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GST संग्रह बढ़ने के बावजूद राज्यों की झोली रह गई खाली, राजस्व वृद्धि 7-9 प्रतिशत घटने का अनुमान

2020-21 में Covid -19 महामारी के प्रकोप के दौरान राजस्व वृद्धि कम थी और उसकी तुलना में 2021-22 में यह 25 प्रतिशत के बेहतर स्तर पर रही।

Written By: Indiatv Paisa Desk
Published : Aug 24, 2022 18:52 IST, Updated : Aug 24, 2022 18:52 IST
GST- India TV Paisa
Photo:FILE GST

Highlights

  • राज्यों की राजस्व वृद्धि चालू वित्त वर्ष में घटकर सात से नौ प्रतिशत रह सकती है
  • जीएसडीपी में 90 प्रतिशत योगदान देने वाले 17 राज्यों के आकलन के बाद तैयार की गई
  • राजस्व वृद्धि को सबसे ज्यादा बल समूचे राज्य जीएसटी संग्रह से मिलेगा

देश में उलटबासी का दौर जारी है। एक ओर जहां माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह अच्छा रहने की संभावना जताई जा रही है, वहीं दूसरी ओर राज्यों की रेवेन्यू ग्रोथ करीब 9 प्रतिशत तक घटने की भी आश्ंाका दर्ज की जा रही है। एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार राज्यों की राजस्व वृद्धि चालू वित्त वर्ष में घटकर सात से नौ प्रतिशत रह सकती है। 

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में 90 प्रतिशत योगदान देने वाले 17 राज्यों के आकलन के बाद तैयार की गई। इसमें बताया गया कि 2020-21 में महामारी के प्रकोप के दौरान राजस्व वृद्धि कम थी और उसकी तुलना में 2021-22 में यह 25 प्रतिशत के बेहतर स्तर पर रही। क्रिसिल ने रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में कर संग्रह अच्छा रहने से राजस्व वृद्धि को बल मिलेगा। राज्यों को मिलने वाले राजस्व में 45 प्रतिशत हिस्सेदारी जीएसटी संग्रह और केंद्र से हस्तांतरण को मिलाकर होती है और इसके दहाई अंक में बढ़ने का अनुमान है। 

एजेंसी के वरिष्ठ निदेशक अनुज सेठी ने कहा कि राजस्व वृद्धि को सबसे ज्यादा बल समूचे राज्य जीएसटी संग्रह से मिलेगा जो 2021-22 में 29 प्रतिशत बढ़ गया। उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि वृद्धि की गति कायम रहेगी और संग्रह चालू वित्त वर्ष में और 20 प्रतिशत बढ़ेगा। अनुपालन का स्तर बेहतर होने, उच्च मुद्रास्फीति का माहौल और सतत आर्थिक वृद्धि इसमें मददगार होगी।’’ 

पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री से मिलने वाले कर संग्रह की सपाट या निम्न एवं एकल अंक की वृद्धि (8 से 9 फीसदी) और 15वें वित्त आयोग (13-15 फीसदी) की अनुदान अनुशंसा वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कारक होंगे। एजेंसी ने कहा कि केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी चालू वित्त वर्ष में और बढ़ सकती है। वहीं ईंधन कर संग्रह लगभग अपरिवर्तित रहने का अनुमान है क्योंकि बिक्री में 25 प्रतिशत की वृद्धि का लाभ करों में कटौती की वजह से नहीं मिल पाएगा। 

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