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'BSNL को बर्बाद करने वाले कौन थे?', PM मोदी ने कांग्रेस पर साधा निशाना; जानें पूरी कहानी

बीएसएनएल के पिछड़े रहने के पीछे तीन प्रमुख वजह हैं। सरकारी दखल, लाल फीताशाही और स्पेक्ट्रम नीलामी में भाग नहीं लेना। साल 2006 से 2012 की अवधि में इस कंपनी में लाला फीताशाही काफी अधिक देखने को मिली। BSNL में टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने में ही महीनों लग जाते थे।

Written By: Pawan Jayaswal
Published : Feb 07, 2024 17:27 IST, Updated : Feb 07, 2024 17:32 IST
बीएसएनएल- India TV Paisa
Photo:FILE बीएसएनएल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने आज बुधवार को राज्यसभा में कई पीएसयू कंपनियों का जिक्र किया। इनमें बीएसएनएल, एमटीएनएल, एयरइंडिया और एचएएल प्रमुख हैं। पीएम राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए कांग्रेस पर करारा हमला बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में बीएसएनएल-एमटीएनएल को बर्बाद कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि आज मौजूदा सरकार के प्रयासों से इन कंपनियों के हालत सुधरे हैं। आइए पहले जानते हैं कि पीएम ने आज क्या कहा।

क्या बोले पीएम?

पीएम बोले, 'कांग्रेस ने कहा कि हमने पीएसयू बेच दिये, पीएसयू डुबा दिये। भांति-भांति की बातें यहां पर कही गई और वरिष्ठ लोगों तक ने ऐसा कहा। याद कीजिए बीएसएनएल-एमटीएनएल को बर्बाद करने वाले कौन थे? कौन सा कालखंड था, जब बीएसएनएल-एमटीएनएल बर्बाद हो चुके थे। जरा याद कीजिए एचएएल, उसकी दुर्दशा क्या कर रखी थी। उसके गेट पर जाकर भाषण देकर के 2019 का चुनाव लड़ने का एजेंडा तय होता था। जिन्होंने एचएएल को तबाह कर दिया था, वे एचएएल के गेट पर जाकर भाषण झाड़ रहे थे। आदरणीय सभापति जी, एयर इंडिया को किसने तबाह किया, किसने बर्बाद कर दिया। यह हालत कौन लाया। कांग्रेस पार्टी और यूपीए 10 साल की उनकी बर्बादी से मुंह नहीं मोड़ सकते और अब मैं हमारे कार्यकाल की सफलता की बात बताना चाहता हूं।

प्रधानमंत्री ने कहा, 'आदरणीय सभापति जी, जिस बीएसएनएल को इन्होंने तबाह करके छोड़ा था, वह आज मेड इन इंडिया 4 जी, 5 जी की तरफ आगे बढ़ रहा है और दुनिया का ध्यान आकर्षित कर रहा है। एचएएल के लिए इतने भ्रम फैलाए। आज एचएएल रिकॉर्ड रेवेन्यू जनरेट कर रहा है। रिकॉर्ड मैन्युफैक्चरिंग कर रहा है। और एशिया की सबसे बड़ी हेलीकॉप्टर बनाने वाली कंपनी एचएएल ही है। आज एलआईसी का शेयर रिकॉर्ड तोड़ रहा है।'

बीएसएनएल के पिछड़ने के हैं ये 3 कारण

प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के शासन काल में बीएसएनएल-एमटीएनएल की दुर्दशा की जो बात कही, आइए अब उसकी तह में जाते हैं। बीएसएनएल साल 2000 में आई थी। साल 2000 में बीएसएनएल में भारत सरकार की 100 फीसदी हिस्सेदारी थी। कंपनी दूरसंचार विभाग के नियंत्रण में रही। इसके बाद साल 2006 से 2012 की अवधि में इस कंपनी में लाला फीताशाही काफी अधिक देखने को मिली। BSNL में टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने में ही महीनों लग जाते थे। इस अवधि में कंपनी की बाजार हिस्सेदारी में गिरावट आई और प्राइवेट प्लेयर काफी आगे निकल गए। समय पर जरूरी सरकारी मंजूरियां नहीं मिलने के चलते यह निजी ऑपरेटर्स से पिछड़ती चली गई। यह हम सब जानते हैं कि एक बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के बावजूद बीएसएनएल प्राइवेट प्लेयर्स के साथ कंपटीशन नहीं कर पाई। बीएसएनएल के पिछड़े रहने के पीछे तीन प्रमुख वजह हैं। सरकारी दखल, लाल फीताशाही और स्पेक्ट्रम नीलामी में भाग नहीं लेना।

3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में भाग ही नहीं लिया

नेटवर्क सहित दूसरी कई समस्याओं के चलते बीएसएनएल के ग्राहक परेशान रहने लगे और उन्होंने प्राइवेट कंपनियों का रुख किया। इसके बाद, साल 2010 में जब 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी हुई, तो सरकारी कंपनी होने की वजह से बीएसएनएल ने इसमें हिस्सा नहीं लिया। इससे कंपनी के पास जो ग्राहक थे, उनमें से बड़ा हिस्सा फिर प्राइवेट कंपनियों की तरफ चला गया।

  

अब कंपनी ऑफर कर रही 4जी सेवाएं

मोदी सरकार साल 2019 में बीएसएनएल के लिए 70,000 करोड़ रुपये का रिवाइवल पैकेज लेकर आई थी। इसके बाद साल 2022 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीएसएनएल-एमटीएनएल के रिवाइवल के लिए 1.64 लाख करोड़ रुपये के पैकेज को मंजूरी दी थी।  सरकार ने बीएसएनएल के 33,000 करोड़ रुपये के वैधानिक बकाए को इक्विटी में बदलने का भी फैसला लिया था। मोदी सरकार के दौरान यह फैसला लिया गया कि बीएसएनएल को 4जी सेवाओं की पेशकश करने के लिए स्पेक्ट्रम आवंटित किया जाएगा। हालांकि, बीएसएनएल की 4जी सर्विस लॉन्च होने में देरी हो रही है। कंपनी अभी कुछ एरियाज में ही 4जी सेवा दे रही है।  कंपनी के अन्य ग्राहकों को भी जल्द ही टीसीएस समर्थित 4जी नेटवर्क मिलने वाला है। कंपनी अप्रैल से अपनी 4जी सेवा शुरू कर सकती है।

कभी सिम के लिए लगानी पड़ती थी लंबी लाइन

19 अक्टूबर 2002 को बीएसएनएल की मोबाइल सेवाएं शुरू हुई थीं। उस समय बीएसएनएल का सिम कार्ड लेने के लिए बड़ी जद्दोजहद करनी पड़ती थी। सिम लेने के लिए 3-4 किलोमीटर लंबी लाइन लग जाती थी। कुछ समय में ही यह देश की टॉप टेलीकॉम कंपनी बन गई थी। वहीं, एमटीएनएल मुंबई और दिल्ली में अपनी सेवाएं देती थीं।

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