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कमाई कम-खर्चा ज्यादा! बैंकिग इंडस्ट्री के सामने आ रही बड़ी मुसीबत, एशिया के सबसे अमीर बैंकर ने दी चेतावनी

बैंकों में रिटेल डिपॉजिट ग्रोथ कम हो रही है। बैंक 8.5% की फ्लोटिंग रेट पर होम लोन दे रहे हैं, जबकि 9% पर उधार ले रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप 0.5% का निगेटिव स्प्रेड हो रहा है।

Written By: Pawan Jayaswal
Published : Mar 29, 2025 12:14 pm IST, Updated : Mar 29, 2025 12:15 pm IST
उदय कोटक- India TV Paisa
Photo:FILE उदय कोटक

एशिया के सबसे बड़े अमीर बैंकर उदय कोटक ने बैंकिंग इंडस्ट्री में एक बड़ी मुसीबत के बारे में बताया है। उन्होंने बढ़ते डिपॉजिट संकट पर चिंता जताई। उदय कोटक ने कहा कि यह बैंकों के लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि बैंकिंग इंडस्ट्री घटते मार्जिन के खतरे का सामना कर रही है। सस्ते रिटेल डिपॉजिट की धीमी ग्रोथ के चलते बैंक महंगे होलसेल डिपॉजिट का सहारा ले रहे हैं और निगेटिव मार्जिन पर उधार दे रहे हैं। कोटक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, 'अगर डिपॉजिट शॉर्टेज जारी रहती है, तो यह बैंकिंग बिजनेस मॉडल को खतरे में डाल देगी।'

घट रही बचत की आदत

दरअसल, पिछले कुछ वर्षों से लोगों में बचत की आदत खत्म सी हो रही हो। लोग कमाते हैं और खर्च कर देते हैं। बड़ी संख्या में यूथ ऐसा ही कर रहे हैं। निवेश के नए माध्यम आ जाने से पैसा बैंकों में डिपॉजिट करने का चलन कम हो रहा है। पहले लोग अपने सेविंग अकाउंट्स में और एफडी में बड़ी रकम रखते थे। अब यह चलन घटा है। इससे बैंकों में रिटेल डिपॉजिट ग्रोथ कम हो रही है। ऐसे में लोन देने के लिए बैंकों को होलसेल डिपॉजिट लेना पड़ रहा है, जिस पर अधिक ब्याज देना होता है। इससे बैंकों का मार्जिन कम हो रहा है।

 

लगात बढ़ने से नहीं मिल रहा मुनाफा

कोटक ने बताया कि होलसेल डिपॉजिट पर 8% के अलावा और भी खर्चे हैं। जैसे कि कैश रिजर्व रेश्यो यानी CRR, सीआरआर का मतलब है कि बैंकों को अपनी जमा राशि का कुछ हिस्सा RBI के पास रखना होता है, जिस पर उन्हें कोई ब्याज नहीं मिलता। इसके अलावा, स्टैचुटरी लिक्विडिटी रेशियो यानी SLR जैसी कॉस्ट भी हैं। SLR का मतलब है कि बैंकों को अपनी जमा राशि का कुछ हिस्सा सरकारी बॉन्ड में निवेश करना होता है। डिपॉजिट इंश्योरेंस और प्रायोरिटी सेक्टर के टार्गेट्स भी हैं। डिपॉजिट इंश्योरेंस का मतलब है कि अगर बैंक डूब जाता है, तो जमाकर्ताओं को उनकी जमा राशि का कुछ हिस्सा वापस मिल जाएगा। प्रायोरिटी सेक्टर के लक्ष्य का मतलब है कि बैंकों को अपने लोन का कुछ हिस्सा कुछ खास सेक्टर्स को देना होता है। कोटक ने कहा कि इन लागतों के बावजूद बैंक 8.5% की फ्लोटिंग रेट पर होम लोन दे रहे हैं, जबकि 9% पर उधार ले रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप 0.5% का निगेटिव स्प्रेड हो रहा है।

रेपो रेट में गिरावट की उम्मीद

कोटक ने कहा कि पूरे बैंकिग सिस्टम में रिटेल डिपॉजिट की धीमी ग्रोथ है। उधर रेपो रेट्स में और गिरावट की उम्मीद है, इसलिए कॉस्ट और लोन की रेट्स दोनों को मैनेज करना बड़ी चुनौती रहेगी। अधिकांश अर्थशास्त्रियों ने अप्रैल में रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती का अनुमान लगाया है। इससे पहले फरवरी में आरबीआई ने रेपो रेट को 0.25 फीसदी घटाकर 6.25% किया था।

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