर्षों की सबसे बड़ी

इससे पहले बैंक ऑफ इंग्लैंड ने बृहस्पतिवार को अपनी प्रमुख ऋण दर को 0.75 प्रतिशत बढ़ाकर तीन प्रतिशत कर दिया, जो पिछले 30 वर्षों की सबसे बड़ी वृद्धि है। यूक्रेन पर रूस के हमले के कारण बेकाबू हुई महंगाई पर लगाम लगाने और पूर्व प्रधानमंत्री लिज ट्रस की विनाशकारी आर्थिक नीतियों के असर को कम करने के लिए यह बढ़ोतरी की गई। ब्रिटेन में उपभोक्ता मूल्य पर आधारित मुद्रास्फीति सितंबर में 40 साल के उच्चस्तर पर पहुंच गई थी। ब्याज दरों में की गई बढ़ोतरी बाजार की अपेक्षाओं के अनुरूप है, क्योंकि यह माना जा रहा था कि महंगाई को काबू में करने के लिए आक्रामक कदम उठाने की जरूरत है। 

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