Tuesday, December 03, 2024
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Video: बचपन के दिन याद कर रोने लगे धीरेंद्र शास्त्री, बोले- 'छत टपकती थी तो मां पलंग के नीचे सुला देती थीं'

पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने बताया कि बचपन में तीन दिन तक उनके खाने का पता नहीं रहता था। पारलेजी के एक बिस्किट से समय निकलता था। छत टपकती थी तो उनकी मां पलंग के नीचे उन्हें सुला देती थीं।

Edited By: Shakti Singh
Published : Nov 10, 2024 22:53 IST, Updated : Nov 10, 2024 22:53 IST
Dhirendra shahstri- India TV Hindi
Image Source : PTI पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री

भीलवाड़ा के कुमुद विहार में पांच दिवसीय हनुमंत कथा का बागेश्वर पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री वाचन कर रहे हैं। कथा के अंतिम दिन पंडित धीरेंद्र कृष्ण ने अपने बचपन की कहानी सुनाई। इस दौरान कथा उनकी आंखें भर आईं। उन्होंने कहा कि मेरे गुरुदेव जगतगुरु रामभद्राचार्य जी जयपुर में कथा कर रहे है। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक मथुरा में श्याम सुंदर बैठ नहीं जाएंगे तब तक वह मंदिर में दर्शन नहीं करेंगे।

पंडित धीरेंद्र कृष्ण ने कथा के दौरान अपने बचपन की कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि बचपन में उनका भाव था कि परमात्मा अगर सक्षम व कृपा करेंगे तो वह ऐसा प्रण लेंगे कि किसी भी भाई को अपनी बहन की शादी के लिए परेशान ना होना पड़े। 

मेरा संघर्ष सिर्फ मैं जानता हूं

धीरेंद्र शास्त्री ने कहा "बहुत से लोग वर्तमान में मेरे लिए कहते हैं कि बागेश्वर बाबा पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का बड़ा नाम है। हेलीकॉप्टर, हवाई जहाज व चार्टर प्लेन में घूमते हैं। बाबा को देश विदेश में जानते हैं। मेरे प्रिय जनों बातें बहुत बड़ी-बड़ी हैं। इसके पीछे मेरा कितना संघर्ष रहा है वो मैं जानता हूं। हमारा उद्देश्य बड़े लोगों से मिलने का मतलब मेरा नाम फेमस करना नहीं है। हमारा उद्देश्य है कि अगर बड़े लोग हमारे को सहयोग कर देंगे तो हम गरीब बेटियों का विवाह धूमधाम से कर सकेंगे। बड़े लोग सम्मान उसी को देते हैं जब इनका काम फंसा हुआ होगा तभी बुलाएंगे काम निकलने के बाद वापस धन्यवाद नहीं देंगे। हमने तो दुख पा लिया। मैं तो भगवान से प्रार्थना करता हूं कि हमने दुख पाया वैसा दुख किसी को नहीं दें।ठ

तीन दिन तक खाने का पता नहीं रहता था

धीरेंद्र शास्त्री ने कहा "हमारा छोटा सा गांव और छोटी सी झोपड़ी थी। बाल्यकाल में हमें तीन दिन तक खाने का पता नहीं रहता था। भूख के मारे मेरी मां एक पारलेजी बिस्किट का पुड़ा लेकर आती थी, जिससे हम समय निकालते थे। वहीं बारिश के दौरान रात के समय जब बारिश आती तो छत टपकने लगती और मां मुझे पलंग के नीचे लेटा देती थीं। इस तरह हमारे बाल्यकाल के दिन निकले हैं। जब हमारे परिवार की गरीब स्थिति थी उस समय हमारे गांव के सरपंच से भी हमारी बात करने की व सुनने की हिम्मत नहीं होती थी। लेकिन मैं सभी सनातन प्रेमियों आव्हान करना चाहता हूं कि अगर आपके जीवन में कोई भी परेशानी या दुख है तो आप किसी अमीर व्यक्ति को मत बताइए। वह आपकी गरीबी को महसूस नहीं करेगा, न आपकी पीड़ा सुनकर समाधान करेगा।"

सिर्फ परमात्मा गरीबों की सुनता है

बाबा बागेश्वर पीठाधीश्वर ने कहा "देश में गरीब की सुनने वाला तो सिर्फ परमात्मा है और हनुमान जी महाराज हैं, जिस प्रकार हनुमान जी महाराज ने मेरी व्यथा सुनकर के मुझ पर कृपा की। मैं आज हनुमान जी महाराज से निवेदन करूंगा कि आप सब की पीड़ाएं हर ले क्योंकि हनुमानजी ही संकट मोचन हैं। वह सब की पीड़ाएं हरते हैं और उन्होंने मेरी पीड़ा हर करके आज मुझे इस मुकाम पर पहुंचाया है। आज देश के टॉप मोस्ट राजनेता नीति निर्धारण के समय भी हमारी राय लेते हैं यह सिर्फ बजरंगबली की ही कृपा है।"

(भीलवाड़ा से सोमदत्त त्रिपाठी की रिपोर्ट)

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