वैश्विक अनिश्चितताओं और भू-राजनीतिक तनाव के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने सितंबर में अभी तक भारतीय शेयर बाजार से 7,945 करोड़ रुपये के शेयर बेचकर पैसे निकाल लिए हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में 34,990 करोड़ रुपये और जुलाई में 17,700 करोड़ रुपये की भारी निकासी के बाद, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा 2025 में शेयरों से अबतक कुल 1.38 लाख करोड़ रुपये की निकासी की गई है। हालांकि, एफपीआई ने बॉन्ड में सामान्य सीमा के तहत लगभग 900 करोड़ रुपये और स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग से 1,100 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
आगे कैसा रहेगा एफपीआई का मूड
एफपीआई को लेकर आगे की संभावनाओं पर, मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत और अमेरिका से आने वाले वृहद आर्थिक आंकड़े और टैरिफ को लेकर जारी बातचीत, अगले हफ्ते एफपीआई प्रवाह को प्रभावित करेगी। हालांकि, एफपीआई सितंबर में भी बिकवाल बने हुए हैं। 19 सितंबर तक उन्होंने शेयरों से कुल 7,945 करोड़ रुपये की निकासी की है। हालांकि, उनकी कुल बिकवाली कम हुई है।
ब्याज दरों में कटौती के बाद 900 करोड़ रुपये की हुई थी खरीदारी
वास्तव में, पिछले सप्ताह कुछ समय के लिए एफपीआई शुद्ध खरीदार के रूप में नजर आए। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती की तो एफपीआई ने 900 करोड़ रुपये की खरीदारी की थी। एंजल वन लिमिटेड के वकार जावेद खान ने कहा, ‘‘इस हफ्ते एफपीआई ने फेडरल रिजर्व की ब्याज दर कटौती के बाद 900 करोड़ रुपये की खरीदारी की। 2025 में 2 और कटौती की उम्मीद है, जिससे वैश्विक बाजार में तरलता में काफी सुधार हो सकता है। हालांकि, एफपीआई सितंबर में शुद्ध बिकवाल बने हुए हैं।’’
प्रवाह को प्रभावित कर रहे हैं वैश्विक अनिश्चितताएं और भू-राजनीतिक जोखिम
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के हेड, मैनेजर (रिसर्च) हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि विदेशी निवेशकों ने इस सप्ताह भारतीय शेयर बाजार में थोड़ी वापसी की। उन्होंने कहा कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक के नरम रुख, अमेरिका-भारत व्यापार विवाद में कमी और भारत के स्थिर वृहद आर्थिक दृष्टिकोण से माहौल में सुधार हुआ। हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि वैश्विक अनिश्चितताएं और भू-राजनीतिक जोखिम प्रवाह को प्रभावित कर रहे हैं।



































