Tuesday, April 30, 2024
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'वसुंधरा राजे और 2 बीजेपी नेताओं ने 2020 में बचाई थी कांग्रेस सरकार' CM गहलोत ने बताया बगावत का पूरा किस्सा

अशोक गहलोत के दावे से राजस्थान की सियासत में हड़कंप मच गया है। गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार 2020 के राजनीतिक संकट से बच गई क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और विधायक कैलाश मेघवाल ने उनकी सरकार को गिराने के ‘षडयंत्र’ का समर्थन नहीं किया।

Khushbu Rawal Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Updated on: May 08, 2023 6:48 IST
vasundhara raje ashok gehlot- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO वसुंधरा राजे, अशोक गहलोत

जयपुर: राजस्थान में चुनावी मौसम है और कांग्रेस में इस बार मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन होगा इस पर सियासत तेज हो गई है। अशोक गहलोत को डर है कि कहीं पार्टी उनके बगावती तेवर के चलते सचिन पायलट को सीएम का चेहरा ना बना दें तभी तो गहलोत ने एक बार फिर सचिन पायलट गुट के खिलाफ पुरानी फाइल खोल दी है। धौलपुर में गहलोत ने पायलट गुट पर एक बार फिर प्रहार किया और कहा कि कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र की तरह ही बीजेपी ने उनकी भी  सरकार गिराने की भी साजिश की थी जिसमें हमारे कुछ नेता मिले हुए थे। सरकार तो बच गई लेकिन बीजेपी ने इनसे पैसे वापस नहीं लिए है। गहलोत का इशारा साफ-साफ पायलट गुट की तरफ है। गहलोत ने ये भी दावा किया विधायकों को 10-12 करोड़ की मोटी रकम दी गई जिसे ना तो बीजेपी ने वापस मांगा है और ना ही विधायकों ने लौटाया है।

इस बीच गहलोत के एक और दावे से राजस्थान की सियासत में हड़कंप मच गया है। गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार 2020 के राजनीतिक संकट से बच गई क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और विधायक कैलाश मेघवाल ने उनकी सरकार को गिराने के ‘षडयंत्र’ का समर्थन नहीं किया। उन्होंने कांग्रेस के बागी विधायकों पर भी निशाना साधा और कहा कि उन्हें बीजेपी से लिए गए पैसे वापस करने चाहिए ताकि वे बिना किसी दबाव के अपना काम कर सकें।

राजस्थान में महीने भर चला था राजनीतिक संकट

गौरतलब है कि गहलोत के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और 18 अन्य कांग्रेस विधायकों ने जुलाई 2020 में उनके नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी। पार्टी आलाकमान के हस्तक्षेप के बाद महीने भर चला संकट समाप्त हुआ था। इसके बाद पायलट को उपमुख्यमंत्री और राज्य कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था। धौलपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गहलोत ने कहा कि उन्होंने राज्य प्रदेश कांग्रेस पार्टी प्रमुख के रूप में भैरों सिंह शेखावत के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को गिराने का समर्थन नहीं किया क्योंकि यह अनुचित था, वो ही बात कैलाश मेघवाल ने और वसुंधरा राजे सिंधिया ने कहा कि हमारे यहां कभी परंपरा नहीं रही है। इस प्रकार चुनी हुई सरकारो को पैसे के बल पर गिराने की।

गहलोत ने बताया बगावत का पूरा किस्सा
गहलोत ने कहा, ‘‘जब भैरोसिंह शेखावत थे मुख्यमंत्री उस वक्त उनकी पार्टी के लोग सरकार गिरा रहे थे..मैं प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष था, मेरे पास लोग आये..उस वक्त भी पैसा बंटने लगा था जैसे अभी बंटा। मैंने उन्हें कहा..भले आदमियों तुम्हारे नेता भैंरोंसिह शेखावत मुख्यमंत्री हैं... मैं प्रदेश कांग्रेस कमिटी का अध्यक्ष हूं। वो बीमार हैं इसलिए अमेरिका गये हुए है और तुम पीछे से षडयंत्र करके सरकार गिरा रहे हो। मैं तुम्हारा साथ नहीं दूंगा।’’ उन्होंने कहा ‘‘अगर मैं चाहता तो उनके साथ शामिल हो जाता और भैरो सिंह की सरकार गिर सकती थी...मैंने उनसे कहा तुम यह अनैतिक काम कर रहे हो..जो आदमी बीमार है..वहां पर उसके तीन तीन ऑपरेशन हुए हैं और तुम पीछे से सरकार गिरा रहे हो। वो ही बात कैलाश मेघवाल ने और वसुंधरा राजे सिंधिया ने कहा कि हमारे यहां कभी परंपरा नहीं रही है..पैसे के बल पर इसप्रकार चुनी हुई सरकारो को गिराने की।’’

ashok gehlot

Image Source : PTI
अशोक गहलोत

गहलोत ने कहा भाजपा विधायक शोभारानी ने भी वसुंधरा राजे और कैलाश मेघवाल की बात सुनी और कहा कि मुझे भी ऐसे लोगो का साथ नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हमारी सरकार बची है। जिंदगी में यह घटना मैं कभी भूल नहीं सकता जो मेरे साथ बीती थी।’’

'दूध और नींबू का रस कभी नहीं मिलता'
गौरतलब है कि गहलोत और राजे पर अक्सर उनके विरोधी एक-दूसरे के प्रति "नरम" रहने का आरोप लगाते हैं। दोनों नेताओं ने ऐसी किसी भी समझौते से इनकार किया है। कुछ दिनों पहले राजे ने गहलोत के साथ मिलीभगत के आरोपों को झूठ बताते हुए खारिज कर दिया था और कहा था कि ‘दूध और नींबू’ का रस कभी नहीं मिलता। धौलपुर से भाजपा विधायक कुशवाहा ने पिछले साल राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी, जिसके बाद उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया था इससे पूर्व उन्होंने दावा किया, ‘‘जो संकट आया हमारे ऊपर आया था...केन्द्रीय मंत्री अमित शाह, धर्मेन्द्र प्रधान, गजेन्द्र शेखावत इन सबने मिलकर षडयंत्र किया था..उन्होंने राजस्थान में पैसे बांटे थे..वे पैसे वापस ले नहीं ले रहे हैं..मुझे चिंता लगी हुई है..पैसा क्यों नहीं ले रहे हैं..वापस क्यों नहीं मांग रहे है इनसे (विधायको से) पैसा।’’

कांग्रेस नेता पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के गृह क्षेत्र में रविवार को एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। गहलोत ने 2020 में कांग्रेस सरकार के खिलाफ बगावत की जानकारी देने के लिए कांग्रेस विधायक रोहित बोहरा, चेतन डूडी और दानिश अबरार की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के ये तीन विधायक, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से कांग्रेस की सदस्यता लेने वाले छह विधायकों और निर्दलीय विधायकों ने 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान उनका समर्थन किया था और उनकी सरकार को बचाया था। गहलोत ने कहा कि सरकार में मंत्री बनने के असली हकदार ये लोग थे, लेकिन वह उन्हें मंत्री के रूप में नियुक्त नहीं कर सके क्योंकि उसके कुछ राजनीतिक कारण थे और वह इसके लिए दुखी महसूस कर रहे हैं।

वसुंधरा राजे ने क्या कहा?
वहीं, वसुंधरा राजे ने गहलोत के दावे को खारिज करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में हार से भयभीत होकर झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि गहलोत ने गृहमंत्री अमित शाह पर आरोप लगाया है,जिनकी ईमानदारी और सत्य निष्ठा सर्व विदित है। राजे ने कहा कि रिश्वत लेना और देना दोनों अपराध हैं, यदि उनके विधायकों ने पैसा लिया है तो गहलोत FIR दर्ज करवाएं। उन्होंने कहा, ‘‘ सच तो यह है कि अपनी ही पार्टी में हो रही बग़ावत और रसातल में जाते जनाधार के कारण बौखलाहट में उन्होंने (गहलोत ने) ऐसे अमर्यादित और असत्य आरोप लगाए हैं।’’

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘विधायकों की ख़रीद फ़रोख़्त में स्वयं गहलोत को महारत हासिल है जिन्होंने 2008 और 2018 में अल्पमत में होने के बावजूद सरकार बनाई। हम भी सरकार बना सकते थे लेकिन यह भाजपा के सिद्धांतों के ख़िलाफ़ था।’’ राजे ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री द्वारा मेरी तारीफ करना मेरे खिलाफ उनका एक बड़ा षड्यंत्र है। मेरा जितना जीवन में अपमान गहलोत ने किया कोई कर ही नहीं सकता। वह 2023 के चुनाव में होने वाली ऐतिहासिक हार से बचने के लिए ऐसी मनगढ़ंत कहानियां गढ़ रहें है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है पर उनकी ये चाल कामयाब होने वाली नहीं है।’’

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उल्लेखनीय है कि पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और 18 अन्य कांग्रेस विधायकों ने जुलाई 2020 में गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी। पार्टी आलाकमान के हस्तक्षेप के बाद महीने भर से चला आ रहा संकट समाप्त हो गया था।

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