Wednesday, April 24, 2024
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Adani Group का शेयर गिरना ही नहीं है सिर्फ निवेशकों के नुकसान का कारण, विदेशियों ने किया है खेल

Adani Group share Falling: कई लोगों को लगता है कि बाजार में अडानी ग्रुप के शेयर प्राइस गिरने के चलते उथल-पुथल मची हुई है। जबकि इसके पीछे का एक और कारण है, जिसके जिम्मेदार विदेशी लोग हैं। इस रिपोर्ट में इसी के बारे में खुलासा किया गया है।

Vikash Tiwary Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Updated on: February 05, 2023 17:07 IST
Share Market Investor loss Reason- India TV Paisa
Photo:INDIA TV अडानी ग्रुप के शेयर गिरने से ही सिर्फ नहीं लग रहा घाटा

Share Market Investor loss Reason​: साल के शुरुआत से ही शेयर बाजार में काफी अनिश्चितता देखी जा रही है। किसी कंपनी के शेयर धड़ाम से कभी नीचे गिर जा रहे हैं तो कोई उससे मोटा रिटर्न कमा ले रहा है। इस उथल-पुथल के पीछे का एक सबसे बड़ा कारण विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय शेयर बाजार से रिकॉर्ड पैसा निकालना भी है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों से मिली जानकारी के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने जनवरी में भारतीय शेयर बाजारों से 28,852 करोड़ रुपये निकाले हैं। यह पिछले सात माह का एफपीआई निकासी का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। चीन का आकर्षण बढ़ने के बीच एफपीआई भारतीय बाजार में बिकवाली कर रहे हैं। 

ये है जनवरी से पहले की गई निकासी का आंकड़ा

इससे पहले दिसंबर में एफपीआई ने शेयरों में 11,119 करोड़ रुपये डाले थे। नवंबर में उन्होंने शेयर बाजारों में 36,238 करोड़ रुपये का निवेश किया था। कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी शोध (खुदरा) प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा कि आगे चलकर एफपीआई प्रवाह में उतार-चढ़ाव रहेगा, क्योंकि अन्य बाजारों की तुलना में भारतीय बाजार का प्रदर्शन कमजोर है। आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने जनवरी में शेयरों से शुद्ध रूप से 28,852 करोड़ रुपये की निकासी की। यह जून 2022 के बाद से एफपीआई की निकासी का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। उस समय उन्होंने शेयरों से 50,203 करोड़ रुपये निकाले थे। जनवरी में निकासी के बाद फरवरी के पहले सप्ताह में शेयरों से एफपीआई की निकासी 5,700 करोड़ रुपये से अधिक रही है। 

भारतीय शेयर बाजार पर पड़ रहा असर

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई भारत में बिकवाली कर रहे हैं और चीन, हांगकांग और दक्षिण कोरिया जैसे सस्ते बाजारों में खरीदारी कर रहे हैं, क्योंकि वहां मूल्यांकन आकर्षक है। एफपीआई की अन्य सस्ते बाजारों की ओर रुख करने की रणनीति से भारतीय बाजारों का प्रदर्शन कमजोर हुआ है। इस साल अबतक चीन, हांगकांग और दक्षिण कोरिया के बाजार में क्रमश: 4.71 प्रतिशत, 7.52 प्रतिशत और 11.45 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि भारत में 1.89 प्रतिशत की गिरावट आई है। मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई ने आम बजट और अमेरिकी केंद्रीय बैंक की बैठक से पहले सतर्कता का रुख अपनाया। दिलचस्प बात यह है कि बाद में दोनों ही संकेतक सकारात्मक रहे। आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने उस दौरान की अवधि में ऋण या बॉन्ड बाजार में 3,531 करोड़ रुपये डाले हैं। बता दें, जब से अडानी ग्रुप के खिलाफ हिंडनवर्ग की रिपोर्ट आई है, उनके शेयरों में भी तेजी से गिरावट हो रही है। कंपनी का मार्केट पूंजीकरण 1 लाख करोड़ तक कम हो गया है।

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