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Sawan 2024 Parthiv Shivling: इस विधि के साथ करें पार्थिव शिवलिंग का निर्माण, यहां जानिए पूजा विधि से लेकर विसर्जन तक का सही नियम

Parthiv Shivling Puja Vidhi: सावन में पार्थिव शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है। तो आइए यहां जानते हैं पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कैसे करें और इसकी पूजा विधि क्या है। साथ ही जानेंगे पार्थिव शिवलिंग का विसर्तन कब करना चाहिए।

Written By : Acharya Indu Prakash Edited By : Vineeta Mandal Published : Jul 22, 2024 13:17 IST, Updated : Jul 22, 2024 13:28 IST
Parthiv Shivling Puja- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Parthiv Shivling Puja

Sawan 2024: 22 जुलाई से भगवान शिव को प्रिय सावन महीना प्रारंभ हो चुका है और 19 अगस्त तक चलेगा। कहते हैं सावन के सोमवार को जो कन्याएं व्रत रख भगवान शिव की पूजा अर्चना करती हैं उनको सुयोग्य और मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। साथ ही विवाहित महिलाएं अपने पति के साथ अपने रिश्ते को मजबूत बनाए रखने के लिए, उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए और उनके सुख समृद्धि के लिए भी सावन के सोमवार को व्रत रखतीं हैं। साथ ही पुरुष भी इस व्रत को कर सकते हैं। दरअसल सोमवार का प्रतिनिधि ग्रह चंद्रमा है, जो कि मन का कारक है और चंद्रमा भगवान शिव के मस्तक पर विराजित है। लिहाजा भगवान शिव स्वयं अपने भक्तों के मन को नियंत्रित करते हैं और उनकी इच्छाएं पूरी करते हैं और यही वजह है कि- सावन महीने में सोमवार के दिन का इतना महत्व है। 

सावन सोमवार के दिन पार्थिव पूजन करना अत्यंत फलदायी होता है। पार्थिव पूजन से यहां मतलब- मिट्टी का शिवलिंग बनाकर, उसकी विधि-पूर्वक पूजा करके और पूजा के बाद उसे विसर्जित कर देने से है।

माहेश्वर तंत्र के अनुसार पार्थिव पूजन वास्तव में एक प्रकार की ध्यान विधि है, जहां सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति और संहार, एक ही अनुष्ठान का हिस्सा होते हैं। मिट्टी से हम शिवलिंग बनाते हैं पूर्ण मनोयोग से उसे
शिव मानकर उसकी उपासना करते हैं और पूजा के बाद अपने ही हाथों से उसे विसर्जित कर देते हैं। अपने ही निर्माण का ध्वंस या विसर्जन और वो भी ऐसा निर्माण, जिसे आपने अपना ईश्वर माना हो, ये काम हमें वह मानसिक स्थिति देता है, जिससे हम दृढ़ता के साथ जीवन में आने वाली हर परिस्थिति का सामना करते हैं या करने में सक्षम होते हैं।

पार्थिव शिवलिंग पूजन विधि 

पार्थिव पूजा के लिए सबसे पहले कहीं साफ स्थान से मिट्टी लाकर, उसे छानकर, साफ करके किसी पात्र में रखकर, उसको पानी से सान लेना चाहिए। कुछ लोग मिट्टी सानते समय, उसमें घी भी मिला लेते हैं, आप भी ऐसा कर सकते हैं। अब इस मिट्टी का पिंड बनाकर, उसके ऊपर 16 बार 'बम' शब्द का उच्चारण करना चाहिए। शास्त्रों में 'बम्' को सुधाबीज, यानि अमृत बीज कहा जाता है। 'बम' के उच्चारण से यह मिट्टी अमृतमय हो जाती है। फिर उसमें से थोड़ी मिट्टी लेकर छोटे-से गणेश जी बनाने चाहिए और गणेश जी बनाते समय मंत्र पढ़ना चाहिए- 'ऊँ ह्रीं गं ग्लौं गणपतये ग्लौं गं ह्रीं' फिर यही मंत्र पढ़कर गणेशवर को पूजा की पीठ पर बैठा देना चाहिए। 

पार्थिव शिवलिंग निर्माण की विधि

ये शिवलिंग उसी मिट्टी से बनेगा जो आपने सानकर रखी है। सबसे पहले शिवलिंग का साइज समझ लीजिये शिवलिंग को आपके अंगूठे से बड़ा होना चाहिए और आपके वितस्ति यानि बित्ते से छोटा होना चाहिए। अब शिवलिंग बनाने केलिए मिट्टी उठाइए और मिट्टी उठाते समय मंत्र पढ़िए-'ऊँ नमो हराय'  यह मंत्र पढ़ते समय बहेड़े के फल के बराबर मिट्टी उठानी चाहिए और उसका शिवलिंग बनाना चाहिए। शिवलिंग बनाते समय जो मंत्र पढ़ा जाना चाहिए, वो इस प्रकार है- 'ऊँ नमो महेशवराय' शिवलिंग बन जाने के बाद उसे पूजा की पीठ पर रखना चाहिए और शिवलिंग को पूजा पीठ पर रखते हुए ये मंत्र पढ़ना चाहिए 'ऊँ नमः शूलपाणि'। 

इस मंत्र जप के बाद शेष बची हुई मिट्टी से कुमार कार्तिकेय की मूर्ति बनानी चाहिए और कुमार कार्तिकेय की मूर्ति बनाते समय मंत्र पढ़ना चाहिए 'ऊँ ऐं हुं क्षुं क्लीं कुमाराय नमः'।  इस प्रकार श्रीगणेश की मूर्ति, शिवलिंग और कुमार कार्तिकेय की मूर्ति बनाकर, उसमें भगवान का आह्वान करना चाहिए। आह्वान के लिए कहना चाहिए-'ऊँ नमः पिनाकिने इहागच्छ इहातिष्ठ' इस प्रकार भगवान को बुलाकर मन से उपचार करते हुए पैर आदि का पूजन करना चाहिए।

फिर भगवान को स्नान कराना चाहिए और स्नान कराते समय कहना चाहिए 'ऊँ नमः पशुपतये'। इस मंत्र से स्नान कराके, फिर शतरुद्रीय मंत्रों से स्नान कराना चाहिए। इसके बाद आप 'ऊँ नमः शिवाय', मंत्र से गंध, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें। सामान्य व्यक्ति के लिए इतना पूजन पर्याप्त है, इसके बाद आपने जितनी संख्या में सोचा हो, उतनी संख्या में 'ऊँ नमः शिवाय' मंत्र का जप करें। आप कितना जप करेंगे, ये बात पूजा शुरू करने के पहले ही सोच लेनी चाहिए। यह विचार ही संकल्प कहलाता है। अपनी संकल्पित पूजा समाप्त करने के बाद हाथ में फूल लेकर भगवान को पुष्पांजलि चढ़ानी चाहिए। पुष्पांजलि के बाद भगवान से उनके स्थान पर जाने का निवेदन करना चाहिए। इस प्रकार पूजा के बाद सभी मूर्तियों को आदरपूर्वक जल में विसर्जित कर देना चाहिए।.

ये तो हुई एक सामान्य गृहस्थ की पूजा लेकिन कुछ सुधिजन या अपनी विशेष इच्छा की पूर्ति चाहने वाले इससे एक कदम आगे बढ़ना चाहते हैं तो आइए चलते हैं एक कदम आगे और चर्चा करते हैं साधना के अगले सोपान की-

धूप-दीप, नैवेद्य दिये जाने के बाद की पूजा आवरण पूजा कहलाती है। आवरण पूजा में विग्रह की पूर्व दिशा में पूजा करके मंत्र पढ़ना चाहिए 'पूर्वे ऊँ शर्वाय क्षितिमूर्तये नमः'। फिर ईशान दिशा में पूजा करनी चाहिए और कहना चाहिए'ऐशानये ऊँ भवाय जलमूर्तये नमः'। इसी प्रकार उत्तर दिशा में पूजा करनी चाहिए 'ऊँ रुद्राये तेजोमूर्तये नमः'। इसी प्रकार उत्तर-पश्चिम दिशा में पूजा करनी चाहिए और कहना चाहिए 'वायव्ये ऊँ उग्राय वायुमूर्तये नमः'। इसी प्रकार पश्चिम दिशा में पूजा करनी चाहिए और मंत्र पढ़ना चाहिए 'पश्चिमे ऊँ भीमाकाशमूर्तये नमः'। फिर दक्षिण-पश्चिम दिशा में पूजा करनी चाहिए और कहना चाहिए 'नैऋत्ये ऊँ पशुपतये यजमानमूर्तये नमः'। फिर दक्षिण दिशा की पूजा करनी चाहिए और कहना चाहिए 'दक्षिणे ऊँ महादेवाय चंद्रमूर्तये नमः' और आखिर में दक्षिण-पूर्व दिशा में पूजा करनी चाहिए और कहना चाहिए-
'आग्नेये ऊँ ईशानाय सूर्यमूर्तये नमः'।

 इस प्रकार विग्रह की आठों दिशाओं में देवाधिदेव महादेव की अष्टमूर्तियों की पूजा करनी चाहिए। उसके उपरांत इंद्र आदि दस दिक्पालों और उनके वज्र आदि आयुधों की पूजा करनी चाहिए।उसके बाद तीन बार प्रदक्षिणा करनी चाहिए। फिर 'ऊँ नम: शिवाय' इस षडक्षर मंत्र का यथाशक्ति जप करना चाहिए। 'ऊँ नमो महादेवाय' इस मंत्र से विसर्जन करना चाहिए।उसके बाद श्री गणेश और कार्तिकेय की अपने-अपने मंत्रों से, सभी उपचारों से पूजा करके, उनका विसर्जन करना चाहिए। इस प्रकार एक लाख पार्थिव लिंगों के पूजन से मनुष्य इसी लोक में मुक्ति का भागी हो जाता है, लेकिन चूंकि इतनी संख्या में पूजन करना आज के दिन आपके लिए संभव नहीं है। अतः आप केवल आज के दिन एक लिंग का निर्माण करके बतायी गई विधि अनुसार पूजा करें। इससे आपकी मनचाही इच्छा पूरी होगी।

मंत्रों के उच्चारण और शिवलिंग की पूजा के बाद दस द्रव्यों से दशांश होम भी करना चाहिए।आज के दिन विभिन्न शुभ फलों की प्राप्ति के लिए आपको किस
द्रव्य से होम करना चाहिए, अब हम इसकी चर्चा करेंगे-

  • सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी के लिए आज आपको पलाश की समिधा से होम करना चाहिए।
  • परिवार के सभी सदस्यों की खुशियों के लिए आज आपको बेल के फलों से होम करना चाहिए।
  • जीवन के समस्त कष्टों के निवारण के लिए आज आपको दही से होम करना चाहिए।
  • अपने बिजनेस में अप्रतिम लाभ प्राप्त करने के लिए आज आपको दूध-चावल की खीर से होम करना चाहिए।
  • अपने बेहतर स्वास्थ्य के लिए आज आपको दूर्वा से होम करना चाहिए।
  • अपने अंदर नये और अच्छे विचारों को सोचने की शक्ति उत्पन्न करने लिए आज आपको बेल के फलों से होम करना चाहिए।
  • अपने हर कार्य में मनचाही सफलता प्राप्त करने के लिए आज आपको तिल से होम करना चाहिए।
  • अपने जीवन की गति नई सिरे से आगे बढ़ाने के लिए आज आपको खैर की समिधा से होम करना चाहिए।
  • अपने आपसी रिश्तों को मजबूत बनायें रखने के लिए आज आपको दूर्वा से होम करना चाहिए।
  • अपनी दिनचर्या में सुधार लाने के लिए आज आपको घी से होम करना चाहिए।
  • समाज में अपना रूतबा बनाये रखने के लिए आज आपको वट की समिधा से होम करना चाहिए।
  • अच्छी नौकरी के अच्छे अवसर प्राप्त करने के लिए आज आपको दूर्वा से होम करना चाहिए।

(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)

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