Monday, April 29, 2024
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Raksha Bandhan Special: साल में सिर्फ एक बार खुलते हैं इस मंदिर के कपाट, यहां राखी बांधने से भाई पर कभी नहीं आता कोई संकट

Raksha Bandhan Special Story: उत्तराखंड के इस प्रसिद्ध मंदिर में भाई को राखी बांधने से भाई के जीवन पर कभी कोई संकट नहीं आता है। लेकिन यह मंदिर के कपाट केवल रक्षाबंधन के मौके पर ही खुलता है।

Vineeta Mandal Written By: Vineeta Mandal
Updated on: August 04, 2023 9:41 IST
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Image Source : INDIA TV bansi narayan mandir

Raksha Bandhan Special Story: हमारे देश में कई मंदिर ऐसे हैं जिनसे गहरी मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। इन मंदिरों के पीछे बहुत सी अनोखी और रहस्मयी कहानियां छिपीं हुई हैं। उत्तराखंड में एक ऐसा ही मंदिर स्थित जो काफी रहस्यों से भरा हुआ है। भक्तों के लिए इस मंदिर के कपाट साल में केवल एक बार ही खुलते हैं। यह समय रक्षाबंधन का होता है, जब भक्त इस चमत्कारी मंदिर में भगवान के दर्शन कर पूजा-अर्चना करते हैं। तो चलिए जानते हैं कि आखिर इस मंदिर से जुड़ी मान्यताएं क्या है और इसके कपाट साल में एक बार ही क्यों खुलते हैं।

साल में केवल एक बार खुलते हैं बंसीनारायण या वंशी नारायण मंदिर के कपाट

वंशी नारायण का यह अनोखा मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर के कपाट सिर्फ रक्षाबंधन के मौके पर ही खुलता है, जहां महिलाएं और युवतियां अपने भाई पहले भगवान वंशी नारायण मंदिर को राखी बांधती हैं। मान्यताओं के मुताबिक, रक्षाबंधन के दिन वंशी नारायण मंदिर में जो भी बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं उन्हें सुख, संपत्ति और सफलता का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही उनके भाईयों पर कभी कोई संकट नहीं आता है। आपको बता दें कि सूर्योदय के साथ मंदिर के कपाट खुलते हैं और सूर्यास्त के बाद इसे सालभर के लिए बंद कर दिया जाता है। 

 वंशी नारायण मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु अपने वामन अवतार से मुक्त होने के बाद सबसे पहले यहीं प्रकट हुए थे। कहते हैं कि इस स्थान पर देव ऋषि नारद ने प्रभु नारायण की पूजा-अर्चना की थी। माना जाता है कि नारद जी साल के 364 दिन विष्णु जी की पूजा करते हैं और एक दिन के लिए चले जाते हैं, जिससे लोग पूजा कर सकें। इसी वजह से यहां पर लोगों को सिर्फ एक दिन ही पूजा करने का अधिकार मिला हुआ है। मंदिर के पास एक भालू गुफा मौजूद हैं, जहां भक्त प्रसाद बनाते हैं। कहते हैं कि इस दिन यहां हर घर से मक्खन आता है और इसे प्रसाद में मिलाकर भगवान को भोग लगाया जाता है।

रक्षाबंधन का महत्व

रक्षाबंधन सिर्फ एक त्यौहार नहीं बल्कि भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है। इस दिन बहनें जहां भाई की कलाई पर राखी बांधते हुए उसकी लंबी आयु की कामना करती हैं, वहीं भाई ताउम्र बहन की रक्षा करने का वचन देता है। आपको बता दें कि इस साल रक्षाबंधन का त्यौहार 30 अगस्त 2023 को मनाया जाएगा। इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा काल का साया रहेगा तो बहनें अपने भाई को राखी 30 अगस्त को रात  9 बजकर 1 मिनट से 31 अगस्त  सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक बांध सकती हैं।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। इंडिया टीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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