
सनातन धर्म में संकष्टी चतुर्थी व्रत का विशेष महत्व है, यह व्रत हर माह की चतुर्थी तिथि को भगवान शिव और मां पार्वती के प्रिय पुत्र गणपति को समर्पित होता है। दृक पंचांग के मुताबिक, फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा करने से सभी दुख, कष्टों से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि घर आती है। इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के सभी संकट दूर हो जाते हैं और मनोकामनाए भी पूर्ण हो जाती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस दिन गणपति को क्या भोग चढ़ाना चाहिए?
कब मनाई जाएगी द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी?
दृक पंचांग की मानें तो यह द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी 15 फरवरी की रात 11.52 बजे आरंभ हो रही है और 17 फरवरी की सुबह 02.15 बजे समाप्त हो रही है। ऐसे में उदया तिथि को महत्व देते हुए यह तिथि 16 फरवरी के दिन मनाई जाएगी। इस तिथि पर सवार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है।
लड्डू का भोग
हिंदू धर्म में पीले रंग को शुभता, समृद्धि और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। भगवान गणेश को पीले लड्डू का भोग लगाने से इन सभी गुणों का आशीर्वाद मिलता है। भगवान गणेश को मोदक और लड्डू खूब पसंद हैं। लड्डू को भोग चढ़ाने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और भक्त की सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं। संकष्टी चतुर्थी हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है, यह दिन गणपति को समर्पित की गई है।
तिल के लड्डू
भगवान गणेश को काले तिल का लड्डू भी अतिप्रिय है, ऐसे में मान्यता है कि काले तिल में निगेटिव एनर्जी को दूर करने की शक्ति होती है। इस कारण द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को काले तिल के लड्डू का भोग लगाएं, इससे भगवान प्रसन्न होंगे। हिंदू धर्म में काले तिल को मोक्ष का प्रतीक माना गया है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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