Thursday, May 09, 2024
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Pitru Paksha 2022: पितृ-पक्ष में क्यों है कौए को खिलाने का महत्व, जानिए यम और भगवान राम संबंध

Importance of Crows in Pitru Paksha: पितृ पक्ष में लोग कौए को खोजते हैं। क्योंकि इन 15 दिनों कौए को भोजन कराने का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं कि पितृ पक्ष में कौए का महत्व क्यों हैं।

Ritu Tripathi Written By: Ritu Tripathi @ritu_vishwanath
Updated on: September 10, 2022 8:35 IST
Pitru Paksha 2022- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Pitru Paksha 2022

Highlights

  • पितृों को मिलती है तृप्ति
  • पंचबलि को भोज कराना आवश्यक
  • कौए हैं यम का प्रतीक

Pitru Paksha 2022: हिंदू धर्म शास्त्रों और मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष मनाया जाता है। यह कुल 16 दिनों की अवधि होती है। इस साल पितृ पक्ष 10 सितंबर से प्रारंभ हो रहा है जो 25 सितंबर को समाप्त होगा। 15 दिनों तक चलने वाले पितृपक्ष में पितरों का तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान आदि अनुष्ठान किए जाते हैं। लेकिन इस सबके साथ ही पितृ पक्ष में कौओं को खिलाने का भी विशेष महत्व है। इन 15 दिनों में लोग खोज-खोजकर कौओं को भोजन कराते हैं। अपनी छत पर सभी को कौओं का इंतजार रहता है। आइए जानते हैं कि पितृ पक्ष में कौए का महत्व क्यों हैं और भगवान राम से कौओं का क्या संबंध है। 

पितृों को मिलती है तृप्ति

हिंदू धर्म और शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में कौए को भरपेट भोजन खिलाने से पितृों को तृप्ति मिलती है। यहा भी कहा जाता है कि बिना कौए को भोजन कराए पितृों को संतुष्ट नहीं किया जा सकता। कई मान्यताएं ऐसी है कि कौओं को पितरों का रूप माना जाता है। ऐसे में जब कौए तृप्त होते हैं तो माना जाता है कि हमारे पूर्वज भी तृप्त हो गए हैं। 

पंचबलि को भोज कराना आवश्यक

पितृपक्ष में लोग पितरों का श्राद्ध और तर्पण करते हैं। शास्त्रों में लिखा है कि श्राद्ध पूजन के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना भी जरूरी है। लेकिन इसके साथ ही पंचबलि को भोज कराने की बात भी शास्त्रों में कही गई है। यानी श्राद्ध पूजा के बाद और ब्राह्मण भोज से पहले  तर्पण करने वाले को गाय, कुत्ते, कौए, देवता और चींटी यानी पंचबलि को भी भोज कराना जरूरी है। 

कौए हैं यम का प्रतीक

हिंदू मान्यताओं के अनुसार कौए को यम का प्रतीक माना गया है। यह भी मान्यता है कि कौओं में इतनी शक्ति है कि वह इंसानों को शुभ-अशुभ घटनाओं के पहले संकेत भी देते हैं। इसी मान्यता को ध्यान में रखते हुए पितृ पक्ष में श्राद्ध का एक भाग कौए को भी दिया जाता है। यहां तक की कई जगह तो ऐसी मान्यता भी है कि अगर पितृ पूजन के बाद कौआ आपके हाथों दिया गया भोजन ग्रहण कर लें इसका मतलब है कि आपके पूर्वज आपसे प्रसन्न हैं। अगर कौए ने भोजन नहीं किया तो पूर्वज आपसे नाराज हैं। 

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भगवान राम से है कौए का संबंध 

राम कथा को अनंत बताया गया है। कुछ तो रामायण के मूल भाग में हैं तो कुछ क्षेपक कथाएं भी हैं। ऐसी ही एक क्षेपक कथा के अनुसार एक बार माता सीता के पैर में एक कौए ने चोंच मार दी। जिसके कारण माता के पैर पर घाव हो गया। अपनी पत्नी को कष्ट में देख भगवान राम को गुस्सा आ गया। उन्होंने बाण से निशाना साधा और कौए की आंख फोड़ दी थी।  जिसके बाद कौए ने भगवान राम से क्षमा मांगी। इसके बाद भगवान राम ने कौए को माथ किया और आशीर्वाद दिया कि तुम्हें भोजन करने से पितृ प्रसन्न होंगे। कहा जाता है कि तब से ही पितृ पक्ष में कौओं का महत्व बढ़ गया। 

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